कोल इण्डिया लिमिटेड
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देश | भारत |
प्रकार | सार्वजनिक प्रतिष्ठान सरकारी |
उद्योग | कोयला |
स्थापना | नवंबर 1975 |
मुख्यालय | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
स्वामित्व | कोयला मंत्रालय |
अन्य जानकारी | पर्यावर्ण संरक्षण हेतु कोल इंडिया द्वारा प्रतिबर्ष ओबी डंपों पर, ढुलाई सड़कों के किनारे, खदानों, आवासीय कॉलोनियों और अन्य उपलब्ध भूमि पर व्यापक वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाए जाते हैं। |
अद्यतन | 15:10, 6 अप्रॅल 2022 (IST)
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कोल इण्डिया लिमिटेड (अंग्रेज़ी: Coal India Limited or CIL) भारत का सार्वजनिक प्रतिष्ठान है। यह भारत और विश्व में सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी है। यह भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है, जो कोयला मंत्रालय, भारत सरकार के अधीनस्थ है। यह कोयला खनन एवं उत्पादन में लगी कंपनी है। यह अनुसूची 'ए' ‘नवरत्न’ सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। इसका मुख्यालय कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है। 31 मार्च 2010 तक इसके संचालन में भारत के आठ राज्यों के 21 प्रमुख कोयला खनन क्षेत्रों के 471 खान थे।
स्थापना
राज्य के स्वामित्व वाला कोयला खनन निगम कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) नवंबर 1975 में अस्तित्व में आया। इसकी स्थापना के वर्ष में 79 मिलियन टन (एमटी) के साधारण उत्पादन करने वाली सीआईएल, आज विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक तथा 2,59,016 (1 अप्रैल 2021 तक) की श्रमशक्ति के साथ सबसे बड़े कॉर्पोरेट नियोक्ता में से एक है। भारत के आठ (8) राज्यों में विस्तृत सीआईएल 85 खनन क्षेत्रों में अपनी अनुषंगी कंपनियों के माध्यम से कार्य करता है।[1]
खदानें
कोल इंडिया लिमिटेड की 345 खदानें हैं (1 अप्रैल, 2021 तक) जिनमें से 151 भूमिगत, 172 ओपन कास्ट और 22 मिश्रित खदानें हैं। वर्तमान में सीआईएल 35.38 एमटीवाई की कुल धुलाई क्षमता के साथ 13 कोयला वाशरी का संचालन कर रहा है (इनमें से 11 कोकिंग कोल वाशरी तथा शेष 2 नॉन-कोकिंग कोल वाशरी हैं) तथा अन्य प्रतिष्ठानों जैसे कार्यशालाओं, अस्पतालों आदि का भी प्रबंधन करता है। सीआईएल में 20 प्रशिक्षण संस्थान और 86 व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र हैं। भारतीय कोयला प्रबंधन संस्थान (आईआईसीएम) अत्याधुनिक प्रबंधन प्रशिक्षण 'उत्कृष्टता केंद्र' - भारत का सबसे बड़ा कॉर्पोरेट प्रशिक्षण संस्थान - सीआईएल के अधीन कार्यरत है जो बहु-अनुशासनात्मक कार्यक्रम आयोजित करता है।
महारत्न कंपनी
सीआईएल एक महारत्न कंपनी है, जो भारत सरकार द्वारा राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का चयन करने, उन्हें अपने संचालन का विस्तार करने और वैश्विक दिग्गजों के रूप में उभरने के लिए सशक्त बनाने के लिए एक विशेषाधिकार प्राप्त स्थिति है। इस चुनिंदा क्लब में देश के तीन सौ से अधिक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में से केवल दस सदस्य हैं।
अनुषंगी कंपनियां
सीआईएल की सात उत्पादक अनुषंगी कंपनियां हैं, जिनके नाम ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल), भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल), सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल), वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल), साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) और महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) है तथा सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआईएल) नामक एक खान योजना और परामर्शदात्री कंपनी भी है। इसके अलावा, सीआईएलकी मोजाम्बिक में कोल इंडिया अफ्रीकाना लिमिटाडा (सीआईएएल) नाम की एक विदेशी अनुषंगी कंपनी है। असम की खदानों अर्थात नॉर्थ ईस्टर्न कोलफील्ड्स का प्रबंधन प्रत्यक्ष रुप से सीआईएल द्वारा किया जाता है।[1]
