सोमयज्ञ[1] पूरा होने का काल, शरण पाने का स्थान, आश्रयस्थान, साधुओं या निर्धनों आदि को नियमित रूप से मुफ़्त भोजन दिये जाने का स्थान, अन्नसत्र, सदावर्त, लंगर, अधिवेशन, संस्था/सभा आदि की बैठक, शिक्षा-संस्थाओं के कार्य की दृष्टि से वर्ष।
हमारी सभा इस बार लम्बा सत्र चलाकर अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय करेगी।
इन विद्यालयों में सत्र 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है।
विशेष
जो कार्य अनेक व्यक्तियों के सहयोग से किया गया हो और जिसमें बहुतों को ज्ञान, सदाचार आदि की शिक्षा तथा अन्न-वस्त्रादि वस्तुएँ दी जाती हों, जो बहुतों के लिये तृप्तिकारक एवं उपयोगी हो, उसे ‘सत्र’ कहते हैं।