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| ==इतिहास==
| | *[[व्रतसागर]] |
| {| class="bharattable-green" width="100%"
| | *[[व्रतसमुच्चय]] |
| |-
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| | valign="top"|
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| {| width="100%"
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| <quiz display=simple>
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| {मौर्यकाल में भूमिकर, जोकि राज्य की आय का मुख्य स्रोत था, किस अधिकारी द्वारा एकत्रिय किया जाता था?
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| |type="()"}
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| -अग्रोनोमाई
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| +सीताध्यक्ष
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| -शुल्काध्यक्ष
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| -अक्राध्यक्ष
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| ||विवरण मौर्यकाल में सीताध्यक्ष राजकीय कृषि विभाग का अध्यक्ष होता था, राजकीय भूमि से राज्य को सर्वाधिक कर प्राप्त होता था।
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| {गुप्तकाल में [[गुजरात]],[[बंगाल]], दक्कन एवं तमिल राष्ट्र में स्थित केन्द्र किससे सम्बन्धित थे?
| | *[[व्रतसार]] |
| |type="()"}
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| +वस्त्र उत्पादन
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| -बहुमूल्य मणि एवं रत्न
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| -हस्तशिल्प
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| -अफीम खेती
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| ||विवरण गुप्तकाल में कपड़े का निर्माण करना इस काल का सर्वप्रमुख उद्योग था। अमरकोष में कताई, बुनाई, हथकरघा, धागे इत्यादि का सन्दर्भ आया है। गुप्तकाल में वस्त्र उत्पादन के गुजरात, बंगाल, दक्कन एवं तमिल राष्ट्र के प्रमुख केन्द्र थे।
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| {किस शासक के काल में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन कश्मीर में हुआ था?
| | *[[व्रतविवेकभास्कर]] |
| |type="()"}
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| -अशोक
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| -काला अशोक
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| +कनिष्क
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| -आजातशत्रु
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| ||विवरण चतुर्थ बौद्ध संगीति लगभग प्रथम शताब्दी ई. में कुषाण वंश के शासक कनिष्क के शासनकाल में कश्मीर के कुण्डलवन में आयोजित की गयी थी, इस संगीत सभा की अध्यक्षता वसुमित्र ने की थी। इस सभा में बौद्ध धर्म दो सम्प्रदायों हीनयान तथा महायान में विभाजित हो गया था?
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| {संगमकालीन साहित्य में 'कोन, को एवं मन्नन' किसके लिए प्रयुक्त होते थे?
| | *[[व्रतसंग्रह]] |
| |type="()"}
| | *[[व्रतसंपात]] |
| -[[प्रधानमंत्री]]
| | *[[व्रताचार]] |
| -सेनाधिकारी
| | *[[व्रतार्क]] |
| -राजस्व मंत्री
| | *[[व्रतोद्यापन]] |
| +राजा
| | *[[व्रतोद्यापनकौमुदी]] |
| | | *[[व्रतोपवाससंग्रह]] |
| {'किताब उल' हिन्द' रचना के प्रसिद्ध लेखक का क्या नाम था?
| | *[[व्रात्यप्रायश्चित्तनिर्णय]] |
| |type="()"}
| | *[[व्रात्यताशुद्धिसंग्रह]] |
| -हसन निजामी
| | *[[व्रात्यस्तोमपद्धति]] |
| -मिन्हाज-उस-सिराज
| | *[[शकुनार्णव]] |
| +अलबरूनी
| | *[[शंकरगीता]] |
| -शम्स-ए- सिराज आफिफ
| | *[[शंकुप्रतिष्ठा]] |
| ||विवरण 'किताब उल' हिन्द' नामक पुस्तक की रचना अलबरूनी ने की थी, अलबरूनी अरबी,फारसी, तुर्की, [[संस्कृत]], गणित, खगोल का प्रमुख जानकर था। उसकी कुल 14 पुस्तकों में 'किताब उल' हिन्द' सबसे अधिक लोकप्रिय पुस्तक थी। उसकी इस पुस्तक को दक्षिण एशिया के इतिहास का प्रमुख स्रोत माना जाता है।
| | *[[शंखचक्रधारणवाद]] |
| | | *[[शंखधरसमुच्चय]] |
| {[[अकबर]] काल में भू-राजस्व व्यवस्था की प्रसिद्ध नीति 'आइन-ए दहसाला' पद्धति किसके निर्मित की गई थी?
