बाबू तोताराम (अंग्रेज़ी: Babu Totaram, जन्म- 1847; मृत्यु- दिसंबर, 1902) भारतीय साहित्यकार थे, जिन्होंने हिन्दी के विकास तथा उसके हितसाधन हेतु काफी कार्य किया। इन्होंने 'भाषासंवर्द्धिनी' नाम की एक सभा भी स्थापित की थी।
परिचय
बाबू तोताराम जाति के कायस्थ थे। इनका जन्म 1847 में हुआ था। बी. ए. पास करके ये हेडमास्टर हुए पर अंत में नौकरी छोड़कर अलीगढ़ में प्रेस खोलकर 'भारतबंधु' पत्र निकालने लगे। हिंदी को हर एक प्रकार से हितसाधन करने के लिये जब भारतेंदु हरिश्चंद्र खड़े हुए थे, उस समय उनका साथ देने वालों में ये भी थे।
लेखन कार्य
बाबू तोताराम ने "भाषासंवर्द्धिनी" नाम की एक सभा स्थापित की थी। ये हरिश्चंद्र-चंद्रिका के लेखको में से थे। उसमें 'कीर्तिकेतु' नाम का इनका एक नाटक भी निकला था। ये जब तक रहे, हिंदी के प्रचार और उन्नति में लगे रहे। इन्होंने कई पुस्तकें लिखकर अपनी सभा के सहायतार्थ अर्पित की थीं, जैसे- "केटोकृतात नाटक" (अँगरेजी का अनुवाद), स्त्रीसुबोधिनी। भाषा इनकी साधारण अर्थात् विशेषतारहित है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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