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*कला का सत्य जीवन की परिधि में सौन्दर्य के माध्यम द्वारा व्यक्त अखण्ड सत्य है। -'''[[महादेवी वर्मा]]''' (दीपशिखा चिंतन के कुछ क्षण, पृ. 10)
*तिलक-गीता का पूर्वार्द्ध है ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’, और उसका उत्तरार्द्ध है ‘स्वदेशी हमारा जन्मसिद्ध कर्तव्य है’। स्वदेशी को लोकमान्य बहिष्कार से भी ऊँचा स्थान देते थे। -[[महात्मा गाँधी]]
*द्वेष का मायाजाल बड़ी-बड़ी मछलियों को ही फँसाता है। छोटी मछलियाँ या तो उसमें फँसती ही नहीं या तुरन्त निकल जाती हैं। उनके लिए वह घातक जाल क्रीड़ा की वस्तु है, भय की नहीं।  -'''[[प्रेमचंद|प्रेमचन्द]]''' (गोदान, पृ॰ 44)
*अंतर्राष्ट्रीयता तभी पनप सकती है जब राष्ट्रीयता का सुदृढ़ आधार हो।  - श्यामाप्रसाद मुखर्जी  [[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]
*प्रेम रीति से जो मिलै, तासों मिलिए धाय ।<br > अंतर राखे जो मिलै, तासौ मिलै बलाय॥ -'''[[कबीर]]'''
*धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें, तो यह कोई महँगा सौदा नहीं है।  -'''[[प्रेमचंद|प्रेमचन्द]]''' (गोदान, पृ॰297)
*भाषा संस्कृति का वाहन है और उसका अंग भी। -'''[[रामविलास शर्मा]]''' (भाषा और समाज, पृ॰ 445) '''[[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]'''

06:41, 14 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • तिलक-गीता का पूर्वार्द्ध है ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’, और उसका उत्तरार्द्ध है ‘स्वदेशी हमारा जन्मसिद्ध कर्तव्य है’। स्वदेशी को लोकमान्य बहिष्कार से भी ऊँचा स्थान देते थे। -महात्मा गाँधी
  • अंतर्राष्ट्रीयता तभी पनप सकती है जब राष्ट्रीयता का सुदृढ़ आधार हो। - श्यामाप्रसाद मुखर्जी .... और पढ़ें