| | *[[शतचण्डीपद्धति]] |
| |type="()"}
| | *[[शतचण्डीप्रयोग]] |
| -शाह नवाज खाँ
| | *[[शतचण्डीविधानपद्धति]] |
| +टोडरमल
| | *[[शतचण्डीसहस्त्रचण्डीप्रयोग]] |
| -अब्दुर्रहीम खानखाना
| | *[[शतद्वयी]] |
| -मुल्ला दो प्याजा
| | *[[शतश्लोकी]] |
| ||विवरण टोडरमल अकबर ने नौ रत्नों में से एक थे तथा अकबर के अर्थमंत्री थे, भू-राजस्व व्यवस्था 'आइन-ए दहसाला' उन्हीं के द्वारा निर्मित की गई थी।
| | *[[शतानन्दसंग्रह]] |
| | | *[[शरदक्षस्मृति]] |
| {'अष्ट दिग्गज' किस राजा से सम्बन्धित थे?
| | *[[शाकटायनस्मृति]] |
| |type="()"}
| | *[[शाकलस्मृति]] |
| -[[शिवाजी]]
| | *[[शांखायनगृह्यपरिशिष्ट]] |
| +कृष्णदेव राय
| | *[[शांखायनगृह्यसंस्कारपद्धति]] |
| -राजेन्द्र प्रथम
| | *[[शांखायनगृह्यसंस्कार]] |
| -यशोवर्मन
| | *[[शांखायनगृह्यसूत्र]] |
| ||विवरण कृष्णदेव राय शासनकाल 'तेलुगू साहित्य का क्लासिकी युग' माना जाता है।उसके दरबार को तेलगू के आठ महान विद्वान एवं कवि (जिन्हें अष्ट दिग्गज़ कहा जाता है) सुशोभित करते थे। अत: उसे आन्ध्र भोज भी कहा जाता है।
| | *[[शांखायना]] |
| | | *[[शाण्डिल्यगृह्य]] |
| {19वीं सदी के महानतम पारसी समाज सुधारक थे?
| | *[[शाण्डिल्यधर्मशास्त्र]] |
| |type="()"}
| | *[[शाण्डिल्यस्मृति]] |
| -सर जमशेदजी
| | *[[शातातपस्मृति]] |
| -सर रूस्तम बहरामजी
| | *[[शांतिकमलाकार]] |
| -नवलजी टाटा
| | *[[शांतिकल्पदीपिका]] |
| +बहरामजी एम.मल्लबारी
| | *[[शांतिकल्पप्रदीप]] |
| ||विवरण 19वीं शताब्दी के पारसी सुधारक बहरामजी एम.मल्लबारी थे इन्होंने 1885 में सेवासदन नामक सामाजिक सुधार तथा मानवतावादी संगठन की स्थापना की थी।
| | *[[शांतिकविधि]] |
| | | *[[शांतिकौमुदी]] |
| {[[भारत]] में प्रथम तीन विश्वविद्यालय ([[कलकत्ता]], [[मद्रास]], [[बम्बई]]) की स्थापना किस वर्ष में हुई?
| | *[[शांतिगणपति]] |
| |type="()"}
| | *[[शांतिचिंतामणि]] |
| +1857 में
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| -1881 में
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| -1885 में
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| -1904 में
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| ||विवरण चार्ल्स वुड के पत्र की सभी सिफारिशें लागू कर दी गई। पुरानी शिक्षा परिषद् और लोक शिक्षा समिति के स्थान पर 1855 में लोक शिक्षा विभाग स्थापित कर दिया गया। तीनों विश्वविद्यालय ([[कलकत्ता]], [[मद्रास]], [[बम्बई]]) 1857 में अस्तित्व में आए?
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| {भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1924 के अधिवेशन में [[महात्मा गाँधी]] द्वारा मात्र एक बार अध्यक्षता की गई। यह अधिवेशन कहाँ हुआ था।
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| |type="()"}
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| -गया में
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| -[[अमृतसर]] में
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| +बेलगाँव में
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| -[[कानपुर]] में
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| ||विवरण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 39वाँ अधिवेशन, जो 26-27 दिसम्बर, 1924 को बेलगाँव में हुआ था, की अध्यक्षता [[महात्मा गाँधी]] ने की थी।
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| {हड़प्पा के काल में ताँबे की रथ की खोज हुई थी?
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| |type="()"}
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| -कुनाल में
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| -राखी गढ़ी में
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| +दैमाबाद में
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| -बनवाली में
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| ||विवरण दैमाबाद ([[महाराष्ट्र]]) अहमदनगर ज़िले में [[गोदावरी नदी|गोदावरी]] की सहायक प्रवरा नदी के तट पर स्थित है। यह सिन्धु सभ्यता का अंतिम दक्षिणी स्थल है। दैमाबाद से ताँबे के रथ का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
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| {हड़प्पावालों को निम्नलिखित में से किसका ज्ञान नहीं था?
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| |type="()"}
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| -कुओं का निर्माण
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| -खम्भों का निर्माण
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| -नलियों का निर्माण
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| +मेहराब का निर्माण
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| {महावीर की मृत्यु के बाद जैन संघ का मुखिया किसे कहा जाता है?
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| |type="()"}
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| -जम्बु
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| -स्थूलभद्र
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| -भद्रबाहु
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| +सुधर्मण
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| ||विवरण महावीर ने अपने जीवनकाल में ही एक संघ की स्थापना की जिसमें 11 प्रमुख अनुयायी सम्मिलित थे। ये गणधर कहलाए। महावीर के जीवनकाल में ही 10 गणधर की मृत्यु हो गई, महावीर के बाद केवल सुधर्मण जीवित रहा, जो जैन संघ का प्रथम मुखिया या अध्यक्ष बना।
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| {राजगृही का राजकीय चिकित्सक जीवक को जिसे गणिका के पुत्र के रूप में माना जाता है उसका नाम है?
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| |type="()"}
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| +सलावती
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| -बसंतसेना
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| -रमनिया
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| -आम्रपाली
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| ||विवरण राजगृह का राजकीय चिकित्सक जीवक सलावती नामक गणिका का पुत्र था।
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| {'दीवान-ए-मुस्तखराज' किसने स्थापित किया था?
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| |type="()"}
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| -कुतुबुद्दीन ऐबक
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| -रजिया
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| -बलबन
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| +अलाउद्दीन खिलजी
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| ||विवरण [[दिल्ली]] सल्तनत का सर्वशक्तिशाली शासक अलाउद्दीन खिलजी ने बकाया करों की वसूली तथा राजस्व एकत्र करने के लिए 'दीवान-ए-मुस्तखराज' नामक विभाग की स्थापना की।
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| {इतिहासकार अबुल फजल का कत्ल किया था?
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| |type="()"}
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| -हेमू ने
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| -बैरम खाँ ने
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| -उदय सिंह ने
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| +वीर सिंह देव बुन्देला ने
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| ||विवरण सलीम (जहाँगीर) के इशारे पर ओरछा के बुन्देला सरदार वीर सिंह देव ने अबुल फजल की हत्या कर दी थी। अबुल फजल [[अकबर]] द्वारा स्थापित नवीन सम्प्रदाय दीन-ए-इलाही का प्रधान पुरोहित था।
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| {निम्नलिखित में से किस मुगल बादशाह ने [[राममोहन राय राजा]] को दूत बनाकर लंदन भेजा था?
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| |type="()"}
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| -आलमगीर द्वितीय
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| -शाह आलम द्वितीय
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| +अकबर द्वितीय
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| -बहादुरशाह द्वितीय
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| ||विवरण मुगल बादशाह [[अकबर]] द्वितीय (1806-37) ने राममोहन राय राजा की उपाधि प्रदान की तथा उनसे इंगलैण्ड जाकर बादशाह की पेंशन बढ़ाने की सिफारिश करने का आग्रह किया। इंगलैण्ड में ही 1833 ई. में राममोहन राय राजा की बिस्टल में मृत्यु हो गयी।
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| {वैज्ञानिक समाज की स्थापना की थी?
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| |type="()"}
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| -विल्टन कम्पनी ने
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| -लॉर्ड कार्नवालिस ने
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| +सर सैयद अहमद ख़ान ने
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||विवरण वैज्ञानिक समाज की स्थापना 1864 में सर सैयद अहमद ख़ान ने की तथा 1875 में [[अलीगढ़]] मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की।
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| {'भारतीय असंतोष के पिता' के रूप में [[बाल गंगाधर तिलक]] को किसने कहा था?
