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*[[चंद्रगुप्त मौर्य]] ने [[मैसूर]] को भी अपने अधीन किया था। [[अशोक के शिलालेख|अशोक के शिलालेख-13]] से यह ज्ञात होता है कि दक्षिण भारत में मैसूर के चित्तलदुर्ग ज़िले तक विस्तृत प्रदेश उसके पैतृक साम्राज्य में सम्मिलित था।<ref>{{cite book | last =पांडे | first =धनपति | title = प्राचीन भारत का राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास | edition = | publisher = | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय | language =हिंदी| pages =109| chapter =मौर्य साम्राज्य}}</ref>
*[[चंद्रगुप्त मौर्य]] ने [[मैसूर]] को भी अपने अधीन किया था। [[अशोक के शिलालेख|अशोक के शिलालेख-13]] से यह ज्ञात होता है कि [[दक्षिण भारत]] में मैसूर के चित्तलदुर्ग ज़िले तक विस्तृत प्रदेश उसके पैतृक साम्राज्य में सम्मिलित था।<ref>{{cite book | last =पांडे | first =धनपति | title = प्राचीन भारत का राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास | edition = | publisher = | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय | language =हिंदी| pages =109| chapter =मौर्य साम्राज्य}}</ref>
*[[चोल]], [[पाण्ड्य]], [[द्रविड़ देश|द्रविड प्रदेश]] को 'तमिलनाड' कहा जाता है। चोल में [[अशोक]] के समय धर्मदूतों के आने का उल्लेख उनके अभिलेखों में आता है। द्रविड देश के समीपतम स्थान चित्तलदुर्ग के जंटिजटिंगा, दामोदर पहाड़ में [[अशोक के शिलालेख|अशोक शिलालेख]] प्राप्त हुए हैं, जो कर्नाटक प्रदेश में है।<ref>{{cite book | last =सांकृत्यायन | first =राहुल | title = पालिसाहित्य का इतिहास | edition = | publisher = | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language =हिंदी| pages =264| chapter =द्रविड़ प्रदेश में स्थविरवाद तथा पालि}}</ref>  
*[[चोल]], [[पाण्ड्य]], [[द्रविड़ देश|द्रविड प्रदेश]] को 'तमिलनाड' कहा जाता है। चोल में [[अशोक]] के समय धर्मदूतों के आने का उल्लेख उनके [[अभिलेख|अभिलेखों]] में आता है। [[द्रविड़ देश]] के समीपतम स्थान चित्तलदुर्ग के जंटिजटिंगा, दामोदर पहाड़ में [[अशोक के शिलालेख|अशोक शिलालेख]] प्राप्त हुए हैं, जो [[कर्नाटक]] प्रदेश में है।<ref>{{cite book | last =सांकृत्यायन | first =राहुल | title = पालिसाहित्य का इतिहास | edition = | publisher = | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language =हिंदी| pages =264| chapter =द्रविड़ प्रदेश में स्थविरवाद तथा पालि}}</ref>  


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चित्तलदुर्ग, कर्नाटक


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पांडे, धनपति “मौर्य साम्राज्य”, प्राचीन भारत का राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास (हिंदी), 109।
  2. सांकृत्यायन, राहुल “द्रविड़ प्रदेश में स्थविरवाद तथा पालि”, पालिसाहित्य का इतिहास (हिंदी), 264।

बाहरी कड़ियाँ

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