हंस, कौआ और एक मुसाफिर की कहानी हितोपदेश की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है जिसके रचयिता नारायण पंडित हैं।
कहानी
उज्जयिनी के मार्ग में एक पाकड़ का पेड़ था। उस पर हंस और काग रहते थे। एक दिन गरमी के समय थका हुआ, कोई मुसाफिर उस पेड़ के नीचे धनुषबाण रखकर सो गया। वहाँ थोड़ी देर में उसके मुख पर से वृक्ष की छाया ढल गई। फिर सूर्य के तेज से उसके मुख को तपता हुआ देख कर उस पेड़ पर बैठे हुए हँस ने दया विचार कर पंखों को पसार फिर उसके मुख पर छाया कर दी। फिर गहरी नींद के आनंद से उसने मुख फाड़ दिया।
बाद में पराये सुख को नहीं सहने वाला वह काब दुष्ट स्वभाव से उसके मुख में बीट करके उड़ गया। फिर जो उस बटोही ने उठ कर ऊपर जब देखा तब हंस दीख गया, उसे बाण मारा उसे बाण से मार दिया और हंस मर गया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
हितोपदेश की कहानियाँ |
---|
|
एक क्षत्रिय, नाई और भिखारी की कहानी • एक बनिया, बैल, सिंह और गीदड़ों की कहानी • एक ब्राह्मण, बकरा और तीन धुता की कहानी • कबूतर, काक, कछुआ, मृग और चूहे की कहानी • कौए का जोड़ा और काले साँप की कहानी • धूर्त गीदड़ और हाथी की कहानी • धोबी, धोबन, गधा और कुत्ते की कहानी • नील से रंगे हुए एक गीदड़ की कहानी • पक्षी और बंदरों की कहानी • बंदर, घंटा और कराला नामक कुटनी की कहानी • बाघंबर ओढ़ा हुआ धोबी का गधा और खेत वाले की कहानी • बूढ़े बगुले, केंकड़े और मछलियों की कहानी • भैरव नामक शिकारी, मृग, शूकर, साँप और गीदड़ की कहानी • माधव ब्राह्मण, उसका बालक, नेवला और साँप की कहानी • मृग, काक और गीदड़ की कहानी • राजकुमार और उसके पुत्र के बलिदान की कहानी • सन्यासी और एक चूहे की कहानी • सिंह और बूढ़ शशक की कहानी • सिंह, चूहा और बिलाव की कहानी • सुन्द, उपसुन्द नामक दो दैत्यों की कहानी • सुवर्णकंकणधारी बूढ़ा बाघ और मुसाफिर की कहानी • हंस, कौआ और एक मुसाफिर की कहानी • हाथियों का झुंड और बूढ़े शशक की कहानी • हितोपदेश |
|