सदस्य:Dinesh Singh
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
फिर से बज गया बिगुल गूंज उठी फिर रणभेरी अपने अपने रथो में सजकर निकल पड़े है फिर महारथी
वही रथी है वही सारथी- दागदार है सैन्य खड़ी - लड़ने को लाचार कारवाँ - कोई अन्य विकल्प नहीं -
भरे हुये बातो का तरकश - प्रतिद्वंदी पर करते प्रहार - गिर गिरकर वो फिर उठते है - नहीं मानते है वो हार
बिछा दिया शतरंजी बाजी - ना नया खेल ना चाल नयी - घुमा फिरा कर वही खेल - खेल वही संकल्प वही
बात बात फिर बात वही - वही रंग पर , ढंग नयी - भटके पैदल राही अन्धकार में - पर रथियों को अहसास नहीं रण की नीति बनाकर बैठा - हर योद्धा शातिर मन वाला - कुछ भी कर गुजरेंगे वो - बस मिले जीत की जय माला