लालचदास रायबरेली के एक हलवाई थे। इन्होंने संवत 1585 में 'हरिचरित' और संवत 1587 में 'भागवत दशम स्कंध भाषा' नाम की पुस्तक अवधी मिश्रित भाषा में लिखी थी।
- लालचदास की उपरोक्त दोनों पुस्तकें काव्य की दृष्टि से सामान्य श्रेणी की हैं और दोहे तथा चौपाइयों में लिखी गई हैं।
- 'भागवत दशम स्कंध भाषा' का उल्लेख हिंदुस्तानी के फ़ारसी विद्वान 'गार्सां द तासी' ने किया है और लिखा है कि उसका अनुवाद फ़ारसी में हुआ है।
- 'भागवत भाषा' में इस प्रकार की चौपाइयाँ लिखी गई हैं-
पंद्रह सौ सत्तासी जहिया । समय बिलंबित बरनौं तहिया
मास असाढ़ कथा अनुसारी । हरिबासर रजनी उजियारी
सकल संत कहँ नावौं माथा । बलि बलि जैहौं जादवनाथा
रायबरेली बरनि अवासा । लालच रामनाम कै आसा
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