विमलेश कांति वर्मा
विमलेश कांति वर्मा
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पूरा नाम | विमलेश कांति वर्मा |
जन्म | 4 जुलाई, 1943 |
जन्म भूमि | इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
भाषा | संस्कृत, हिंदी, अंग्रेज़ी और बल्गारियन भाषा |
शिक्षा | एम्. ए., डी.फिल. (हिंदी), एम्. लिट. (भाषा विज्ञान) |
विद्यालय | इलाहाबाद विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय |
पुरस्कार-उपाधि | महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार |
विशेष योगदान | अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, कोश निर्माण और अनुवाद में उल्लेखनीय योगदान है। |
नागरिकता | भारतीय |
पुस्तकें | पाठालोचन : सिद्धांत और प्रक्रिया, हिंदी और उसकी उपभाषाएं, भारतेंदु युगीन हिंदी काव्य में लोक तत्त्व आदि। |
अन्य जानकारी | डॉ. विमलेश कांति वर्मा वर्तमान में हिंदी अकादमी, दिल्ली के उपाध्यक्ष हैं। |
अद्यतन | 17:52, 6 अक्टूबर 2012 (IST)
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डॉ. विमलेश कांति वर्मा (अंग्रेज़ी: Vimlesh Kanti Verma, जन्म: 4 जुलाई, 1943, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश) ने पिछले चार दशकों से भी अधिक समय से निरंतर अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, कोश निर्माण, पाठालोचन, अनुवाद और सांस्कृतिक अध्ययन के क्षेत्र में अपनी देश-विदेश में सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है।
जीवन परिचय
डॉ. विमलेश कांति वर्मा का जन्म 4 जुलाई, 1943 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था।
- शिक्षा
- एम्. ए., डी. फिल. हिंदी (इलाहाबाद विश्वविद्यालय)
- एम्. लिट. भाषाविज्ञान (भाषा विज्ञान)
- साहित्य रत्न हिंदी साहित्य सम्मलेन, प्रयाग
- एडवांस डिप्लोमा इन बल्गारियन भाषा और साहित्य, दिल्ली विश्वविद्यालय
- फेलो ऑफ़ रोयल एशियाटिक सोसाईटी ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड, (एफ आर ए एस) लन्दन
- विशेषज्ञता
- अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, पाठालोचन, कोशविज्ञान, शैली विज्ञान, विदेशी भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण, अनुवाद शाश्त्र
- प्रवासी भारतीय हिंदी साहित्य
- हिंदी राम काव्य एवं कृष्ण काव्य
- व्यवसाय
- विश्वविद्यालय में हिंदी साहित्य और भाषाविज्ञान का अध्यापन दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली (1965 से आज तक)
- टोरोंटो विश्वविद्यालय, कनाडा 1973-1974
- सोफिया विश्वविद्यालय, सोफिया, बल्गारिया 1974 - 1978
- यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ पसिफिक, सुवा, फीजी 1985 - 1986
- फिजी स्थित भारतीय उच्चायोग में प्रथम सचिव (शिक्षा और हिंदी) के पद पर भारतीय राजनयिक के रूप में कार्य (1984 - 1987)
- उपाध्यक्ष, हिंदी अकादमी, दिल्ली सरकार
हिंदी शिक्षण
भारतीय लोकवार्ता और प्रवासी भारतीय हिंदी साहित्य के अध्ययन और अनुसंधान के अलावा विदेशी भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण में आपकी विशेष रुचि रही है। डॉ. वर्मा ने विदेशियों के लिए हिंदी के विविध स्तरीय पाठ्यक्रमों का निर्माण करने के साथ-साथ प्रभावी शिक्षण विधियों का भी विकास किया और स्तरीकृत शिक्षण सामग्री भी तैयार की। आपने विशेषतः फ़िजी, मॉरिशस, सूरीनाम और दक्षिण अफ़्रीका में प्रवासी भारतीयों द्वारा रचे जा रहे सृजनात्मक हिंदी साहित्य की विशिष्ट भाषिक शैलियों पर गंभीर अध्ययन-अनुसंधान किया है।[1]
