राम नाम जान्यो नहीं -रहीम

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राम नाम जान्यो नहीं, भई पूजा में हानि।
कहि ‘रहीम’ क्यों मानिहैं, जम के किंकर कानि॥

अर्थ

राम-नाम की महिमा मैंने पहचानी नहीं और पूजा-पाठ करता रहा। बात बिगड़ती ही गयी। यमदूत मेरी एक नहीं सुनेंगें, मेरी लाज नहीं बचेगी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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