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| |type="()"}
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| -लॉर्ड कर्जन
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| -विंसेंट स्मिथ
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| +वेलेंटाइल शिरॉल
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| -हेनरी कॉटन
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| ||विवरण वेलेंटाइल शिरॉल ने बाल गंगाधर तिलक को 'भारतीय असंतोष का जनक' कहा।
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| {[[सुभाषचन्द्र बोस]] से पूर्व आई.एन.ए.का कमाण्डर कौन था?
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| |type="()"}
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| -ग्यानी प्रीतम सिंह
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| +कैप्टन मोहन सिंह
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| -मेजर फुजीहारा
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| -कैप्टन सूरज मल
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| ||विवरण आजाद हिन्द फौज की स्थापना 15 दिसम्बर, 1941 में कैप्टन मोहन सिंह
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| ने की थी, आजाद हिन्द फौज का नेतृत्व सुभाषचन्द्र बोस को 21 अक्टूबर, 1943 को सौंपा गया।
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| {कोपेनहेगन संग्रहालय की सामग्री से पाषण कांस्य और लौहयुग का त्रियुगीय विभाजन किया था?
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| |type="()"}
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| +थॉमसन ने
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| -लुब्बाक ने
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| -टेलर ने
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| -चाइल्ड ने
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| {ऋग्वेद ने निम्नलिखित किन नदियों का उल्लेख [[अफगानिस्तान]] के साथ आर्यों के सम्बन्ध का सूचक है?
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| |type="()"}
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| -असिक्नी
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| -परुष्नी
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| +कुभा,क्रम
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| -विपाश्,सुतुद्रि
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| ||विवरण क्रमु (कुर्रम), कुभा (काबुल आदि आर्यों के कार्यकाल में अफगानिस्तान में बहने वाली नदियाँ है।
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| {बुद्ध का किसके सिक्कों पर अंकन हुआ है?
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| |type="()"}
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| -विम कडफिसस
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| +कनिष्क
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| -नहपाण
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| -बुद्ध गुप्त
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| ||विवरण कनिष्क का कार्यकाल 78 ई. के लगभग माना जाता है। 78 ई. में उसने एक संवत चलाया जो शक संवत् कहलाता है। इसी के सिक्कों पर बुद्ध का अंकन मिलता है।
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| {आबू का जैन मन्दिर किससे बना है?
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| |type="()"}
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| -बलुए पत्थर से
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| -ग्रेनाइट से
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| -चूना पत्थर से
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| +संगमरमर से
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| ||विवरण चन्दवरदाई राजपूतों की उत्पत्ति स्थल आबू को ही मानते हैं। माउण्ट आबू के पास ही प्रसिद्ध देलवाड़ा के जैन मन्दिर हैं। आबू के जैन मन्दिर संगमरमर से बने हुए हैं। यहाँ देवताओं के नाखूनों से खोदी गई 'नक्की झील' है।
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| {यापनीय किसका एक सम्प्रदाय था?
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| |type="()"}
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| -बौद्ध धर्म का
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| +जैन धर्म का
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| -शैव धर्म का
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| -वैष्णव धर्म का
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| {प्रथम गुप्त शासक जिसने 'परम भागवत' की उपाधि धारण की, वह कौन था?
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| |type="()"}
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| -चन्द्रगुप्त प्रथम
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| -समुन्द्रगुप्त
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| +चन्द्रगुप्त द्वितीय
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| -श्रीगुप्त
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| ||विवरण चन्द्रगुप्त द्वितीय का अन्य नाम-देवगुप्त, देवराज, देवश्री था। इसकी प्रमुख उपाधियाँ विक्रमांक, विक्रमादित्य परमभागवत आदि थीं।
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| {'गीतगोविन्द' का रचयिता कौन था?
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| |type="()"}
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| -धोयी
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| -गोवर्द्धनाचार्य
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| +जयदेव
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| -लक्ष्मण सेन
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| ||विवरण जयदेव बारहवीं सदी का महान संस्कृत कवि था। जो बंगाल के सेन शासक लक्ष्मण सेन का समकालीन था। इसका अमर ग्रंथ गीतगोविन्द है, जिसमें उसने राधा कृष्ण की भक्ति में अनेक गीत लिखे हैं।
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| {निम्नलिखित में सा कौन शासक '[[पृथ्वीराज चौहान]]' के नाम से प्रसिद्ध है?
