"अकाल संहिता": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "Category:भारतीय संविधान" to "Category:भारत का संविधान") |
||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
[[Category:अंग्रेज़ी शासन]] | [[Category:अंग्रेज़ी शासन]] | ||
[[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:इतिहास कोश]] | ||
[[Category: | [[Category:भारत का संविधान]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
07:42, 30 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
- अकाल संहिता को (1880 ई.) की सिफ़ारिशों के आधार पर 1883 ई. में तैयार किया गया।
- इस संहिता में खाद्याभाव का पता लगाने के लिए प्रक्रिया निर्धारित की गई थी, जिसके द्वारा पहले अभाव की स्थिति और बाद में अभाव की स्थिति घोषित की जा सके।
- सिद्धान्त यह माना गया कि जैसे ही अभाव की स्थिति घोषित हो, वैसे ही रेलवे और जहाज़ों के द्वारा तत्काल अधिक अन्न वाले क्षेत्रों से अकालग्रस्त क्षेत्रों के लिए अनाज भेजा जाए, जिससे की अकाल पीड़ित लोगों को अविराम खाद्यान्न मिलता रहे। साथ ही काम करने लायक़ लोगों को काम दिया जाए।
- ऐसा कहा गया है कि अकाल संहिता भी अकाल को रोकने में असफल ही सिद्ध हुई। किन्तु इसमें सन्देह नहीं कि विज्ञान के नये स्रोतों और आयोजनाओं से अकाल की विभीषिका को कम करने में मदद मिली है।
इन्हें भी देखें: अकाल , अकाल आयोग एवं अकाल प्रतिवेदन
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