"साँचा:सूक्ति और कहावत": अवतरणों में अंतर

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| class="headbg8" style="border:1px solid #D0D09D;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg7" style="padding-left:8px;"><span style="color: rgb(153, 51, 0);">'''सूक्ति और विचार'''</span></div>  
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*जब तक जीना, तब तक सीखना - अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। '''-स्वामी विवेकानन्द'''
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"| <font color="#003366">सूक्ति और कहावत</font>
*यह मनुष्य अन्तकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग करता है, वह उस-उस को ही प्राप्त होता हैं; क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है । '''- श्रीमद्भागवत गीता'''
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*इतिहास याने अनादिकाल से अब तक का सारा जीवन । पुराण याने अनादि काल से अब तक टिका हुआ अनुभव का अमर अंश। '''-विनोबा भावे'''
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
*जीवन का कार्यक्रम है रचनात्मक, विनाशात्मक नहीं;<br /> मनुष्य का कर्तव्य है अनुराग, विराग नहीं। '''-भगवतीचरण वर्मा'''       
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*ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता । - '''हजारीप्रसाद द्विवेदी'''
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*शब्द खतरनाक वस्तु हैं । सर्वाधिक खतरे की बात तो यह है कि वे हमसे यह कल्पना करा लेते हैं कि हम बातों को समझते हैं जबकि वास्तव में हम नहीं समझते ।  - '''चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य'''<br />  
*Give accordings to your means, or God will make your means according to your giving.- '''John Hall'''<br> अपने साधनों के अनुरूप दान करो अन्यथा ईश्वर तुम्हारे दान के अनुरूप तुम्हारे साधन बना देगा। - '''जॉन हाल'''<br />
[[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]  
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06:12, 15 मई 2011 के समय का अवतरण

सूक्ति और कहावत
  • जिस समय जो कार्य करना उचित हो, उसे उसी समय शंकारहित होकर शीघ्र करना चाहिए, क्योंकि समय पर हुई वर्षा फ़सल की पोषक होती है, असमय की वर्षा विनाशिनी होती है। -शक्रनीति (1|286-287)
  • अनेक विद्याओं का अध्ययन करके भी जो समाज के साथ मिलकर आचरण्युक्त जीवन व्यतीत करना नहीं जानते, वे अज्ञानी ही समझे जायेंगे। - तिरुवल्लुवर (तिरुक्कुरल, 140) .... और पढ़ें