"अगह": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('जिसे ग्रहण करना या पकड़ना कठिन हो, जिसे धारण करना, सम...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replace - ")</ref" to "</ref")
 
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
जिसे ग्रहण करना या पकड़ना कठिन हो, जिसे धारण करना, समझना या कहना कठिन हो, कठिन, दुस्तर,
{{शब्द संदर्भ लघु
{{शब्द संदर्भ लघु
|हिन्दी=जो ग्रहण किये जाने के योग्य न हो, जिसे ग्रहण करना या पकड़ना कठिन हो, जिसे समझना या जिसका वर्णन करना असम्भव या कठिन हो।  
|हिन्दी=जो ग्रहण किये जाने के योग्य न हो, जिसे ग्रहण करना या पकड़ना कठिन हो, जिसे समझना या जिसका वर्णन करना असम्भव या कठिन हो।  
|व्याकरण=व्युत्पत्ति सूचक, [[विशेषण]]।   
|व्याकरण=व्युत्पत्ति सूचक, [[विशेषण]]।   
|उदाहरण=नृपगति अगह, गिरा जाति न गही है<ref>[[तुलसीदास]] गीता., 1/87</ref>, जुक्ति जतन करि जोग अगह गहि।<ref>सूरसागर (10/3744)</ref>  
|उदाहरण=नृपगति '''अगह''', गिरा जाति न गही है<ref>[[तुलसीदास]] गीता., 1/87</ref>, जुक्ति जतन करि जोग '''अगह''' गहि।<ref>सूरसागर (10/3744</ref>  
|विशेष=
|विशेष=
|विलोम=
|विलोम=
पंक्ति 13: पंक्ति 11:
}}
}}


[[Category:नया पन्ना]]
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
__INDEX__
__INDEX__

12:35, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

शब्द संदर्भ
हिन्दी जो ग्रहण किये जाने के योग्य न हो, जिसे ग्रहण करना या पकड़ना कठिन हो, जिसे समझना या जिसका वर्णन करना असम्भव या कठिन हो।
-व्याकरण    व्युत्पत्ति सूचक, विशेषण
-उदाहरण   नृपगति अगह, गिरा जाति न गही है[1], जुक्ति जतन करि जोग अगह गहि।[2]
-विशेष   
-विलोम   
-पर्यायवाची   
संस्कृत अग्राह्य।
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द
संबंधित लेख

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तुलसीदास गीता., 1/87
  2. सूरसागर (10/3744