स्राओशा
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स्राओशा पारसी धर्म में एक देवता, जो 'अहुर मज़्दा' के संदेश वाहक एवं दैवी जगत के मूर्तरूप हैं। उनका नाम 'सुनने' के लिए प्रयुक्त अवेस्ताई शब्द से संबद्ध है, जो मनुष्य द्वारा 'अहुर मज़्दा' के शब्दों को निष्ठापूर्वक ध्यान से सुनने का संकेत देता है। यह 'अहुर मज़्दा' की सर्वव्याप्त श्रवण क्षमता का भी परिचायक है।[1]
- स्राओशा मानव एवं भगवान के बीच माध्यम है। वह पारसी उपासना पद्धपि में काफ़ी महत्त्वपूर्ण है।
- पारसी लोगों का विश्वास है कि स्राओशा की उपस्थिति के बिना कोई भी अनुष्ठान वैध नहीं है।
- इस देवता का चित्रण एक सशक्त एवं पवित्र युवक के रूप में होता है, जिनका स्वर्गीय आवास हज़ार खंभों वाला मकान है तथा जो संरक्षण की भूमिका भी निभाते हैं।
- 'अहुर मज़्दा' स्राओशा को ही मनुष्यों पर अत्याचार करने वाले दानवों को को दंडित करने के लिए भेजते हैं। उनकी खोपड़ीयों को कुचलकर उनसे निपटने के लिए वह रात में तीन बार पृथ्वी पर आते हैं।
- इनका सबसे शाक्तिशाली हथियार प्रार्थना है। काल के समापन पर वह बुराई (दुष्टता) के अंतिम विनाश का कारण होंगे।
- स्राओशा धर्मपरायण व्यक्ति की शरीरिक मृत्यु के तीन दिन बाद ईश्वरीय निर्णय की दिव्य परीक्षा द्वारा उसकी आत्मा का मार्गदर्शन करते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत ज्ञानकोश, खण्ड-6 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 129 |