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| |type="()"}
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| -पृथ्वीराज प्रथम
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| -पृथ्वीराज द्वितीय
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| +पृथ्वीराज तृतीय
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| -उपर्युक्त में से कोई नहीं
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| ||विवरण चौहान वंश का शासक पृथ्वीराज तृतीय को पृथ्वीराज चौहान के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त हुई, समकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने इसे 'राय पिथौरा' नाम से उल्लेख किया।
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| {[[चित्तौड़]] का कीर्तिस्तम्भ किसने बनवाया था?
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| |type="()"}
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| -राणा सांगा
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| +राणा कुंभा
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| -[[राणा प्रताप]]
| |
| -राणा उदय सिंह
| |
| ||विवरण राणा कुम्भा यह मेवाड़ के महान योद्धा व शासक थे। राणा कुम्भा ने मालवा विजय के उपलक्ष्य में चित्तौड़ में कीर्तिस्तम्भ का निर्माण कराया। कुम्भा ने अचलगढ़ कुम्भलगढ़, सासबहू का मन्दिर, सूर्यमन्दिर का निर्माण कराया।
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| {निम्नलिखित युग्मों में से कौन सा सही सुमेलित नहीं है?
| |
| |type="()"}
| |
| -बाबर - खानवा का युद्ध
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| -हुमायूँ - चौसा खानवा का युद्ध
| |
| -[[अकबर]]- [[हल्दीघाटी]] का युद्ध
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| +[[जहाँगीर]]- बल्ख का युद्ध
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| {निम्नलिखित संगठनों में से किसने शुद्धि आन्दोलन का समर्थन किया ?
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| |type="()"}
| |
| +[[आर्य समाज]]
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| -देव समाज
| |
| -ब्रह्म समाज
| |
| -प्रार्थना समाज
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| ||विवरण आर्य समाज-1875ई. में [[स्वामी दयानंद सरस्वती]] ने [[बम्बई]] में आर्य समाज की स्थापना की, इनके बचपन का नाम मूलशंकर था। आर्य समाज द्वारा शुद्धि आन्दोलन चलाया गया जिसके अंतर्गत [[हिन्दू धर्म]] का परित्याग कर अन्य धर्म अपनाने वाले लोगों के लिए पुन: धर्म में वापसी के द्वार खोल दिए गए।
| |
| | |
| {मंगल पांडे कहाँ के विप्लव से जुड़े हैं?
| |
| |type="()"}
| |
| +बैरकपुर
| |
| -[[मेरठ]]
| |
| -[[दिल्ली]]
| |
| -उपर्युक्त में से कोई नहीं
| |
| ||विवरण मंगल पांडे बैरकपुर छावनी में 34 वीं रेजीमेण्ट में तैनात एक सिपाही थे। 29 मार्च, 1857 ई. को कुछ सैनिकों ने मंगल पांडे के नेतृत्व में विद्रोह की शुरूआत की।
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| | |
| {[[महात्मा गाँधी]] धरसना नमक गोदाम पर कांग्रेस कार्य-कर्ताओं के धावे के समय कहाँ थे?
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| |type="()"}
| |
| +यरवदा जेल में
| |
| -साबरमती जेल में
| |
| -आगा खाँ पैलेस [[पूना]] में
| |
| -अहमदनगर फोर्ट में
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| | |
| {'इण्डिया डिवाइडेड' पुस्तक के लेखक थे?
| |
| |type="()"}
| |
| -मौलाना अबुल कलाम आजाद
| |
| +डॉ.राजेन्द्र प्रसाद
| |
| -नरेन्द्र देव
| |
| -आसफ अली
| |
| | |
| {भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन का सरकारी इतिहासकार था?
| |
| |type="()"}
| |
| -आर.सी. मजूमदार
| |
| -वी.डी. सावरकर
| |
| -ताराचन्द्र
| |
| +एस.एन. सेन
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| ||विवरण भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन (1857) के सरकारी इतिहासकार डॉ.एस.एन.सेन थे। इन्होंने अपनी पुस्तक 'एट्टीन फिफ्टी सेवन' में विचार व्यक्त किया कि " जो कुछ धर्म के लिए लड़ाई के रूप में शुरू हुआ, वह स्वतंत्रता संग्राम के रूप में समाप्त हुआ।"
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| | |
| {निम्नलिखित में से कौन भक्ति आन्दोलन का प्रस्तावक नहीं था?
