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==मनोरंजन==
<quiz display=simple>
====फ़िल्में====
{ [[अशोक]] लेख से '''रिक्त स्थान''' भरें ? 
भारतीय सिनेमा में वाराणसी की संस्कृति और उसकी पृष्ठभूमि पर आधारित कई फ़िल्मों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। जिनमें से कुछ प्रमुख फ़िल्में निम्नलिखित हैं-
|type="{}"}
; बनारस – ए मिस्टिक लव स्टोरी
सम्राट अशोक प्राचीन [[भारत]] में { मौर्य } राजवंश का राजा था। अशोक प्राचीन भारत के सम्राट { बिंदुसार } का पुत्र था। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य के बेहतर कुशल प्रशासन तथा { बौद्ध } धर्म के प्रचार के लिए जाना जाता है।
'''बनारस – ए मिस्टिक लव स्टोरी''' बनारस शहर में बनी '''पंकज पराशर''' द्वारा निर्देशित एक [[हिन्दी]] फ़िल्म है। बॉलीवुड को ‘चालबाज’ और ‘जलवा’ जैसी हिट फ़िल्में देने वाले निर्देश '''पंकज पराशर''' की इस नई फ़िल्म में बनारस की गलियों, घाटों और मंदिरों को एक प्रेम कहानी में पिरोया गया है। आठ करोड़ की लागत वाली इस फ़िल्म में नसीरुद्दीन शाह, डिंपल कपाड़िया, उर्मिला मातोंडकर, अस्मित पटेल और आकाश खुराना ने प्रमुख भूमिकाएँ निभाई हैं। इसके निर्माता एलसी सिंह हैं। निर्देशक पंकज पराशर बताते हैं, फ़िल्म में [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय|बनारस हिंदू विश्वविद्यालय]] में भौतिक विज्ञान की छात्रा उर्मिला को संगीत शिक्षक अस्मित पटेल से प्यार हो जाता है। उसके बाद दो पीढ़ियों में सिद्धांतों का टकराव शुरू होता है। वे कहते हैं, "यह दो वर्गों के बीच रोमांस की कहानी है, लेकिन बनारस की पृष्ठभूमि में होने के कारण यह एक अलग ही रूप अख्तियार कर लेती है।"  
; जोइ बाबा फेलुनाथ
जोइ बाबा फेलुनाथ ([[1979]]) [[भारत रत्न]] सम्मानित निर्देशक [[सत्यजीत रे]] द्वारा निर्देशित एक बांग्ला फ़िल्म है। इस फ़िल्म के अभिनेता सौमित्र चटर्जी, संतोष दत्ता, सिद्दार्थ चटर्जी, उत्पल दत्त आदि हैं। यह फ़िल्म सत्यजीत रे के प्रसिद्ध उपन्यास '''फैलुदा''' पर आधारित है।
; डॉन (1978)
[[1978]] की सुपरहिट [[हिन्दी]] फ़िल्म डॉन का गाना '''खई के पान बनारस वाला''' [[अमिताभ बच्चन]] के साथ '''बनारसी पान''' की प्रशंसा में गाया गया था और बहुत लोकप्रिय हुआ था।


==वाराणसी पर कविता==
{ [[शिवाजी]] लेख से '''रिक्त स्थान''' भरें ?  
====<u>वाराणसी लहरें</u>====
|type="{}"}
हिंदी के प्रसिद्ध साहित्कार चन्द्र शेखर आजाद द्वारा वाराणसी की प्रसिद्धि में  लिखी गई  अनुपम कविता हैं -
छत्रपति शिवाजी महाराज का पूरा नाम  शिवाजी { राजे } भोंसले था। शिवाजी का जन्म 19 फ़रवरी, 1630 को { महाराष्ट्र } राज्य में हुआ। इनके पिताजी का नाम { शाहजी } भोंसले और माताजी का नाम { जीजाबाई } था। शिवाजी [[भारत]] में { मराठा } साम्राज्य के संस्थापक थे।
<div style="height: 400px; overflow:auto; overflow-x: hidden; border:thin solid #aaa; width:300px">
{| class="bharattable-purple" width="300px"
|-valign="top"
|
<poem>
उच्छल गंगा का हिल्लोलित अन्तर है,
भावना प्रगति की मानों हुई प्रखर हैं।
लहरें हैं, जो स्र्कने का नाम न लेती,
तटकी बांहों में वे विश्राम न लेती।


बढ़ते जाने की उनमें होड़ लगी है,
{ [[जलियांवाला बाग़]] लेख से '''रिक्त स्थान''' भरें ? 
मंत्रों में जैसे अद्भुत शक्ति जगी है।
|type="{}"}
हर लहर, लहर को आगे ठेल रही है,
<ol><li>[[पंजाब]] के { अमृतसर }  नगर में जलियांवाला बाग़ नामक स्थान पर अंग्रेज़ों की सेनाओं ने भारतीय प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाकर बड़ी संख्या में उनकी हत्या कर दी। </li><li>यह घटना 13 अप्रैल { 1919 }  को हुई ।</li><li>उस दिन { वैशाखी } का त्योहार था।  </li><li>[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर|गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर]] ने इस हत्याकाण्ड का मुखर विरोध किया और विरोध स्वरूप अपनी { नाइटहुड } की उपाधि को वापस कर दिया था।</li></ol>
हर लहर, लहर की गति को झेल रही है।
</quiz>
 
बढ़ना, बढ़ते जाना सक्रिय जीवन है,
तट से बँध कर रह जाना घुटन-सड़न है।
जो कूद पड़ा लहरों में, पार हुआ हैं,
जो जूझ पड़ा, सपना साकार हुआ है।
 