सीआईएल ने गैर-पारंपरिक/स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के विकास के लिए दो नई अनुषंगी कंपनियों यथा सीआईएल नवी करणीय ऊर्जा लिमिटेड तथा सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल के विकास के लिए सीआईएल सोलर पीवी लिमिटेड को शामिल किया है। महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड की चार अनुषंगी कंपनियां हैं जिसमें एमजेएसजे कोल लिमिटेड, एमएनएच शक्ति लिमिटेड, महानदी बेसिन पावर लिमिटेड, नीलांचल पावर ट्रांसमिशन कंपनी प्राइवेट लिमिटेडहैं।
एसईसीएल की दो अनुषंगी कंपनियां हैं- मैसर्स छत्तीसगढ़ ईस्ट रेलवे लिमिटेड (सीईआरएल), मैसर्स छत्तीसगढ़ ईस्ट-वेस्ट रेलवे लिमिटेड (सीईडब्ल्यूआरएल) सीसीएल की एक अनुषंगी कंपनी - झारखंड सेंट्रल रेलवे लिमिटेड है।
उत्पादन और विकास
2020-2021 के दौरान, सीआईएल ने चुनौतीपूर्ण और प्रतिकूल परिस्थितियों में 596.22 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर लक्ष्य का 90% प्राप्त किया है। एनसीएल ने विगत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 6.5% द्धि करते हुए लक्षित उत्पादन का 102 प्रतिशत हासिल किया है। एसईसीएल ने लगातार तीसरे वर्ष 150 मिलियन टन से अधिक का उत्पादन करने का गौरव बरकरार रखा और एमसीएल ने पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 5.5% की वृद्धि के साथ 148.01 मिलियन टन का उत्पादन हासिल किया। 31 मार्च, 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में कच्चे कोयले का उठाव 574.481 एमटी और अधिभार निकासी (ओबीआर) 1344.68 मि.क्यू.मी. रहा। 2020-21 के दौरान कोयले और कोयला उत्पादों का प्रेषण 573.60 मिलियन टन तथा विद्युत उपयोगिताओं (विशेष फॉरवर्ड ई-नीलामी सहित) को प्रेषण 444.97 मीट्रिक टन रहा।
परियोजनाएं
890.41 मिलियन टन की वार्षिक क्षमता वाली 122 खनन परियोजनाएं चल रही हैंजिन्होंने वर्ष 2020-21 में 417.07 मिलियन टनका योगदान दिया है। 1 बिलियन टन योजना के अनुसार,वित्त वर्ष 2023-2024 तक सीआईएलके कोयला उत्पादन को 1 बिलियन टन तक बढ़ाने के लिए 289.4 मिलियन टन प्रतिवर्षकी वृद्धिशील क्षमता वाली उनतालीस (49) भावी परियोजनाओं को चिन्हित किया गया है।[1]
स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी
स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी के विकास और कोयले के वैकल्पिक उपयोग की दिशा में पहल के तहत, सीआईएल दानकुनी कोल कॉम्प्लेक्स (डीसीसी) में कोल-टू-मेथनॉल संयंत्र स्थापित करके एकल आधार पर कोयला-से-रसायन क्षेत्र में उद्यम की संभावनाएं तलाशी जा रही है। रानीगंज कोयला क्षेत्रों से प्राप्त कोयले को सिन्गैस उत्पादन के लिए गैसीकृत किया जाएगा, तदुपरांत उसे मेथनॉल में परिवर्तित किया जाएगा।
उपभोक्ता संतुष्टि
उपभोक्ता संतुष्टि सीआईएल के लिए एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है और उपभोक्ता संतुष्टि को बढ़ाने के लिए खदान से लेकर प्रेषण बिंदु तक कोयले के गुणवत्ता प्रबंधन पर विशेष जोर दिया गया है। सीआईएल के सभी उपभोक्ताओं को स्वतंत्र तृतीय-पक्ष नमूना एजेंसियों के माध्यम से गुणवत्ता मूल्यांकन कराने का विकल्प है।सीआईएल द्वारा एक पोर्टल 'उत्तम' लॉन्च किया गया है ताकि कोयला कंपनियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए कोयले की गुणवत्ता की जानकारी सुलभ हो सके।
पर्यावरण संरक्षण
सीआईएल पर्यावरण के साथ अपने संचालन के तदात्म्य को बढ़ाने तथा एकीकृत कोयला खनन को बढ़ाने के अपने दायित्व के प्रतिसतत प्रतिबद्ध है। कोल इंडिया द्वारा प्रतिबर्ष ओबी डंपों पर, ढुलाई सड़कों के किनारे, खदानों, आवासीय कॉलोनियों और अन्य उपलब्ध भूमि पर व्यापक वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाए जाते हैं। मार्च 2021 तक लगभग 40,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में लगभग 100 मिलियन पेड़ लगाए गए हैं। 2020-2021 के दौरान, 861.81 हेक्टेयर भूमि को आच्छादित करते हुए 1.98 मिलियन पेड़ लगाए गए हैं।वित्त वर्ष 2021-2022 में, सीआईएल ने लगभग 1310 हेक्टेयर भूमि में देशी/स्थानीय प्रजातियों को लगाने का लक्ष्य रखा है।सीआईएल ने वैज्ञानिक अध्ययन के लिए आईसीएफआरई तथा एनईईआरआई जैसे प्रमुख भारतीय वैज्ञानिक संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन किया है तथा देशी प्रजातियों के साथ पारिस्थितिकी-पुनर्स्थापन स्थलों और त्रि-स्तरीय वृक्षारोपण के विकास में भी सहायता की है।