| |
| |type="()"}
| |
| +[[नागार्जुन]]
| |
| -[[तुकाराम]]
| |
| -त्यागराज
| |
| -[[वल्लभाचार्य]]
| |
| ||विवरण नागार्जुन कनिष्क के समय का विख्यात विद्वान था तथा उच्चकोटि का दार्शनिक भी था। यह पहला विद्वान था जिसने महायान धर्म के बारे में लिखा। शून्यवाद का प्रतिपादन भी इसी विद्वान ने किया 'माध्यमिक सूत्र' तथा 'परजनापारमित्र' सूत्र रचनाएं विशेष उल्लेखनीय हैं।
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| | |
| {बोध गया में 'बोधि वृक्ष' अपने वंश की इस पीढ़ी का है?
| |
| |type="()"}
| |
| -तृतीय
| |
| -चतुर्थ
| |
| -पंचम
| |
| +षष्ठम
| |
| ||विवरण बोध गया में 'बोधि वृक्ष' [[गौतम बुद्ध]] के जन्म के बाद छठी पीढ़ी का है।
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| | |
| {विश्व का सबसे ऊँचा कहा जाने वाला विश्व शांति स्तूप [[बिहार]] में कहाँ है?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[वैशाली]]
| |
| -[[नालन्दा]]
| |
| +[[राजगीर]]
| |
| -[[पटना]]
| |
| ||विवरण [[गौतम बुद्ध]] से सम्बन्धित विश्व का सबसे ऊँचा स्तूप जिसे विश्व शांति स्तूप कहा जाता है, राजगीर में स्थित है।
| |
| | |
| {'नव नालन्दा महाविहार' किसके लिये विख्यात है?
| |
| |type="()"}
| |
| +ह्नेनसांग स्मारक
| |
| -[[महावीर]] का जन्मस्थान
| |
| -पालि अनुसंधान संस्थान
| |
| -संग्रहालय
| |
| ||विवरण ह्नेनसांग एक चीनी यात्री था, जो हर्ष के कार्यकाल में [[भारत]] आया था। इसी की याद में [[बिहार]] राज्य में नव नालन्दा महाविहार का निर्माण किया गया।
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| | |
| {अशोक के ब्राह्मी अभिलेखों को सर्वप्रथम किसने पढ़ा था?
| |
| |type="()"}
| |
| -एस.आर. गोयल
| |
| +प्रिंसेप
| |
| -एच.डी.साँकलिया
| |
| -वी.एन.मिश्रा
| |
| ||विवरण 1750 में टीफेंथैलर ने सबसे पहले [[दिल्ली]] में अशोक के स्तम्भ का पता लगाया, किंतु अशोक के अभिलेखों को सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने 1837ई. में पढ़ा था।
| |
| | |
| {विश्व का पहला गणतंत्र वैशाली में किसके द्वारा स्थापित किया गया?
| |
| |type="()"}
| |
| -मौर्य
| |
| -नन्द
| |
| -गुप्त
| |
| +लिच्छवी
| |
| ||विवरण लिच्छवी में बुद्ध काल में लिच्छवियों का प्रसिद्ध गणराज्य था। यह गणराज्यों में सबसे पहला बड़ा और शक्तिशाली गणराज्य था। इसकी केन्द्रीय समिति में 7,707 राजा थे। यह जैन और बौद्ध धर्म का प्रमुख केन्द्र था।
| |
| | |
| {[[भारत]] में प्रथम रेलवे लाइन किस ब्रिटिश गवर्नर के समय बिछाई गई थी?
| |
| |type="()"}
| |
| +लॉर्ड डलहौजी
| |
| -लॉर्ड कर्जन
| |
| -लॉर्ड वेलेजली
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| -लॉर्ड लिटन
| |
| ||विवरण भारत में सर्वप्रथम रेल सेवा गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के शासनकाल में [[मुम्बई]] से थाणे के बीच 1853 ई. में प्रारम्भ की गई थी।
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| | |
| {1942 के आन्दोलन में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को किस जेल में कैद रखा गया था?
| |
| |type="()"}
| |
| +बांकीपुर जेल
| |
| -हजारीबाग जेल
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| -कैम्प जेल
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| -[[भागलपुर]] जेल
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| ||विवरण 1942 के [[भारत]] छोड़ो आन्दोलन के दौरान डॉ राजेन्द्र प्रसाद को गिरफ्तार कर बांकीपुर जेल ([[पटना]]) में रखा गया था। जयप्रकाश नारायण को हजारीबाग सैंट्रल जेल में रखा गया था।
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