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*महानता अहंकार रहित होती है, तुच्छता अहंकार की सीमा पर पहुँच जाती है।  -'''तिरुवल्लुवर''' (तिरुक्कुरल, 969)
*मनुष्य में तीनों चीज़ें वास करती हैं- मनुष्यता, पशुता और दिव्यता। -शिवानंद (दिव्योपदेश 2।26)
*कबीर सो धन संचिये, जो आगै कूँ होइ।<br>सीस चढ़ाये पोटली, ले जात न देख्या कोइ॥ -'''[[कबीर]]''' (कबीर ग्रन्थावली, पृ॰ 33) '''[[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]'''
*जीवन स्वयं में न तो अच्छा होता है, न बुरा। जैसा तुम इसे बना दो, यह तो वैसा ही अच्छा या बुरा बन जाता है। -मांतेन (निबंध) [[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]

06:22, 14 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • मनुष्य में तीनों चीज़ें वास करती हैं- मनुष्यता, पशुता और दिव्यता। -शिवानंद (दिव्योपदेश 2।26)
  • जीवन स्वयं में न तो अच्छा होता है, न बुरा। जैसा तुम इसे बना दो, यह तो वैसा ही अच्छा या बुरा बन जाता है। -मांतेन (निबंध) .... और पढ़ें