जो लीक पुरातनता की छोड़ न पाया,
जिसका बल युग-धारा को मोड़ न पाया।
वह मानव क्या, जो बन्धन तोड़ न पाया,
जो अन्यायों के घट को फोड़ न पाया।
 
ये लहरें हैं, आता है इन्हें लहरना
बढ़ने की धुन में भाता नहीं ठहरना।
तुन कौन? यहाँ जो गुमसुम बैठे तट पर,
निश्चल निष्क्रिय, जीवन के इस पनघट पर।
 
देखो जलधारा पर तिरती नौकाएँ,
जीवन-धारा पर तिरती अभिलाषाएँ।
उथलें में कुछ गहरे में नहा रहे हैं,
अपने कल्मष गंगा में बहा रहे हैं।
 
कछुए कुलबुल कर रहे कामनाओं से,
सुछ डुबे हैं अवदमित वासनाओं से।
कुछ दानी उनको दाने चुगा रहे हैं,
पाथेय पुण्य के अंकुर उगा रहे हैं।
 
घाटों पर जाग्रत जीवन मचल रहा है,
खामोशी को कोलाहल निगल रहा है।
नर-नारी बालक-वृद्ध युवा आए हैं,
वे अपनी वय की साध साथ लाए हैं।
 
बच्चें, बचपन के खेलों पर ललचयें,
बच्चों के बाबा, पुण्य कमाने आए।
क्या बात कहें उनकी जिनमें यौवन है,
छायावादी कविता-सी हर धड़कन है।
 
यौवन की साँसों में हैं सुमन महकते,
यौवन सागर है, शांत नहीं यह तट है।
यौवन, अभिलाषाओं का वंशीवट है,
यौवन रंगीन उमंगों का पनघट है।
 
यौवन आता तो जीवन ही जीवन है,
यौवन आता, बेबस हो जाता मन है।
यौवन के क्षण सपनों के हाथों बिकते,
यौवन के पाँव नहीं धरती पर टिकते।
 
तुम कौन, घाट से टिके हुए बैठे हो?
तुन किसके हाथों बिके हुए बैठे हो?
बिक चुका यहाँ नृप हरिशचन्द्र-सा दानी,
रोहित-सा बेटा, तारा जैसी रानी।
 
तो सुनो, छलकते जीवन की मैं गगरी,
देखो, मैं बाबा विश्वनाथ की नगरी।
जो बड़भागी, वे लोग यहाँ रहते हैं,
परिचय दूँ? वाराणसी मुझे कहते हैं।
 
शिव के त्रिशूल पर बैठी मैं इठलाती,
मैं दैहिक, दैविक, भौतिक शूल मिटाती।
जीने वालों को दिव्य ज्ञान देती हूँ,
मरने वालों को मोक्ष-दान देती हूँ।
 
शंकर बाबा की कैसे कहूँ `कहानी',
उन जैसा कोई मिला न अवढर दानी।
तप की विभूति तन पर शोभित होती है,
यश-गंगा उनके जटा-जूट धोती है।
 
है तेज-पुंज-सा उन्नत भाल दमकता,
कहने वाले कहते हैं, चन्द्र चमकता।
वे युग का विष पीने वाले विषपायी,
अपने भक्तों को वे सदैव वरदायी।
 
विषयों के विषधर उन्हें नहीं डसते हैं,
जन-मंगल ही उनके मन में बसते हैं।
वे सुनते अनहद-वाद विश्व-भय-हारी,
इसलिए लोग कहते, नादिया सवारी।
 
वे वर्तमान के मान, भूत हैं वश में,
अभिप्रेत भविष्यत हैं मन के तर्कंश में।
जग के विचित्र गुण-गण उनके अनुचर हैं,
वे पर्वतीय-सुषमा-पति शिव-शंकर हैं।
 
क्या मृग-मरीचिका कोई उसे लुभाए,
जो मृग-छाला को आसन स्वयं बनाए।
वे धूरजटी, धुन की धूनी रमते हैं,
व्यवधान विफल होते जब वे जमते हैं।
 
मैंने तुमको शिव का माहात्म्य बताया,
मैंने गंगा की लहरों का गुण गाया।
तुम उठो पथिक, झटको यह आत्म-उदासी,
जग से जूझो, तुम बनो नहीं सन्यासी।
 
गंगा की लहारों से शीतलता पाओ,
मन्दिर में बाबा के दर्शन कर आओ।
तुमको रहस्य कुछ और बताऊँगी मैं,
अपने बेटे का गौरव गाऊँगी मैं।
</poem>
|}
</div>

10:50, 17 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

1 अशोक लेख से रिक्त स्थान भरें ?

सम्राट अशोक प्राचीन भारत में

राजवंश का राजा था। अशोक प्राचीन भारत के सम्राट

का पुत्र था। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य के बेहतर कुशल प्रशासन तथा

धर्म के प्रचार के लिए जाना जाता है।

2 शिवाजी लेख से रिक्त स्थान भरें ?

छत्रपति शिवाजी महाराज का पूरा नाम शिवाजी

भोंसले था। शिवाजी का जन्म 19 फ़रवरी, 1630 को

राज्य में हुआ। इनके पिताजी का नाम

भोंसले और माताजी का नाम

था। शिवाजी भारत में

साम्राज्य के संस्थापक थे।

3 जलियांवाला बाग़ लेख से रिक्त स्थान भरें ?

  1. पंजाब के

    नगर में जलियांवाला बाग़ नामक स्थान पर अंग्रेज़ों की सेनाओं ने भारतीय प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाकर बड़ी संख्या में उनकी हत्या कर दी।
  2. यह घटना 13 अप्रैल

    को हुई ।
  3. उस दिन

    का त्योहार था।
  4. गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने इस हत्याकाण्ड का मुखर विरोध किया और विरोध स्वरूप अपनी

    की उपाधि को वापस कर दिया था।