अभिजीता गुप्ता (अंग्रेज़ी: Abhijeeta Gupta) भारत की सबसे कम आयु की लेखिका हैं। महज सात की अभिजीता गुप्ता को 'इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' ने सबसे कम उम्र की लेखिका होने का खिताब दिया है। गाजियाबाद की यह बच्ची कक्षा दो में है। जब स्कूल बंद थे तो वक्त का इस्तेमाल करते हुए किताब लिखी। अब बच्चों पर कोरोना महामारी के असर पर किताब लिख रही हैं।
परिचय
राष्ट्रकवि स्वर्गीय मैथिलीशरण गुप्त की सात साल की पड़पोती अभिजीता गुप्त ने महज सात साल की उम्र में वह काम कर दिखाया है, जिसे करने में किसी व्यक्ति को कई साल लग जाते हैं। अभिजीता गुप्ता ने किताब लिख डाली है। उसकी पहली किताब रिलीज हुई है, जिसका नाम है- 'हैप्पीनेस ऑल अराउंड'। अभिजीता अभी दूसरी कक्षा में पढ़ती है। पांच साल की उम्र से अभिजीता ने लिखना शुरू कर दिया था। वह अपने माता-पिता के साथ गाजियाबाद में रहती हैं। उनके पिता चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और मां इंजीनियर रही हैं।
लेखन
दादा के अनूठे संस्कारों की छांव में पली-बढ़ी अभिजीता गुप्ता यह किताब लिखने के बाद सबसे कम उम्र की लेखिका बन गई है। उसका नाम अब तक 'एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' और 'इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में दर्ज हो चुका है। अभिजीता ने इस किताब को महज तीन महीने में लिख दिया था। किताब में उसकी उर्वर कल्पना स्पष्ट दिखती है। जब वह महज पांच साल की थीं, तब अपने माता-पिता से लिखने के लिए कॉपी और पेंसिल मांगा करती थीं। अभिजीता ने अपनी पहली कहानी 'द एलिफेंट एडवाइज' लिखी थी, उनकी पहली कविता का नाम 'ए सनी डे' है।
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