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=गुलबर्गा=
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==स्थापना==
गुलबर्ग शहर भारत के पश्चिमोत्तर कर्नाटक (भूतपूर्व मैसूर)राज्य में स्थित है। गुलबर्ग का प्राचीन नाम कलबुर्गी है। यह नगर दक्षिण के बहमनी नरेशों के समय से प्रसिद्ध हुआ।  यहां एक प्राचीन सुदृढ़ दुर्ग स्थित है। जिसके अन्दर एक विशाल मसजिद है जो 1347 ई॰ में बनी थी। यह 216 फुट लम्बी और 176 फुट चौड़ी है। दक्षिण के बहमनी वंश के संस्थापक सुल्तान अलाउद्दीन ने इसे 1347 ई॰ में अपनी राजधानी बनाया। उसने इसका नाम एहसानाबाद रखा। 1425 ई॰ तक यह इस राज्य की राजधानी रहा, जबकि 9वें सुल्तान (1422-36) ने इसे त्याग कर बीदर को राजधानी बनाया।
==स्थिति==
इसके अन्दर कोई आंगन नहीं है वरन् पूरी मसजिद एक ही छ्त के नीचे है। कहा जाता है कि यह भारत की सबसे बड़ी मसजिद है। इसकी बनावट में स्पेन नगर के कोरडावा की मसजिद की अनुकृति दिखलाई  पड़ती है। अन्दर से यह प्राचीन गिरजाघरों से मिलती-जुलती है।इसका एक सुदीर्घ गुंबद है जिसके चारों  तरफ छोटे-छोटे गुंबद हैं। मुसलिम संत ख्वाजा बंदा-नवाज़ की दरगाह (निर्माण 1640 ई॰) भी गुलबर्गा का  प्रसिद्ध स्मारक है। इसका गुम्बद प्रायः अस्सी फुट ऊँचा है। दरगाह के अन्दर नक़्क़ारखाना, सराय, मदरसा और औरंगज़ेब की मसजिद है। बहमनी सुल्तानों के मक़बरे भी यहाँ स्थित हैं।  बहमनी सुल्तानों और उनके दरबारियों ने गुलबर्ग में बहुत इमारतें बनवायीं थीं। लेकिन ये इमारतें इतनी बड़ी और कमजोर थीं कि अब उनके ध्वंसावशेष ही देखे जा सकते हैं।
==इतिहास==
गुलबर्ग के ऐतिहासिक  मन्दिरों में वासवेश्वर का मंदिर 19वीं शती की वास्तुकला का सुन्दर उदाहरण है। श्री वासवेश्वर (शरन बसप्पा) का जन्म आज से प्रयः सवाँ सौ वर्ष पूर्व गुलबर्गा ज़िले में स्थित अरलगुन्दागी नामक ग्राम में हुआ था। यह बचपन से ही सन्त स्वभाव के व्यक्ति थे। 35 वर्ष की आयु में इन्होंने संन्यास ले लिया किन्तु बाद में वे गुलबर्गा में रहकर जीवन भर जनार्दन की सेवा में लगे रहे और उन्होंने मानव मात्र की सेवा को ही अपने धार्मिक विचारों का केंद्र बना लिया। मार्च मास में इनके समाधि मन्दिर पर दूर-दूर से लोग आकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। वारंगल के काकतियों के राज्य क्षेत्र में शामिल इस नगर को आरंभिक 14वीं शताब्दी में पहले सेनापति उलूग़ ख़ां और बाद में सुल्तान मुहम्मद बिन तुग़लक़ द्वारा दिल्ली की सल्तनत में शामिल कर लिया गया। सुल्तान की मृत्यु के बाद यह बहमनी राज्य (1347 से लगभग 1424 तक यह इस साम्राज्य की राजधानी था) के अधीन हो गया और इस सत्ता के पतन के बाद बीजापुर के तहत आ गया। 17वीं शताब्दी में मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब द्वारा दक्कन विजय के बाद इसे फिर से दिल्ली सल्तनत में शामिल कर लिया गया, लेकिन 18वीं शताब्दी के आरंभ में हैदराबाद राज्य की स्थापना से यह दिल्ली से अलग हो गया।
==ऐतिहासिक स्मारक==
गुलबर्ग शहर में कई प्राचीन स्मारक हैं। पूर्वी हिस्से में बहमनी शासकों के मक़बरे हैं। गुलबर्ग के ऐतिहासिक स्मारक हैं:-
*हसनगंगू का मक़बरा (हसनगंगू ने ही बहमनी वंश की नींव डाली थी)
*महमूदशाह का मक़बरा
*अफ़जलख़ाँ की मसजिद
*लंगर की मसजिद:-लंगर की मसजिद की छ्त हाथी की पीठ की भांति दिखाई देती है और बौद्ध चैत्वों की अनुकृति जान पड़ती है।
*चाँदबीबी का मक़बरा:-चाँदबीबी का मक़बरा बीजापुर की शैली में बना हुआ है और स्वयं उसी का बनवाया हुआ है किन्तु चाँदबीबी की कब्र उसमें नहीं है।
*सिद्दी अंबर का मक़बरा
*चोर गुंबद:- चोर गुंबद की भूमिगत भूलभुलैया में पिछले जमाने में चोर-डाकुओं ने अड्डा बना लिया था। इसी भवन में कन्फेशन्स ऑव-ए-ठग का प्रसिद्ध लेखक मीड़ोज टेलर भी ठहरा था।
*कलन्दरखाँ की मस्जिद व इन्हीं का मक़बरा


==शिक्षण संस्थान==
गुलबर्गा विश्वविद्यालय से संबद्ध कई कॉलेज यहाँ है। जिसमें:-
*रूरल इंजीनियरिंग कॉलेज
*पी॰डी॰ए॰ कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग
*कॉलेज ऑफ़ फ़ार्मेसी
*अलबदर डेंटल कॉलेज
*के॰बी॰एन॰ कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग
*एम॰आर॰ मेडिकल कॉलेज
*एच॰के॰इ॰एस॰ डेंटल कॉलेज
*राजकीय पॉलीटेक्निक
*एन॰वी॰पॉलीटेक्निक
*एस॰बी॰ कॉलेज ऑफ़ साइंस शामिल हैं।
यहाँ कला, वाणिज्य, शिक्षा, इंजीनियरिंग, विधि और चिकित्सा विज्ञान के महाविद्यालयों के अलावा एक महिला महाविद्यालय भी है। ये सभी भूतपूर्व गुलबर्गा विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं।
==उद्योग और व्यापार==
मुंबई (भूतपूर्व मद्रास) के मुख्य रेलमार्ग पर स्थित गुलबर्गा कपास के व्यापार का केंद्र है। यहाँ कपास ओटने और गांठ बनाने के कारख़ाने तथा कताई व बुनाई की मिलें भी हैं। यहाँ पर आटा और तेल मिलें व पेंट के कारख़ाने हैं। आसपास के क्षेत्र की अधिकांश आबादी कृषि कार्य में संलग्न है। ज्वार, दलहन, कपास, और अलसी यहां की प्रमुख फ़सलें हैं।
==जनसंख्या==
गुलबर्ग शहर की जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) 4,27,929 है। और गुलबर्ग ज़िले की कुल जनसंख्या 31,24,858 है।

06:32, 26 जून 2011 के समय का अवतरण