श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र (अंग्रेज़ी: Shrikrishna Science Centre) पटना, बिहार में स्थित है। यह केंद्र 'राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद' का एक हिस्सा है। यह देश का पहला और इसके साथ-साथ बिहार का एकमात्र क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र है। इसे वर्ष 1978 में स्थापित किया गया था और इसका नाम बिहार के पहले मुख्यमंत्री के नाम पर रखा गया।
स्थिति
श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र स्थापना के बाद से ही गैर-औपचारिक साधनों से सभी के लिए विज्ञान शिक्षा के विचार को बढ़ावा दे रहा है। यह गांधी मैदान के दक्षिण-पूर्व में एक शांत गली में स्थित है।
विशेषताएँ
इसके बगल में एक सुंदर उद्यान है जो विज्ञान के कुछ सिद्धांतों को प्रदर्शित करने के लिए बनाया गया है। इसके द्वार पर एक बड़ा और रंगीन प्रर्दशन पटल है जिसमें घूमती पवन चक्की का नमूना दिखाया गया है और डायनासोर के आवाज की प्रतिध्वनि भी सुनने को मिलती है। इसके प्रवेश द्वार पर सूर्य घड़ी मौजूद है जिसमें सूर्य की स्थिति के आधार पर समय देखा जा सकता है।[1]
श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र तीन मंजिला भवन है जिसकी प्रत्येक मंजिल विज्ञान से संबंधित विशिष्ट विषयों के लिए समर्पित है। इसके भूतल में फन साइंस गैलरी है जहां वैज्ञानिक सिद्धांतों का प्रदर्शन करने वाले कई प्रकार के उपकरण हैं। मिसाल की तौर पर देखा जाए तो यहां पर एक एनर्जी बॉल है। इन बॉल्स की मदद से एनर्जी को एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित किया जाता है। एक गतिमान गेंद की ऊर्जा से पहिए को घुमाया जाता है। पहिए की ऊर्जा से घंटी बजने लगती है और घंटी की ऊर्जा से जाइलोफोन पर एक मधुर धुन बजाई जाती है। इसके अलावा यहां अन्य प्रदर्शनों में ऑर्गन पाइप, कर्विंग ट्रेन और इनफाइनाइट ट्रेन, मैजिक टैप, लेजी ट्यूब, जादुई गोला; इलूसिव स्फियरद्ध, मोमेंटम मल्टीप्लायर आदि शामिल हैं।
कार्यशाला और सम्मेलन कक्ष
इस मंजिल में एक कार्यशाला और एक सम्मेलन कक्ष भी है। यहां पहली मंजिल में दर्पण अनुभाग और महासागर जीवन खंड सहित कई खंड हैं। यहां इसके अलावा एक फ्लोटिंग बॉल है जो बरनौली के सिद्धांत को बताती है और अपकेंद्रीय बल; सेन्ट्रिफ्यिगल फोर्स पर आधारित एक चक्र; वॉर्टेक्स भी यहां प्रदर्शित किया गया है। इस मंजिल पर सभागार के साथ-साथ, मानव विकास क्रम को प्रदर्शित करनी वाली एक प्रदर्शनी भी है। यहां की तीसरी मंजिल पर पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत को सफाई से प्रदर्शित किया गया है। जिसका थ्रीडी शो हर दो घंटे के बाद प्रतिदिन आयोजित किया जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र (हिंदी) incredibleindia.org। अभिगमन तिथि: 01 मार्च, 2020।