"सदस्य:लक्ष्मी गोस्वामी/अभ्यास3": अवतरणों में अंतर

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==कला और संस्कृति==
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<quiz display=simple>
{किस [[वाद्य यंत्र]] वादक को [[पद्मश्री]] से लेकर [[भारत रत्न]] तक के सभी राष्ट्रीय सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है?
|type="()"}
-[[पंडित रविशंकर]]
+[[बिस्मिल्ला ख़ाँ]]
-शिवकुमार शर्मा
-[[हरिप्रसाद चौरसिया]]
||[[चित्र:Ustad-Bismillah-khan.jpg|बिस्मिल्ला ख़ाँ|100px|right]][[बिस्मिल्ला ख़ाँ]] को एक [[शहनाई]] वादक के रूप में ख्याति प्राप्त है। 1969 ई. में 'एशियाई संगीत सम्मेलन' के 'रोस्टम पुरस्कार' तथा अन्य पुरस्कारों से सम्मानित बिस्मिल्ला खाँ ने शहनाई को [[भारत]] के बाहर एक पहचान प्रदान की है। उन्हें 1956 में [[संगीत नाटक अकादमी]], 1961 में [[पद्मश्री]], 1968 में [[पद्म भूषण]] तथा 1980 में [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया गया। 2001 में उन्हें [[भारत रत्न]] तथा [[मध्य प्रदेश]] में उन्हें सरकार द्वारा 'तानसेन पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिस्मिल्ला ख़ाँ]]


{मुग़ल शैली के विश्वप्रसिद्ध चित्र 'बैलगाड़ी' का चित्रण किसने किया है?
|type="()"}
-दसवंत
-[[मनोहर]]
-मंसूर
+अबुल हसन
{जाति प्रथा एवं छुआछूत को समाप्त करने के उद्देश्य से 'लंगर' परम्परा की नींव किसने डाली?
|type="()"}
-[[गुरु नानक देव]]
-[[गुरु अंगद]]
+[[गुरु अमरदास]]
-[[गुरु रामदास]]
||[[चित्र:Guru-Amar-Das.jpg|right|120px|गुरु अमरदास]]ऐसा नहीं है कि गुरु अमरदास ने अपनी बातें सिर्फ़ उपदेशात्मक रुप में कही हों, उन्होनें उन उपदेशों को अपने जीवन में अमल में लाकर स्वयं एक आदर्श बनकर सामाजिक सद्भाव की मिसाल कायम की। छूत-अछूत जैसी बुराइयों को दूर करने के लिये 'लंगर परम्परा' चलाई, जहाँ कथित अछूत लोग, जिनके सामीप्य से लोग बचने की कोशिश करते थे, उन्हीं उच्च जाति वालों के साथ एक पंक्ति में बैठकर भोजन करते थे। [[गुरु नानक]] द्वारा शुरु की गई यह लंगर परम्परा आज भी कायम है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु अमरदास]]
{[[पुराण|पुराणों]] की कुल संख्या कितनी है?
|type="()"}
-12
-16
+18
-20
{[[महर्षि गौतम]] का सम्बन्ध किस [[दर्शन]] से है?
|type="()"}
-[[सांख्य दर्शन]] से
-योग दर्शन से
+[[न्याय दर्शन]] से
-[[वैशेषिक दर्शन]] से
||'न्याय दर्शन' के कर्ता [[महर्षि गौतम]] परम तपस्वी एवं संयमी थे। '[[न्यायसूत्र]]' के रचयिता का गोत्र नाम 'गौतम' और व्यक्तिगत नाम 'अक्षपाद' है। 'न्यायसूत्र' पाँच अध्यायों में विभक्त है, जिनमें प्रमाणादि षोडश पदार्थों के उद्देश्य, लक्षण तथा परीक्षण किये गये हैं। [[वात्स्यायन]] ने न्यायसूत्रों पर विस्तृत भाष्य लिखा है। इस भाष्य का रचनाकाल विक्रम पूर्व प्रथम शतक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[न्याय दर्शन]]
{[[बिहार]] का प्रमुख त्योहार कौन-सा है?
|type="()"}
-[[वैशाखी]]
-[[ओणम]]
-[[पोंगल]]
+[[छठ पूजा]]
||[[चित्र:Chhath-Puja-1.jpg|छठ पूजा|100px|right]][[उत्तराखंड]] का 'उत्तरायण पर्व' हो या [[केरल]] का [[ओणम]], [[कर्नाटक]] की 'रथसप्तमी' हो या [[बिहार]] का [[छठ पूजा]], सभी इसका प्रमाण हैं कि, [[भारत]] मूलत: सूर्य संस्कृति के उपासकों का देश है तथा बारह [[मास]] के तीज-त्योहार [[सूर्य देव|सूर्य]] के [[संवत|संवत्सर]] चक्र के अनुसार मनाए जाते हैं। छठ से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं और लोकगाथाओं पर गौर करें, तो पता चलता है कि भारत के आदिकालीन [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] राजाओं का यह मुख्य पर्व था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[छठ पूजा]] 
{[[अमृतसर]] स्थित [[स्वर्ण मन्दिर]] का निर्माण किसने करवाया था?
