"त्रेता युग": अवतरणों में अंतर

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*दूसरे युग त्रेता की अवधि बारह लाख छियानवे हज़ार वर्ष मानी जाती है।  
*दूसरे युग त्रेता की अवधि बारह लाख छियानवे हज़ार वर्ष मानी जाती है।  
*इस युग का आरंभ कार्तिक शुक्ल नौमी से होता है।  
*इस युग का आरंभ कार्तिक शुक्ल नौमी से होता है।  
*[[स्वायंभुव|मनु]] और [[सतरूपा]] के दो पुत्र [[प्रियव्रत]] और [[उत्तानपाद]] इसी युग में हुए।  
*[[स्वायंभुव|मनु]] और [[सतरूपा]] के दो पुत्र [[प्रियव्रत]] और [[उत्तानपाद]] इसी युग में हुए।  
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*ये [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] के सर्वप्रथम राजा थे। श्री[[राम]] और [[परशुराम]] ने इसी युग में अवतार लिया।  
*इस युग में पुण्य अधिक होता है। मनुष्य की आयु अधिक होती है।  
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09:55, 15 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • दूसरे युग त्रेता की अवधि बारह लाख छियानवे हज़ार वर्ष मानी जाती है।
  • इस युग का आरंभ कार्तिक शुक्ल नौमी से होता है।
  • मनु और सतरूपा के दो पुत्र प्रियव्रत और उत्तानपाद इसी युग में हुए।
  • ये पृथ्वी के सर्वप्रथम राजा थे। श्रीराम और परशुराम ने इसी युग में अवतार लिया।
  • इस युग में पुण्य अधिक होता है। मनुष्य की आयु अधिक होती है।


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