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| ==कला और संस्कृति==
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| <quiz display=simple>
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| {दु:ख में सब सुमिरन करे, सुख में करे न कोय" यह पंक्ति किसने कही है?
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| |type="()"}
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| -[[मीराबाई]]
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| -[[सूरदास]]
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| -[[तुलसीदास]]
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| +[[कबीरदास]]
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| ||[[चित्र:Kabirdas-2.jpg|कबीरदास|100px|right]] कबीरदास के जन्म के संबंध में अनेक किंवदन्तियाँ हैं। कुछ लोगों के अनुसार वे गुरु रामानन्द स्वामी के आशीर्वाद से काशी की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। ब्राह्मणी उस नवजात शिशु को लहरतारा ताल के पास फेंक आयी। उसे नीरु नाम का जुलाहा अपने घर ले आया। उनकी माता का नाम 'नीमा' था। उसी ने उसका पालन-पोषण किया। बाद में यही बालक कबीर कहलाया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कबीरदास]]
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| {किस शास्त्रीय नृत्य में पुरुष भाग नहीं लेते है?
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| |type="()"}
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| -[[मणिपुरी]]
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| -[[कत्थक]]
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| +[[ओडिसी]]
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| -[[भरतनाट्यम]]
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| ||[[चित्र:Odissi-Dance.jpg|ओडिसी नृत्य, उड़ीसा|100px|right]] ओडिसी को पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर सबसे पुराने जीवित शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक माना जाता है। उड़ीसा के पारम्परिक नृत्य, ओडिसी का जन्म मंदिर में नृत्य करने वाली देवदासियों के नृत्य से हुआ था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ओडिसी]]
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| {निम्नलिखित में कौन हिन्दुस्तानी [[संगीत]] शैली का हिस्सा नहीं है?
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| |type="()"}
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| -ध्रुपद
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| +तिल्लाना
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| -तराना
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| -धमार
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| {संगीतकार [[तानसेन]] का सम्बन्ध किस राज दरबार से रहा है?
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| |type="()"}
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| +रीवा, ग्वालियर, मुगल
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| -रीवा, मुगल, मालवा
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| -मालवा, ग्वालियर, रीवा,
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| -ग्वालियर, मालवा, मुगल
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| {[[अमीर खुसरो]] का नाम किस वाद्ययंत्र के आविष्कार से सम्बन्धित है?
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| |type="()"}
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| +[[सितार]]
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| -[[तबला]]
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| -[[शहनाई]]
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| -सरोद
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| {कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचना किस धर्म ग्रंथ की उक्ति है?
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| |type="()"}
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| +[[श्रीमद्भागवत]]
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| -[[रामचरितमानस]]
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| -[[रामायण]]
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| -जयद्रथ वध
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| {निम्नलिखित में कौन-सा एक शास्त्रीय नृत्य नहीं है?
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| |type="()"}
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| -[[कत्थक]]
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| -[[ओडिसी]]
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| +[[गरबा नृत्य]]
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| -[[मणिपुरी]]
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| {भारतीय शास्त्रीय नृत्य की सबसे प्राचीन शैली कौन सी है?
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| |type="()"}
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| -[[ओडिसी]]
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| -[[कुचिपुड़ी]]
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| +[[भरतनाट्यम]]
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| -[[कथकली]]
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| ||[[चित्र:Bharatanatyam-Dance.jpg|भरतनाट्यम नृत्य|100px|right]] [[शास्त्रीय नृत्य]] का यह एक प्रसिद्ध नृत्य है। भरत नाट्यम, [[भारत]] के प्रसिद्ध नृत्यों में से एक है तथा इसका संबंध दक्षिण भारत के [[तमिलनाडु]] राज्य से है। यह नाम 'भरत' शब्द से लिया गया तथा इसका संबंध नृत्यशास्त्र से है। ऐसा माना जाता है कि [[ब्रह्मा]], हिन्दू देवकुल के महान त्रिदेवों में से प्रथम, नाट्य शास्त्र अथवा नृत्य विज्ञान हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भरतनाट्यम]]
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| {मुँह से बजाया जाने वाला वाद्य यंत्र है?
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| |type="()"}
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| -इकतारा
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| +अलेगोजा
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| -नौबत
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| -ताशा
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| {[[भारत]] में चित्रकला किसके समय में प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँचा?
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| |type="()"}
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| -[[अकबर]]
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| +[[जहांगीर]]
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| -[[शाहजहाँ]]
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| -[[औरंगजेब]]
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| ||[[चित्र:Jahangir.jpg|जहाँगीर|100px|right]]जहाँगीर का जन्म फ़तेहपुर सीकरी में स्थित ‘शेख़ सलीम चिश्ती’ की कुटिया में राजा भारमल की बेटी ‘मरियम ज़मानी’ के गर्भ से 30 अगस्त, 1569 ई. को हुआ था। अकबर सलीम को ‘शेख़ू बाबा’ कहा करता था। सलीम का मुख्य शिक्षक अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहांगीर]]
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| {[[भारत]] में सर्वप्रथम ईसाई धर्म का प्रचार सर्वप्रथम किसने किया?
