राजा शिव प्रसाद (जन्म- 1823, वाराणसी, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 1895) प्रारंभिक हिन्दी गद्य साहित्य के निर्माता थे। राजा राममोहन राय, राजा शिव प्रसाद, जुगलकिशोर शुक्ल और बंकिमचंद्र चटर्जी जैसे दिग्गज कलमकारों ने ही पत्र-पत्रिकाओं को जनजागरण का अहम हथियार बनाया था।
- गोविन्द रघुनाथ धत्ते ने सन 1845 में राजा शिव प्रसाद की मदद से ‘बनारस अख़बार’ निकाला था।
- राजा शिव प्रसाद की रचनाओं में निम्नलिखित रचनाएँ बहुत प्रसिद्ध थीं-
- मानव धर्मसार
- वामा मनरंजन
- आतसियों का कोड़ा
- विद्यांकर
- राजा भोज का सपना
- 'इतिहास तिमिर नाशक' और 'बैताल पच्चीसी' जैसी पुस्तकों में उर्दू मिश्रित हिन्दी को इन्होंने प्रश्रय दिया।
- राजा शिव प्रसाद का निधन सन 1895 ई. में हुआ।[1]
- राजा शिव प्रसाद 'सितारे–हिन्द' का लिपि सम्बन्धी प्रतिवेदन (1868 ई.)
फ़ारसी लिपि के स्थान पर नागरी लिपि और हिन्दी भाषा के लिए पहला प्रयास राजा शिव प्रसाद का 1868 ई. में उनके लिपि सम्बन्धी प्रतिवेदन 'मेमोरण्डम कोर्ट कैरेक्टर इन द अपर प्रोविन्स ऑफ़ इंडिया' से आरम्भ हुआ था।
इन्हें भी देखें: देवनागरी लिपि एवं हिन्दी भाषा
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ काशी कथा, साहित्यकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 जनवरी, 2014।
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