राजकुमारी गुप्ता (अंग्रेज़ी: Rajkumari Gupta, जन्म- 1902, कानपुर, उत्तर प्रदेश) भारत की स्वतंत्रता सेनानी थीं। उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों का सच 'काकोरी कांड' के बाद खुला। बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि काकोरी कांड में सेनानियों के लिए हथियार पहुंचाने की ज़िम्मेदारी राजकुमारी गुप्ता ने ली थी। राजकुमारी पर गाँधीजी की अहिंसावादी सोच के साथ-साथ क्रांतिकारियों के विचारों का भी प्रभाव पड़ा। जैसे-जैसे समय बीता उन्हें लगने लगा कि सिर्फ़ बातों से आज़ादी नहीं मिलेगी। स्वतंत्रता के लिए हथियार उठाने ही पड़ेंगे। देखते ही देखते राजकुमारी गुप्ता, चन्द्रशेखर आज़ाद की 'हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन' का हिस्सा बन गयीं।
- राजकुमारी गुप्ता का जन्म 1902 में बाँदा, कानपुर जिले में हुआ था।
- उनका विवाह मदन मोहन गुप्ता के साथ हुआ था। राजकुमारी तथा इनके पति मदन मोहन, गाँधीजी तथा चंद्रशेखर आज़ाद के साथ मिलकर काम करते थे। यही वजह थी कि राजकुमारी गुप्ता के विचारों में गांधीवाद तथा चंद्रशेखर दोनों की छाप थी।
- राजकुमारी गुप्ता सबसे नजर बचा-बचाकर क्रांतिकारियों के लिए सूचना तथा हथियार बांटने का कार्य करती थीं।
- उन्होंने आज़ाद की 'हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन पार्टी' की सदस्यता ले ली थी।
- 'काकोरी कांड' में क्रांतिकारियों को हथियार पहुंचाने का कार्य राजकुमारी गुप्ता ने किया था। अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद यह बात सबके सामने आ गयी थी। जिस वजह से राजकुमारी गुप्ता को ससुराल वालों की तरफ से बहिष्कार का सामना करना पड़ा था। किन्तु राजकुमारी गुप्ता ने हार नहीं मानी, वो देश की आजादी के लिए अपना योदगान देती रहीं।
- उनके ससुराल वालों ने ‘वीर भगत’ अखबार में खबर भी छपवाई कि उनका राजकुमारी से कोई रिश्ता नहीं है। फिर भी वह अपनी राह चलती रहीं, स्वतंत्रता की लड़ाई में कई बार जेल गयीं और देश के लिए खुद को समर्पित कर दिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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