"यथार्थवाद": अवतरणों में अंतर

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|हिन्दी=आज-कल साहित्यिक क्षेत्र में, (आदर्शवाद से भिन्न) यह मत या सिद्धान्त कि प्रत्येक घटना या बात अपने [[यथार्थ]] रूप में अंकित या चित्रित की जानी चाहिए, वह स्वतंत्र सत्तावाली इकाई होती है।
|हिन्दी=आज-कल साहित्यिक क्षेत्र में, (आदर्शवाद से भिन्न) यह मत या सिद्धान्त कि प्रत्येक घटना या बात अपने [[यथार्थ]] रूप में अंकित या चित्रित की जानी चाहिए, वह स्वतंत्र सत्तावाली इकाई होती है।
|व्याकरण=पुल्लिंग
|व्याकरण=पुल्लिंग
|उदाहरण='''यथार्थवाद''' का अर्थ है, लोगों तथा उनकी जीवन स्थितियों का ऐसा सच्चा चित्रण जिस पर [[रंग]]-रोगन न लगाया गया हो।
|उदाहरण=
|विशेष=इसमें आदर्शों का ध्यान छोड़कर उसी रूप में कोई चीज या बात लोगों के सामने रखी जाती है, इसमें कर्ता न तो अपनी ओर से टीका-टिप्पणी करता है न अपना दृष्टिकोण बतलाता है और निष्कर्ष निकालने का काम दर्शकों या पाठकों पर छोड़ देता है।
|विशेष=इसमें आदर्शों का ध्यान छोड़कर उसी रूप में कोई चीज़ या बात लोगों के सामने रखी जाती है, इसमें कर्ता न तो अपनी ओर से टीका-टिप्पणी करता है न अपना दृष्टिकोण बतलाता है और निष्कर्ष निकालने का काम दर्शकों या पाठकों पर छोड़ देता है।
|विलोम=
|विलोम=
|पर्यायवाची=अभावुकता, भावनाहीनता।
|पर्यायवाची=अभावुकता, भावनाहीनता।

08:06, 8 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

शब्द संदर्भ
हिन्दी आज-कल साहित्यिक क्षेत्र में, (आदर्शवाद से भिन्न) यह मत या सिद्धान्त कि प्रत्येक घटना या बात अपने यथार्थ रूप में अंकित या चित्रित की जानी चाहिए, वह स्वतंत्र सत्तावाली इकाई होती है।
-व्याकरण    पुल्लिंग
-उदाहरण  
-विशेष    इसमें आदर्शों का ध्यान छोड़कर उसी रूप में कोई चीज़ या बात लोगों के सामने रखी जाती है, इसमें कर्ता न तो अपनी ओर से टीका-टिप्पणी करता है न अपना दृष्टिकोण बतलाता है और निष्कर्ष निकालने का काम दर्शकों या पाठकों पर छोड़ देता है।
-विलोम   
-पर्यायवाची    अभावुकता, भावनाहीनता।
संस्कृत यथार्थ+वाद
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द यथार्थ
संबंधित लेख

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश