केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल
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विवरण | केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल का प्रमुख कार्य क़ानून व्यवस्था को बनाए रखना, अति विशिष्ठ लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा देश के आंतरिक हिस्सों में असामाजिक तत्त्वों से निपटना है। |
स्थापना | 27 जुलाई, 1939 |
संक्षिप्त नाम | सीआरपीएफ़ या केरिपुब या CRPF |
नियुक्ति | केरिपुब में अराजपत्रित स्तर पर सीधे नियुक्तियां उप निरीक्षक (सामान्य ड्यूटी), आरक्षक (सामान्य ड्यृटी), आरक्षक (तकनीकी/ट्रेड) तथा केरिपुब अनुयायियों के रूप में होती हैं। |
संबंधित लेख | केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल स्थापना दिवस |
अन्य जानकारी | केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल मूलत: क्राउन रिप्रेंजेन्टेटिव पुलिस के नाम से 27 जुलाई, 1939 को नीमच मध्य प्रदेश में प्रथम बटालियन के साथ स्थापित किया गया। स्वतंत्रता के बाद क्राउन रिप्रेजेन्टेटिव पुलिस को केरिपु बल में परिवर्तित कर दिया गया। |
बाहरी कड़ियाँ | आधिकारिक वेबसाइट |
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (अंग्रेज़ी: Central Reserve Police Force, संक्षिप्त नाम: केरिपुब या CRPF) की कई भूमिकाएँ हैं। यह बल राज्य सरकारों की आवश्यकतानुसार उनके प्रशासन द्वारा दिए गए आदेशों के मुताबिक़ भी कार्य करता है। बल का प्रमुख कार्य क़ानून व्यवस्था को बनाए रखना, अति विशिष्ठ लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा देश के आंतरिक हिस्सों में असामाजिक तत्त्वों से निपटना भी इसके प्रमुख कार्यों में से है।
स्थापना
इस बल की स्थापना अपराधियों और डकैतों से निपटने के लिए 27 जुलाई 1939 में क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में हुई थी, लेकिन इस बल से अपेक्षाएं निरंतर बढ़ती जा रही हैं। पिछले दशकों में इसने अपने कौशल और दक्षता का परिचय देते हुए घरेलू मोर्चे पर शत्रु को चुनौती दी है। चाहे वह वामपंथी उग्रवादियों का क्षेत्र हो, पूर्वोत्तर का जोखिम भरा पहाड़ी इलाका हो, पंजाब के कट्टर उग्रवादी हों या जम्मू-कश्मीर में पनप रहे आतंकवादी हों, केंद्रीय रिज़र्व पुलिस हर परीक्षा में उतारी जाती है। उग्रवादियों के साथ संघर्ष करने के अलावा केंद्रीय रिज़र्व पुलिस ने आम चुनावों, अमरनाथ यात्रा, जम्मू-कश्मीर आंदोलन, कंधमाल की घटना जैसी अनेक परिस्थितियों में क़ानून और व्यवस्था बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाई है। राष्ट्रीय आपदा के समय भी केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल सहयोग करने वाले बलों में सबसे आगे दिखाई देता है।[1]
महत्त्वपूर्ण कार्य
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस आज तीन कठिन क्षेत्रों में संघर्ष कर रहा है-पूर्वोत्तर क्षेत्र विद्रोह, जम्मू-कश्मीर उग्रवाद और वामपंथी उग्रवाद यानि नक्सलियों से प्रभावित क्षेत्र। नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस की मौजूदगी और लगातार उसकी गतिविधियों के परिणामस्वरूप नक्सलवाद के कारण मरने वाले लोगों की संख्या में कुछ कमी आई है और बड़ी संख्या में गैर-कानूनी हथियार भी बरामद हुए हैं। 24 नवंबर 2011 को योजनाबद्ध कार्रवाई में सीआरपीएफ और इसके विशिष्ट संगठन कोबरा के कमांडो को बहुत बड़ी कामयाबी मिली। एक ओर तो सीआरपीएफ ने नक्सलियों के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़अपनाया और बड़ी आक्रामक कार्रवाई की, दूसरी ओर उनके बीच नागरिक कल्याण कार्यक्रम भी शुरू करके उनके समाज की बेहतरी के लिए कार्य किया है।[1] केरिपुब द्वारा किए जाने वाले महत्त्वपूर्ण कार्य इस प्रकार हैं:
- भीड़ नियंत्रण
- दंगा नियंत्रण
- आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन
- वाम चरमपंथ से निपटना
- मतदान के समय तनावग्रस्त इलाकों में बड़े स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था करना
- अति विशिष्ठ लोगों तथा स्थलों की सुरक्षा
- पर्यावरण एवं जीवों का संरक्षण
- युद्ध काल में आक्रमण से बचाव
- संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति मिशन में शामिल होना
- प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत एवं बचाव कार्य करना
नियुक्ति
केरिपुब में अराजपत्रित स्तर पर सीधे नियुक्तियां उप निरीक्षक (सामान्य ड्यूटी), आरक्षक (सामान्य ड्यृटी), आरक्षक (तकनीकी/ट्रेड) तथा केरिपु अनुयायियों के रूप में होती हैं।
प्रशिक्षण
प्रशिक्षण और मनोबल किसी भी वर्दीधारी बल की रीढ़ की हड्डी होते हैं। आजकल जिस तरह से कार्रवाई करनी होती है, उसे देखते हुए प्रत्येक जवान को हर लिहाज़ से स्वावलंबी होना होता है। उसके पास रात को देखने के लिए उपकरण, आधुनिक हथियार और इन हथियारों को चलाने की योग्यता तथा उच्च तकनीक वाले रेडियो संपर्क उपकरण, भू-स्थिति प्रणाली (जीपीएस), नक्शों की समझ और वनों की जानकारी होनी चाहिए, जोकि आज के समय की ज़रूरत है। सीआरपीएफ को जिस तरह से तरह-तरह के कार्य करने पड़ते हैं, उसे देखते हुए इसके प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में सुधार किया गया है। इसके लिए जवानों को कई तरह के अभ्यास (ड्रिल) कराए जा रहे हैं, जैसे यूनिफॉर्म ड्रिल, हथियार ड्रिल, वाहन ड्रिल, रात्रि ड्रिल, खेल ड्रिल आदि। आत्म-विश्वास बढ़ाने के लिए हेली-स्लिदरिंग का कठिन अभ्यास किया जाता है। जंगल में रहने के लिए एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाता है। इन सबका उद्देश्य वास्तविक परिस्थितियों में संघर्ष के लिए प्रशिक्षण देना है।
बुनियादी प्रशिक्षण के बाद अधिकारियों के लिए सिलचर (असम) या शिवपुरी (मध्य प्रदेश) में विद्रोहियों का मुकाबला करने और आतंकवादियों से संघर्ष करने से संबंधित पाठ्यक्रम अनिवार्य बना दिया गया है। इससे उन्हें नक्सलवादी इलाकों में कारगर नेतृत्व प्रदान करने में मदद मिलती है। तेरह अलग-अलग स्थानों पर 50 मीटर से लेकर 200 मीटर के बाधा-क्षेत्र बनाए गए हैं। गतिशील लक्ष्यों से वास्तविक स्थिति जैसा अहसास होता है। प्रशिक्षकों की उपलब्धता बनाए रखने के लिए प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण का एक पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। इसके लिए प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण देने वालों को विशेष प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे उनकी सोच मजबूत होती है। कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए और जवानों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष प्रणाली-बड्डी सिस्टम की शुरूआत की गई है। तरह-तरह की परिस्थितियों में सीआरपीएफ की कार्यक्षमताओं को बढ़ाने की दृष्टि से देशभर में विशिष्ट कौशलों के विकास के लिए स्कूल स्थापित किए गए हैं। इन्हें आधारभूत, प्रोत्साहित, विशेष तथा निर्देशात्मक प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है और इससे संबंधित कई पाठ्यक्रम विभिन्न संस्थानों में संचालित किए जाते हैं।[1]
- आंतरिक सुरक्षा अकादमी
- सीधे नियुक्त राजपत्रित अधिकारी (सहायक कमांडेंट) मूल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम
- केंद्रीय प्रशिक्षण कॉलेज- I
- केंद्रीय प्रशिक्षण कॉलेज - II
- केंद्रीय प्रशिक्षण कॉलेज- III
- नवनियुक्त आरक्षकों के लिए प्रशिक्षण केंद्र
कल्याण
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस नक्सलियों के बीच नागरिक कल्याण से संबंधित कार्यक्रम चला रही है, जो बुनियादी तौर पर समाज के कमज़ोर वर्गों और छात्रों की सहायता के कार्यक्रम हैं। ये कार्यक्रम ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में चलाए जा रहे हैं, जहां अभी तक स्थानीय प्रशासन पहुंच ही नहीं पाया है। इस प्रकार उन क्षेत्रों में इन कार्यक्रमों ने प्रशासन और स्थानीय जनता के बीच एक पुल का काम किया है और ज़िला प्रशासन को स्थानीय लोगों की समस्याओं की सीधे जानकारी मिल रही है। हालांकि इस समय बल का ज्यादा ध्यान नक्सलवाद प्रभावित इलाकों में है, लेकिन जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर क्षेत्र की समस्याओं को भी नजरअंदाज़नहीं किया गया है, वहां लगातार निगरानी के साथ-साथ राष्ट्र विरोधी तत्वों पर नजर रखी जा रही है।[1] सेवारत कार्मिकों के कल्याण के लिए निम्नलिखित सुविधाएं तथा व्यवस्थाएं केरिपुब प्रणाली में दी गई हैं:
- किसी भी ग्रुप केंद्र में मुफ़्त सपरिवार रहने के लिए आवास
- सभी यूनिटों में इनडोर तथा आउटडोर खेलों की सुविधा
- मनोरंजन की पर्याप्त सुविधाएं
- हर कार्यालय में शिकायत निवारण तंत्र
- मुफ़्त स्कूल बस सुविधा
- परिवारों के लिए परिवार कल्याण केंद्र, जहां घर की महिलाएं सिलाई, कढ़ाई तथा बुनाई सीख भी सकती हैं और अपने लिए आय भी अर्जित कर सकती हैं।
- बच्चों की पढ़ाई के लिए 37 स्थानों पर मोंटेसरी स्कूलों की स्थापना की गई है। जहां पर कार्मिकों के बच्चे नियमित रूप से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
- बच्चों की नियमित शिक्षा के लिए 21 स्थानों पर केंद्रीय विद्यालय की स्थापना भी गई है।
आर्थिक सहायता
रेल मंत्रालय ने भी पूर्वोत्तर क्षेत्र, जम्मू-कश्मीर तथा मध्य और दक्षिणी क्षेत्र में, इन क्षेत्रों में कम से कम एक वर्ष तक कार्य करने वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों के लिए नियमित आधार पर 7 रेलगाड़ियों में अतिरिक्त डिब्बा लगाने को स्वीकृति दे दी है। सेवाकाल के दौरान मृत्यु होने पर दिवंगत के लिए परिवारों के जोखिम कोष के लाभ भी बढ़ा दिए गए हैं। इनमें से कुछ राशि अभिभावकों को दी जाती है। विभिन्न कार्रवाईयों में घायलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विकलांगता लाभ की राशि विभिन्न प्रकार की विकलांगताओं के लिए 2 से 4 गुणा तक कर दी गई है। परिवारजनों को अंत्येष्टि के लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता की राशि को 10 हजार रूपए से बढ़ाकर 15 हजार कर दी गई है। इस तरह केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल अपने आदर्श वाक्य-सेवा और कर्तव्य-परायणता के अनुसार कार्य कर रहा है।[1]
सेवानिवृत्त कर्मियों का कल्याण
- कल्याण एवं पुनर्वास निदेशालय सेवानिवृत्त हो चुके अधिकारियों/कर्मचारियों को पुनर्रोजगार के सभी मौकों के बारे में जानकारी देता रहता है तथा मार्गदर्शन भी उपलब्ध कराता है।
- परिजन को गंभीर बीमारी में आर्थिक सहायता व इलाज मुहैया करना।
- हर वर्ष एमबीबीएस की प्रवीण्य सूची में 7 तथा बीडीएस की प्रवीण्य सूची में एक सीट सीआरपीएफ कार्मिकों के बच्चों के लिए आरक्षित रहती है।
- दिल्ली के पॉलिटेक्नीक्स की सीटों में आरक्षण
- सीजीएचएस तथा सीपीएमएएफ अस्पतालों में इलाज की सुविधा तथा 100/- प्रति माह का मेडिकल भत्ता
- प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत सेवानिवृत्त कर्मियों को बेटे की पढ़ाई के लिए 18000/- रुपए प्रतिवर्ष तथा बेटी की पढ़ाई के लिए 15,000/- रुपए प्रतिवर्ष दिया जाता है, ताकि वो तकनीकी तथा व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण कर सकें। उपरोक्त छात्रवृत्ति एसएम तथा निरीक्षक स्तर तक ही लागू है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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