ऊर्जा संरक्षण
सीआईएल के लिए ऊर्जा संरक्षण एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है और विशिष्ट ऊर्जा खपत में कमी लाने की दिशा में विभिन्न उपाय किए गए हैं। खदान की रोशनी, भूमिगत प्रकाश, सड़कों पर प्रकाश, कार्यालय और अन्य कार्य स्थल, उपनगर आदि के लिए अधिकांश स्थानों पर उच्च वॉट क्षमता वाले प्रकाशमान / पारंपरिक प्रकाश फिटिंग को उपयुक्त वॉट क्षमता वाले कम बिजली की खपत वाले एलईडी के साथ बदल दिया गया है जिसके परिणामस्वरूप बिजली की खपत में क्षमता बड़ी बचत आई है। 2020-21 में लगभग रु. 8 करोड़ की ऊर्जा लागत बचत के साथ विभिन्न वॉट क्षमता रेटिंग वाले 98,522 एलईडी प्रकाश (ईसीएल-5752, एमसीएल-18378, डब्ल्यूसीएल-9490, एनसीएल-32207, बीसीसीएल-5000, एसईसीएल-18521, सीसीएल-6000, सीएमपीडीआईएल-790 और सीआईएल मुख्यालय - 2384 संख्याएँ) स्थापित किये गये हैं।[1]
ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा के उपयोग के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैंजैसे किलो-वॉट स्केल रूफटॉप में सोलर प्लांट सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं। 2020-21 से पूर्व स्थापित सौर क्षमता: ग्राउंड माउंटेड - 2000 के डब्ल्यू (एमसीएल) और रूफ टॉप सोलर- 2862.3 के डब्ल्यू (सभी अनुषंगी कंपनियों और सीआईएलमुख्यालय सहित) है। 2020-21 में सौर क्षमता वृद्धि: बीसीसीएल में 350 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर तथा मार्च 2021 में सीएमपीडीआई आरआई-I, नागपुर में 100 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर शुरु किया गया था। सीआईएल ने ऊर्जा दक्षता कार्यक्रमों के निर्माण, ई-वाहनों को किराए पर लेने और वितरित सौर परियोजनाओं की स्थापना के लिए मेसर्स ईईएसएल (एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया हैं।
परियोजना निगरानी प्रणाली
सीआईएल ने कोयला परियोजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए वेब आधारित ऑनलाइन निगरानी प्रणाली विकसित की है। पोर्टल में मुख्य विशेषताएं, भूमि, आर एंड आर, ईसी, उत्पादन, वित्तीय जानकारी, उपलब्धियों आदि से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी है। जिसे नियमित रूप से अद्यतन किया जाता है। पोर्टल पर अपलोड की गई जानकारी के आधार पर परियोजनाओं प्रगति की समीक्षा की जाती है।
सुरक्षा नीति
सीआईएल के मिशन उक्ति में जैसे वर्णित है सीआईएल के प्रचालनों में सुरक्षा को प्रमुख महत्व दिया गया है।खानों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीआईएल की एक सुस्पष्ट सुरक्षा नीति है।
अक्षय ऊर्जा
सीआईएल नवकरणीय ऊर्जा लिमिटेड का गठन अक्षय ऊर्जा (गैर-पारंपरिक) भाग के क्षेत्र में उद्यम करने के लिए किया गया है। इसमें सौर, पवन, स्मॉल हाइड्रो, बायोमास, जियो-थर्मल, हाइड्रोजन, टाइडल आदि शामिल हैं। सीआईएल ने गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) द्वारा आयोजित प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से 100 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना हासिल कर अपने नियंत्रण क्षेत्रों के बाहर अपनी पहली वाणिज्यिक सौर परियोजना प्राप्त की है। एक अन्य अनुषंगी, सीआईएल सोलर पीवी लिमिटेड का गठन संपूर्ण सोलर पीवी विनिर्माण मूल्य श्रृंखला का नया व्यवसाय करने के लिए किया गया है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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