|type="()"}
+गुरु अर्जुन देव
-[[गुरु रामदास]]
-[[गुरु हरगोविन्द सिंह]]
-[[गुरु तेगबहादुर सिंह ]]
{निम्नलिखित नगरों में से किस एक के निकट 'पालिताणा मंदिर' स्थित है?
|type="()"}
+[[भावनगर]]
-[[माउण्ट आबू]]
-[[नासिक]]
-[[उज्जैन]]
||[[चित्र:Nilambag-Palace-Bhavnagar.jpg|निलामबाग़ पैलेस, भावनगर|100px|right]]भावनगर में पर्यटको के लिए शत्रुंजय हिल पर स्थित [[जैन]] मंदिर 'पालिताणा' और 'वेलवदर अभ्‍यारण्य' भारतीय ब्लैक बक का प्रसिद्ध घर है। दरबारगढ़ (शाही निवास) नगर के मध्य में स्थित है। [[भावनगर]] के शासकों ने मोतीबाग़ और नीलमबाग़ महल को अपना स्थाई निवास बनाया था। भावनगर लगभग दो शताब्दी तक बड़ा बन्दरगाह बना रहा और यहाँ से [[अफ्रीका]], मोजांबिक, जंजीबार, [[सिंगापुर]] और खाड़ी के देशों के साथ व्यापार चलता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भावनगर]]
{[[सारनाथ]] में किस [[मौर्य वंश|मौर्य]] सम्राट का स्तम्भ है?
|type="()"}
-[[चंद्रगुप्त]]
+[[अशोक]]
-[[बिन्दुसार]]
-[[बृहद्रथ मौर्य|बृहद्रथ]]
||[[चित्र:Ashokthegreat1.jpg|अशोक|100px|right]]अशोक के [[सारनाथ]] तथा [[सांची]] के लघु स्तंभलेख में संघभेद के विरुद्ध यह आदेश जारी किया गया है कि, जो भिक्षु या भिक्षुणी संघ में फूट डालने का प्रयास करें, उन्हें संघ से बहिष्कृत किया जाए। यह आदेश [[कौशाम्बी]] और [[पाटलिपुत्र]] के महापात्रों को दिया गया है। इससे पता चलता है कि, [[बौद्ध धर्म]] का संरक्षक होने के नाते संघ में एकता बनाए रखने के लिए अशोक ने राजसत्ता का उपयोग किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक]]
{दूरदर्शन का विशेष शिक्षा चैनल कौन-सा है?
|type="()"}
-ज्ञान-विज्ञान
-ज्ञान-सागर
+ज्ञान-दर्शन
-ज्ञान-सरोवर
{[[भारत]] में एस.टी.डी. (STD) सेवा की शुरुआत किस वर्ष हुई?
|type="()"}
-1950 ई. में
-1954 ई. में
+1960 ई. में
-1972 ई. में
{प्राचीन [[ब्राह्मी लिपि]] को किसने स्पष्ट किया?
|type="()"}
-जॉन एफ़ फ़्लीट
+जेम्स प्रिंसेप
-[[कनिंघम]]
-जॉन मार्शल
{निम्नलिखित में से किस स्थान पर [[कुम्भ मेला]] का आयोजन नहीं किया जाता है?
|type="()"}
-[[इलाहाबाद]]
+[[भोपाल]]
-[[हरिद्वार]]
-[[नासिक]]
{[[भारत]] का प्राचीनतम दर्शन है?
|type="()"}
-[[न्याय दर्शन|न्याय]]
-[[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिक]]
+[[सांख्य दर्शन|सांख्य]]
-[[योगाचार दर्शन|योग]]
||[[चित्र:Sankhya-Darshan.jpg|सांख्य दर्शन|100px|right]] सांख्य शब्द की निष्पत्ति संख्या शब्द से हुई है। संख्या शब्द 'ख्या' धातु में सम् उपसर्ग लगाकर व्युत्पन्न किया गया है जिसका अर्थ है 'सम्यक् ख्याति'। संसार में प्राणिमात्र दु:ख से निवृत्ति चाहता है। दु:ख क्यों होता है, इसे किस तरह सदा के लिए दूर किया जा सकता है- ये ही मनुष्य के लिए शाश्वत ज्वलन्त प्रश्न हैं। इन प्रश्नों का उत्तर ढूँढ़ना ही ज्ञान प्राप्त करना है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सांख्य दर्शन|सांख्य]] 
{[[कृष्णराज सागर बाँध मैसूर|कृष्णराज सागर]] कहाँ पर स्थित है?
|type="()"}
-[[उदयपुर]] में
-[[कोटा]] में
+[[मैसूर]] में
-[[हैदराबाद]] में
{[[वैशेषिक दर्शन]] के प्रणेता कहे जाते हैं?
|type="()"}
-चार्वाक
-[[गौतम]]
+[[कणाद]]
-[[कपिल]]
||महर्षि कणाद [[वैशेषिक सूत्र]] के निर्माता, परम्परा से प्रचलित वैशेषिक सिद्धान्तों के क्रमबद्ध संग्रहकर्ता एवं वैशेषिक दर्शन के समुद्भावक माने जाते हैं। वह उलूक, काश्यप, पैलुक आदि नामों से भी प्रख्यात हैं महर्षि के ये सभी नाम साभिप्राय और सकारण हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कणाद]] 
</quiz>
|}
|}
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06:17, 24 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण