रहिमन मैन-तुरंग चढ़ि -रहीम
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‘रहिमन’ मैन-तुरंग चढ़ि, चलिबो पावक माहिं।
प्रेम-पंथ ऐसो कठिन, सब कोउ निबहत नाहिं॥
- अर्थ
प्रेम का मार्ग हर कोई नहीं तय कर सकता। बड़ा कठिन है उस पर चलना, जैसे मोम के बने घोड़े पर सवार हो आग पर चलना।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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