प्रोतुल चन्द्र सरकार

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प्रोतुल चन्द्र सरकार
पी. सी. सरकार
पी. सी. सरकार
पूरा नाम प्रोतुल चन्द्र सरकार
जन्म 23 फ़रवरी, 1913
जन्म भूमि तंगैल, बंगाल
मृत्यु 6 जनवरी, 1971
मृत्यु स्थान असाहिकावा, होक्काइदो, जापान
पति/पत्नी बसंती देवी
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र जादू
पुरस्कार-उपाधि 'पद्म श्री, 1964
प्रसिद्धि भारतीय जादूगर
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी पी. सी. सरकार अपने परिवार में जादूगरी का करतब दिखाने वाली सांतवी पीढ़ी के सदस्य थे। उनके कई नामचीन करतबों में उड़ने वाली कालीन का जादू शामिल था।

प्रोतुल चन्द्र सरकार (अंग्रेज़ी: Protul Chandra Sorcar, जन्म- 23 फ़रवरी, 1913; मृत्यु- 6 जनवरी, 1971) भारत के प्रसिद्ध जादूगर थे। उन्हें मुख्यत: उनके संक्षिप्त नाम पी. सी. सरकार से जाना जाता है। भारत सरकार ने वर्ष 1964 में पी. सी. सरकार को 'पद्म श्री से पुरस्कृत किया था। पी. सी. सरकार का प्रचार तंत्र बेजोड़ था। जादूगरी के क्षेत्र से जुड़ी पत्रिकाएं और अखबार उनके काम की सकारात्मक समीक्षाओं से भरे हुए होते थे। इनमें शानदार तस्वीरों और पोस्टरों की भरमार हुआ करती थी। पी. सी. सरकार को उनके 'इंद्रजाल' या 'द मैजिक ऑफ इंडिया शो' के लिए जाना जाता है, जिसे 1955 में पेरिस में आयोजित किया गया था। इस टूर पर पी. सी. सरकार अपने साथ कई सहयोगियों, अलग-अलग किस्मों के जादू और ज्यादा उपकरणों के साथ गए थे। इस कार्यक्रम ने उन अपेक्षाओं को बदलकर रख दिया था, जो पश्चिमी देशों के दर्शक किसी भारतीय जादूगर से रखते थे।

जन्म

जादूगर पी. सी. सरकार का जन्म 23 फ़रवरी, 1913 को तंगैल, बंगाल में आज़ादी से पूर्व हुआ था। उनका पूरा नाम प्रोतुल चंद्र सरकर था। पी. सी. सरकार का विवाह बसंती देवी के साथ हुआ था। वे एनिमेटर, निर्देशक और लेजरिस्ट मनिक सरकर और जादूगर पी. सी. सरकर जूनियर और पी. सी. सरकर, यंग के माता-पिता थे। बसंती देवी का देहांत 26 दिसंबर 2009 को कोलकाता में हुआ था।[1]

कॅरियर

पी. सी. सरकार का जादू का शो ‘इंद्रजाल’ काफी लोकप्रिय हुआ करता था। वह 1930 में चर्चा में तब आए, जब उन्होंने कोलकाता और जापान में शो करने आरंभ किए। सन 1964 में लोगों ने उनका लड़की को हवा में लटका देने का जादू काफी ज्यादा पसंद किया। पी. सी. सरकार भी अपने परिवार में जादूगरी का करतब दिखाने वाली सांतवी पीढ़ी के सदस्य थे। उनके कई नामचीन करतबों में उड़ने वाली कालीन का जादू शामिल था। पी. सी. सरकार भारत के सबसे नामी जादूगर थे। उनकी हवा में लड़कियों को उड़ाने वाली ट्रिक काफी मशहूर थी।

पुरस्कार और सम्मान

  • जदुसमरत पी. सी. सरकार सरानी भारत सरकार ने उनके नाम पर कलकत्ता की एक प्रमुख सड़क का नाम रखा।
  • 26 जनवरी, 1964 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा उन्हें 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया।
  • स्फिंक्स (ऑस्कर ऑफ मैजिक), यूएस, 1946 और 1954
  • द रॉयल मेडेलियन, जर्मन मैजिक सर्कल।
  • 23 फ़रवरी, 2010 को उन्हें सम्मानित करने के लिए 5 रुपये का डाक टिकट भारतीय डाक द्वारा जारी किया गया।

प्रकाशित पुस्तकें

  1. आपके लिए जादू (1965)
  2. आपके लिए अधिक जादू (1965)
  3. जादू का इतिहास (1970)
  4. इंडियन मैजिक[1] (1983)

वो जादूगर जिसने ब्रिटेन को डरा दिया

9 अप्रैल, 1956 की शाम 9 बजकर 15 मिनट पर अचानक ही बीबीसी के दफ्तर में एकाएक सैकड़ों लोग फोन करने लगे। फोन करने वालों को यकीन था कि उन्होंने अपनी आंखों से टीवी स्क्रीन पर एक कत्ल होते हुए देखा था। टीवी स्क्रीन पर रहस्यमयी से दिख रहे एक जादूगर ने 17 साल की लड़की को अपने वश में करके एक मेज पर लिटा दिया। इसके बाद इस जादूगर ने एक आरी से कुछ इस तरह इस लड़की के शरीर के दो टुकड़े कर दिए, जैसे कि वह कसाई की मेज पर पड़ा हुआ मांस का टुकड़ा हो।[2]

ये उन दिनों की बात है जब टीवी पर 'पैनोरामा' नाम का एक चर्चित कार्यक्रम आया करता था। इसी कार्यक्रम की आखिरी कड़ी में लोगों ने जादूगर पी.सी. सरकार को अपना करतब दिखाते हुए देखा लेकिन लोगों को ऐसा लगा कि कोई बड़ी गड़बड़ हो गई है। क्योंकि जादूगर ने जैसे ही अपनी सहयोगी को मेज से उठाने के लिए उसके हाथों को मलना शुरू किया लेकिन उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। ऐसे में उसने अपने सिर को नीचे झुकाते हुए अपनी सहयोगी के चेहरे पर एक काला कपड़ा डाल दिया। जादूगर के ऐसा करते ही कार्यक्रम के प्रस्तोता रिचर्ड डिंबलबाय ने कैमरे के सामने आकर कहा कि अब कार्यक्रम खत्म होता है। इसके तुरंत बाद लाइम ग्रोव स्टूडियो में एक के बाद एक कई फोन आना शुरू हो गए।

पश्चिमी दुनिया में कैसे पहुंचे सरकार?

पी.सी. सरकार के लिए पश्चिमी देशों में जादूगरी के क्षेत्र में अपनी जगह बनाना बेहद संघर्षपूर्ण था। तीन हफ्ते के सीजन के लिए ड्यूक ऑफ यॉर्क थिएटर को आरक्षित कराया गया था। लेकिन इस सीजन के टिकटों की बिक्री अब तक बेहद कम थी। ऐसे में चर्चित कार्यक्रम पैनोरामा की आखिरी कड़ी में पहुंचना अपने आप में खेल बदलने जैसा फैसला था और वह इस मौके का भरपूर फायदा उठाना चाहते थे। पैनोरामा कार्यक्रम को इस तरह अचानक खत्म किए जाने पर आधिकारिक स्पष्टीकरण भी दिया गया। लेकिन इस स्पष्टीकरण में कहा गया कि सरकार ने उन्हें मिली समयसीमा को पार कर दिया था। लेकिन सरकार के विरोधी भी ये बात स्वीकार करते थे कि सरकार की टाइमिंग बेहद शानदार थी।

ऐसे में अपनी सहयोगी दिप्ती डे को एक आरी से काटकर मेज पर छोड़ देना हाथ की सफाई का एक बेमिसाल नमूना था। इस घटना के अगले दिन अखबारों में सरकार और उनका ये करतब प्रमुखता से छाया हुआ था। इसके बाद ड्यूक ऑफ यॉर्क में आयोजित होने वाला उनका सीजन के सारे टिकट तेजी से बिक गए।[2]

मृत्यु

पी. सी. सरकार का 6 जनवरी, 1971 को असाहिकावा, होक्काइदो, जापान में 57 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हुआ।

पी. सी. सरकार अपने स्टेज इफेक्ट्स और खास अंदाज की बदौलत दूसरे कई जादूगरों से कहीं आगे निकल गए थे। उन्होंने भारतीय जादू को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया। साल 1970 में डॉक्टरों ने उन्हें यात्रा नहीं करने की सलाह दी थी। लेकिन इसके बावजूद सरकार अपने चार महीने के कार्यक्रम के लिए जापान रवाना हो गए। 6 जनवरी, 1970 को पी. सी. सरकार ने होक्काइदो द्वीप के शिबेत्सू शहर में अपना इंद्रजाल शो किया। लेकिन स्टेज छोड़कर बाहर निकलते ही जानलेवा दिल के दौरे ने उनकी जान ले ली। सरकार को दुनिया के कई सम्मानित जादूगरों द्वारा भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।

जादू की दुनिया का इतिहास लिखने वाले डेविड प्राइस कहते हैं कि जादू की दुनिया में भारत को पश्चिमी दुनिया के जादूगरों से टक्कर लेने के लिए एक महान जादूगर की जरूरत थी और पी. सी. सरकार का शुक्रिया, क्योंकि उनकी वजह से भारतीय जादू ने दुनिया में अपनी जगह बनाई है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 पी.सी. सरकार की जीवनी (हिंदी) jivanihindi.com। अभिगमन तिथि: 16 अक्टूबर, 2022।
  2. 2.0 2.1 2.2 भारत का वो जादूगर जिसने ब्रिटेन को डरा दिया (हिंदी) marujala.com। अभिगमन तिथि: 16 अक्टूबर, 2022।

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