रहिमन कठिन चितान तै -रहीम

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‘रहिमन’ कठिन चितान तै, चिंता को चित चैत।
चिता दहति निर्जीव को, चिन्ता जीव-समेत॥

अर्थ

चिन्ता यह चिता से भी भंयकर है। सो तू चेत जा। चिता तो मुर्दे को जलाती है, और यह चिन्ता जिन्दा को ही जलाती रहती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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