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| |type="()"}
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| +सेंट थॉमस
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| -वास्को-डि-गामा
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| -लॉर्ड क्लाइव
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| -सेंट कर्टियर
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| {[[गायत्री मंत्र]] किस ग्रंथ में शामिल है?
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| |type="()"}
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| +[[ॠग्वेद]]
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| -[[यजुर्वेद]]
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| -[[सामवेद]]
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| -अथर्वेद
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| ||[[चित्र:Rigveda.jpg|ॠग्वेद का आवरण पृष्ठ|100px|right]]सबसे प्राचीनतम है। 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक। ॠग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ॠग्वेद]]
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| {[[महाभारत]] का प्रारम्भिक नाम था?
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| |type="()"}
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| -रज्मनामा
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| -हज्मनामा
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| -पाण्डव विजय
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| +जययुद्ध
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| {[[रथयात्रा]] उत्सव कहाँ मनाया जाता है?
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| |type="()"}
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| -[[कोणार्क]] में
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| +[[पुरी]] में
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| -[[हरिद्वार]] में
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| -[[द्वारिका]] में
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| ||[[चित्र:Jagannath-Temple-Puri.jpg|जगन्नाथ मंदिर, पुरी|100px|right]]पुरी, पूर्वी [[उड़ीसा]] राज्य, पूर्वी [[भारत]] में पुरी ज़िले के प्रशासनिक मुख्यालय, [[बंगाल की खाड़ी]] के तट पर स्थित है। यह समुद्रतटीय शहर एक व्यापारिक केंद्र के साथ रेल टर्मिनल और पर्यटन स्थल भी है। उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर पुरी ज़िले में स्थित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुरी]]
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| {[[राजस्थान]] का पुष्कर मेला किस माह में लगता है?
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| |type="()"}
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| -[[अक्टूबर]]
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| -[[नवम्बर]]
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| +[[फरवरी]]
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| -[[मार्च]]
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| {चौंसठ योगिनी मन्दिर स्थित है?
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| |type="()"}
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| -[[उज्जैन]] में
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| +[[खजुराहो]] में
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| -[[इन्दौर]] में
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| -[[भोपाल]] में
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| ||[[चित्र:Khajuraho-Temple-10.jpg|खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश|100px|right]]खजुराहो में 64 योगिनियों का खुला मन्दिर खुरदुरे ग्रेनाइट पत्थर का बना हुआ है। उत्तरमुखी इस मन्दिर का निर्माण 900 ईसवी में माना जाता है। जबकि 10वीं शताब्दी के मध्य में बने नागर शैली के उत्कृष्ट मन्दिर, चिकने बलुआ पत्थर से निर्मित हैं। यहां से ब्रह्माणी, इंद्राणी व महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमाऐं प्राप्त हुई हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[खजुराहो]]
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| {चूहों के मन्दिर के नाम से विख्यात मन्दिर है?
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| |type="()"}
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| +करणीमाता मन्दिर
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| -लिंगराज मन्दिर
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| -वृहदेश्वर मन्दिर
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| -राजारानी मन्दिर
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| {हीनयान तथा महायान किस धर्म के दो भाग हैं?
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| |type="()"}
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| -[[सिक्ख धर्म]]
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| -[[हिन्दू धर्म]]
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| +[[बौद्ध धर्म]]
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| -[[जैन धर्म]]
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| ||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|बौद्ध धर्म का प्रतीक|100px|right]]महायान बुद्ध की पूजा करता है। ये थेरावादियों को "हीनयान" (छोटी गाड़ी) कहते हैं। बौद्ध धर्म की एक प्रमुख शाखा है जिसका आरंभ पहली शताब्दी के आस-पास माना जाता है। ईसा पूर्व पहली शताब्दी में वैशाली में बौद्ध-संगीति हुई जिसमें पश्चिमी और पूर्वी बौद्ध पृथक् हो गए। पूर्वी शाखा का ही आगे चलकर महायान नाम पड़ा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बौद्ध धर्म]]
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| {चोल राजाओं ने किस धर्म को संरक्षण दिया?
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| |type="()"}
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| -[[जैन धर्म]]
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| -[[बौद्ध धर्म]]
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| +[[शैव धर्म]]
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| -[[वैष्णव धर्म]]
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| {किस वैदिक ग्रंथ में मंत्रों और [[देवता|देवताओं]] की प्रार्थना का संग्रह है?
