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| =बेतिया बिहार=
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| स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व 1917 ईसवी में नील की खेती के विरोध में यहां के स्थानीय निवासी राजकुमार शुक्ल के बुलावे पर चम्पारण आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी ने यहीं से की थी। राजधानी पटना से 204 किमी. दूर इस जिले में पर्यटन के लिहाज से वाल्मीकिनगर, बावनग्रही, भीखनातोहरी, सुमेश्वर, वृंदावन जैसे जगह घूमा जा सकता है।
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| क्या देखें
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| [[वाल्मीकि नगर बिहार|वाल्मीकि नगर]]
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| इसे भैंसालोटन के नाम से भी जाना जाता है। गंडक नदी के किनारे बसे इस जगह की गिनती बिहार के प्रसिद्व पिकनिक स्थल के रुप में की जाती है। यहां पर विघुत उत्पादन के लिए गंडक नदी के ऊपर एक बांध का भी निर्माण किया है जिसका उदघाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने किया था। इस जगह को वाल्मीकि आश्रम के लिए भी जाना जाता है। माना जाता है कि रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि ने इसी आश्रम में अपना कुछ समय व्यतीत किया था। उनके नाम पर ही इस जगह का नाम भी वाल्मीकिनगर पड़ा था। यहां पर एक भगवान शिव का प्राचीन मंदिर भी है जिसका निर्माण बेतिया के राजा द्वारा किया गया था।
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| [[त्रिवेणी बिहार|त्रिवेणी]]
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| नेपाल सीमा से सटा यह जगह शहर से उत्तर-पश्चिम में बगहा प्रखण्ड के अर्न्तगत आता है। इस जगह पर गंडक, पंचानंद और सोनहा नदी आपस में मिलती है। (श्रीमद भगवत के अनुसार) माना जाता है कि हजारों साल पहले इसी जगह पर गज (हाथी) और ग्रह (मगरमच्छ) की लड़ाई हुई थी और भगवान विष्णु ने प्रकट होकर हाथी की रक्षा की थी। उसके बाद से माघ संक्राति के दिन यहां हरेक साल एक विशाल मेला लगता है और इस दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां त्रिवेणी में डुबकी लगाते है।
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| [[भितीहरवा आश्रम बिहार|भितीहरवा आश्रम]]
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| यह जगह गौनाहा प्रखंड के अर्न्तगत आता है। गांधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत इसी गांव से की थी जो आगे चलकर भारतीय इतिहास में चम्पारण आंदोलन के नाम से जाना गया। अब इस गांव में जिस जगह गांधी आश्रम थी वहां पर पक्की ईटों का स्मारक बना दिया गया है।
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| [[भिखनातोहरी बिहार|भिखनातोहरी]]
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| पिकनिक स्थल के रुप में प्रसिद्व यह जगह शहर से उत्तर गौनाहा प्रखंड में पड़ता है। नरकटियागंज-भिखनातोहरी रेल खंड का यह अंतिम स्टेशन है। शरद ऋतु के समय बर्फ से ढ़का हिमालय और अनुपमा चोटी बड़ा खूबसूरत दिखाई देता है। कहा जाता है कि किंग जार्ज पंचम इस जगह पर शिकार खेलने आया करते थे। उनके ठहरने के लिए बनाया गया बंगला आज भी मौजूद है।
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| [[सुमेश्वर किला बिहार|सुमेश्वर किला]]
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| यह किला समुद्र तल से 2884 फीट की उंचाई पर सुमेश्वर पहाड़ी पर स्थित हे। हालांकि यह किला अब खण्डहर में तब्दील हो चुका है। इस पहाड़ी से बर्फीले हिमालय का बड़ा सुन्दर नजारा दिखाई देता है और इसकी चोटी धौलागिरी, गोसाईथान और गौरीशंकर को भी साफ-साफ देखा जा सकता है।
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| [[वृदांवन बिहार|वृदांवन]]
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| बेतिया से 10 किमी. दूर गौनाहा प्रखंड स्थित इस गांव में 1937 ईसवी में अखिल भारतीय सेवा संघ का वार्षिक समारोह मनाया गया था। इस समारोह में महात्मा गांधी, डा. राजेन्द्र प्रसाद और जे.बी. कृपलानी जैसे महान लोगों ने भाग लिया था। उस समय गांधी जी के द्वारा एक बेसिक स्कूल का शुभारम्भ किया गया था जो आज भी कार्यरत है।
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| [[अशोक स्तम्भ बिहार|अशोक स्तम्भ]]
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| नंदनगढ से 1किमी. पूरब में यह जगह लौरिया प्रखंड में स्थित है। सम्राट अशोक द्वारा निर्मित यह स्तम्भ 2300 वर्ष पुराना है। यह 35 फीट ऊंचा और इसका आधार 35 इंच चौडा है।
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| इसके अलावा पर्यटक नंदनगढ़, बावनग्रही, चनकीगढ, सरैया मन जैसे जगह भी घूम सकते है।
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| कैसे जाएं
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| वायु मार्ग- यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा 204 किमी. की दूरी पटना में है।
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| रेल मार्ग- बेतिया यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है जहां से भारत के अधिकांश शहरों के लिए ट्रेन उपलब्ध है।
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| सड़क मार्ग- यहां से राजधानी पटना के अलावा और भी जगहों के लिए बसें खुलती है।
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