अद्वैतवासियों का मत है कि अंतःकरण पर पड़ने वाला चैतन्य स्वरूप परब्रह्म का आभास ही चिदाभास (अंग्रेज़ी: Chidabhasa) है। इसी प्रतिविम्ब के पड़ने से ज्ञान उत्पन्न होता है और यह ज्ञान माया के संयोग से अनेक रूपों में दिखाई देता है।[1]
- वेदांत में चिदाभास की छ: अवस्थाएं बताई गई हैं-
- अज्ञान
- आवरण
- परोक्ष ज्ञान
- शोकनाश
- विक्षेप
- आनंदव्याप्ति
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय संस्कृति कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: राजपाल एंड सन्ज, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 333 |