हिंदी प्रचार-प्रसार
हिंदी के अंतरराष्ट्रीय प्रचार-प्रसार का दृढ़ संकल्प लिए डॉ. विमलेश कांति वर्मा टोरंटो विश्वविद्यालय, कनाडा; सोफ़िया विश्वविद्यालय, बल्ग़ारिया और साउथ पेसिफ़िक विश्वविद्यालय, फ़िजी में हिंदी भाषा और साहित्य का अध्यापन और विदेशी हिंदी शिक्षकों के प्रशिक्षण के अलावा विभिन्न विश्व हिंदी सम्मेलनों और क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलनों में सक्रिय सहभागिता कर चुके हैं। भारतीय राजनयिक के तौर पर आप फ़िजी स्थित भारतीय उच्चायोग में प्रथम सचिव (हिंदी और शिक्षा) के महत्त्वपूर्ण दायित्व का निर्वाह कर चुके हैं।
प्रकाशन
- पुस्तकें ( 23)
- शोध आलेख भाषा साहित्य और संस्कृति सम्बन्धी विषय पर
- (i) अनुसंधान परक ग्रन्थ
- पाठालोचन : सिद्धांत और प्रक्रिया 1967
- भारतेंदु युगीन हिंदी काव्य में लोक तत्त्व 1974
- उचेब्निक पो हिंदी ( हिंदी भाषा) 1976
- फोनेतिका न हिंदी ( हिंदी ध्वनिया : : सिद्धांत और अभ्यास) 1978
- बल्गार्सको-हिंदी रेचनीक( बल्गारियन - हिंदी शब्दकोश) 1978
- हिंदी और उसकी उपभाषाएं 1995
- हिंदी: राष्ट्रभाषा से राजभाषा तक 1996
- हिंदी मत और अभिमत 1996
- फिजी में हिंदी स्वरूप और विकास 2000
- फिजी का सृजनात्मक हिंदी साहित्य 2012
- लेर्नार्स हिंदी- इंग्लिश डिक्शनरी 2006
- Studies in Hindi: A Comprehensive bibliography 2007
- (ii) संपादित ग्रन्थ
- बल्गारियन हिंदी अनुवाद विशेषांक 1988
- कोश विशेषांक
- विदेश में हिंदी विशेषांक 2004
- भाषा साहित्य और संस्कृति 2007
- अनुवाद और तत्काल भाषांतरण 2009
- (iii) अनूदित ग्रन्थ (मूल बल्गारियन भाषा से)
- बेला विदा की 1991
- आड़ू चोर 1992
- सेप्तेम्व्री 1993
- बल्गारिया का इतिहास 1981
- तुम्हे गुस्सा आ रहा है 1993
- (iiv) विविध
23 गंगा 2001
देश-विदेश यात्रा
डॉ. विमलेश कांति वर्मा ने देश और विदेश के अनेक राष्ट्रीय और अंतर राष्ट्रीय अधिवेशनों में प्रतिभागिता के लिए देश-विदेश की विभिन्न यात्राएँ की। जैसे- भारत, अमरीका, रूस, उज्बेकिस्तान, नेपाल, ओमान, बल्गारिया, फीजी, सूरीनाम, दक्षिण अफ्रीका आदि अनेक देश
सम्मान एवं पुरस्कार
- साहित्यिक अनुवाद के माध्यम से बल्गारिया तथा भारत के सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करने में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए बल्गारिया की सरकार द्वारा दो बार प्रदत्त राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित
- 1300 बल्गारिया सम्मान
- लावरोवा क्लोंका सम्मान
- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदत्त श्याम सुन्दर दास पुरस्कार
- हिंदी संस्था संघ, नई दिल्ल्ली द्वारा प्रदत्त गंगा शरण सिंह सम्मान
- केंद्रीय हिंदी संस्थान, भारत सरकार द्वारा प्रदत्त महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विमलेश कांति वर्मा (हिंदी) (पी.एच.पी) केंद्रीय हिंदी संस्थान। अभिगमन तिथि: 6 अक्टूबर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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