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| |type="()"}
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| +ॠग्वेद
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| -यजुर्वेद
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| -सामवेद
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| -अथर्वेद
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| ||[[चित्र:Rigveda.jpg|ॠग्वेद का आवरण पृष्ठ|100px|right]]सबसे प्राचीनतम है। 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक। ॠग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ॠग्वेद]]
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| {वेदांत किसे कहा गया है?
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| |type="()"}
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| -वेदों को
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| -ब्राह्मण ग्रंथों को
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| -आरण्यकों को
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| +उपनिषदों को
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| {[[भारत]] का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' कहाँ से उद्धत है?
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| |type="()"}
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| +[[मुण्डकोपनिषद]] से
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| -कठोरपनिषद से
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| -छान्दोग्योपनिषद से
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| -जाबलोपनिषद से
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| ||यह उपनिषद अथर्ववेदीय शौनकीय शाखा से सम्बन्धित है। इसमें अक्षर-ब्रह्म 'ॐ: का विशद विवेचन किया गया है। इसे मन्त्रोपनिषद नाम से भी पुकारा जाता है। इसमें तीन मुण्डक हैं और प्रत्येक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं तथा कुल चौंसठ मन्त्र हैं। 'मुण्डक' का अर्थ है- मस्तिष्क को अत्यधिक शक्ति प्रदान करने वाला और उसे अविद्या-रूपी अन्धकार से मुक्त करने वाला। इस उपनिषद में महर्षि [[अंगिरा]] ने शौनक को 'परा-अपरा' विद्या का ज्ञान कराया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुण्डकोपनिषद]]
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| {किस सिक्ख गुरू ने हरमन्दिर साहिब ([[स्वर्ण मन्दिर]]) की स्थापना की?
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| |type="()"}
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| -गुरु रामदास
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| -गुरु अमरदास
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| -[[गुरु गोविन्द सिंह]]
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| +गुरु अर्जुन देव
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| {कत्थक कहाँ की नृत्य शैली है?
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| |type="()"}
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| -[[मणिपुर]]
| |
| -[[केरल]]
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| -[[उड़ीसा]]
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| +उत्तरी भारत
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| {बुद्ध किस वंश से सम्बन्धित थे?
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| |type="()"}
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| -शात्रिका
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| -मौर्य
| |
| +शाक्य
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| -कुरु
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| {मृदंगम होता है?
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| |type="()"}
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| -एक प्रकार की [[बाँसुरी]]
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| -एक तार वाद्य
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| -एक मृग
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| +दो मुहँ वाला [[ढोल]]
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| {किस वेद का कुछ अंश गद्य में लिखा गया है?
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| |type="()"}
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| -[[ॠग्वेद]]
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| +[[यजुर्वेद]]
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| -[[सामवेद]]
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| -अथर्वेद
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| ||[[चित्र:Yajurveda.jpg|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ|100px|right]]यजुष' शब्द का अर्थ है- 'यज्ञ'। यर्जुवेद मूलतः कर्मकाण्ड ग्रन्थ है। इसकी रचना कुरुक्षेत्र में मानी जाती है। यजुर्वेद में आर्यो की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झांकी मिलती है। इस ग्रन्थ से पता चलता है कि आर्य 'सप्त सैंधव' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। यर्जुवेद के मंत्रों का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक पुरोहित करता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यजुर्वेद]]
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| {[[विष्णु]] के दस अवतारों की जानकारी का स्त्रोत है?
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| |type="()"}
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| -भागवत पुराण
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| -विष्णु पुराण
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| +[[मत्स्य पुराण]]
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| -मार्केण्डय पुराण
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| ||[[चित्र:Matsya-Avatar.jpg|मत्स्य अवतार|100px|right]]वैष्णव सम्प्रदाय से सम्बन्धित 'मत्स्य पुराण' व्रत, पर्व, तीर्थ, दान, राजधर्म और वास्तु कला की दृष्टि से एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुराण है। इस पुराण की श्लोक संख्या चौदह हज़ार है। इसे दो सौ इक्यानवे अध्यायों में विभाजित किया गया है। इस पुराण के प्रथम अध्याय में 'मत्स्यावतार' के कथा है। उसी कथा के आधार पर इसका यह नाम पड़ा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मत्स्य पुराण]]
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| {[[महाभारत]] का फारसी अनुवाद है?
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| |type="()"}
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| +रज्मनामा
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| -हज्मनामा
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| -सीर-ए-अकबर
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| -यार-ए-दानिश
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| {वेद शब्द का शाब्दिक अर्थ है?
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| |type="()"}
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| +महत ज्ञान
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| -समीप बैठना
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| -संकलन
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| -आख्यान
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| {[[श्रीमद्भागवत]] गीता में है-
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| |type="()"}
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| -16 अध्याय व 600 [[संस्कृत]] श्लोक
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| +18 अध्याय व 700 संस्कृत श्लोक
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| -16 अध्याय व 650 संस्कृत श्लोक
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| -20 अध्याय व 800 संस्कृत श्लोक
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| </quiz>
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