"महर्षि गौतम": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
(गौतम को अनुप्रेषित)
 
(8 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 20 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{incomplete}}<br />
#REDIRECT[[गौतम]]
'''महर्षि गौतम'''
 
*न्यायदर्शन के कर्ता महर्षि गौतम परम तपस्वी एवं संयमी थे।
*महाराज वृद्धाश्व की पुत्री [[अहिल्या]] इनकी पत्नी थी, जो महर्षि के शाप से पाषाण बन गयी थी।
*[[त्रेता युग|त्रेता]] में भगवान श्री [[राम]] की चरण-रज से अहिल्या का शापमोचन हुआ। वह पाषाण से पुन: ऋषि-पत्नी हुई।
*महर्षि गौतम बाण-विद्या में अत्यन्त निपुण थे। विवाह के कुछ काल पश्चात अहिल्या ही बाण-लाकर देती थीं।
*एक बार वे देर से लौटीं ज्येष्ठ की धूप में उनके चरण तप्त हो गये थे। विश्राम के लिये वे वृक्ष की छाया में बैठ गयी थीं। महर्षि ने [[सूर्य|सूर्यदेव]] पर रोष किया।
*सूर्य ने ब्राह्मण के वेष में महर्षि को छत्ता और पादत्राण (जूता) निवेदित किया।
*उष्णता निवारक ये दोनों उपकरण उसी समय से प्रचलित हुए।
* महर्षि गौतम न्यायशास्त्र के अतिरिक्त स्मृतिकार भी हैं तथा उनका धनुर्वेद पर भी कोई ग्रन्थ था, ऐसा विद्वानों का मत है।
*उनके पुत्र [[शतानन्द]] जी निमि कुल के आचार्य थे।
 
 
[[Category: पौराणिक कोश]]
[[Category:ॠषि मुनि]]
 
<br />
{{ॠषि-मुनि}}
__INDEX__

06:38, 8 मई 2011 के समय का अवतरण

अनुप्रेषण का लक्ष्य: