"मंगलेश": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
 
(4 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*[[कीर्तिवर्मा प्रथम|कीर्तिवर्मा]] के बाद उसके पुत्र [[पुलकेशी द्वितीय|पुलकेशी]] को राजा बनना चाहिए था।  
'''मंगलेश''' ने गद्दी पर बैठने के उपरान्त [[कलचुरी वंश|कलचुरियों]] को पराजित किया था। [[कीर्तिवर्मा प्रथम]] के बाद उसके पुत्र [[पुलकेशी द्वितीय]] को राजा बनना चाहिए था।  
*उसके चाचा (कीर्तिवर्मा के भाई) मंगलेश ने बल प्रयोग करके वातापी की गद्दी पर अधिकार कर लिया, और कुछ समय तक अपने अग्रज द्वारा स्थापित राज्य का उपभोग किया।  
*उसके चाचा (कीर्तिवर्मा के भाई) '''मंगलेश''' (597-98 से 609 ई.) ने बल प्रयोग करके [[वातापी कर्नाटक|वातापी]] की गद्दी पर अधिकार कर लिया, और कुछ समय तक अपने अग्रज द्वारा स्थापित राज्य का उपभोग किया।
*इस बीच में पुलकेशी भी शान्त नहीं बैठा था। उसने राज्य प्राप्त करने का प्रयत्न जारी रखा था, और गृह युद्ध द्वारा मंगलेश को मारकर वह राजसिंहासन पर आरूढ़ हो गया।
*वल्लभी नरेश ने मंगलेश द्वारा आरम्भ किये गये विजय अभियान को रोकने का प्रयत्न किया, किंतु इस कार्य में वह अल्प सफलता ही प्राप्त कर सका।
 
*मंगलेश ने कदम्बों को समूल से नष्ट कर दिया था।
*ऐहोल अभिलेख के उल्लेख के आधार पर प्रतीत होता है कि, मंगलेश अपने पुत्र को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहता था।
*इस बीच में पुलकेशी द्वितीय भी शान्त नहीं बैठा था। उसने राज्य प्राप्त करने का प्रयत्न जारी रखा था।
*अंत में गृह युद्ध द्वारा मंगलेश को मारकर [[पुलकेशी द्वितीय]] राजसिंहासन पर आरूढ़ हो गया।


{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=
|आधार=
पंक्ति 11: पंक्ति 15:
|शोध=
|शोध=
}}
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{चालुक्य राजवंश}}
{{चालुक्य साम्राज्य}}
{{भारत के राजवंश}}
 
[[Category:इतिहास_कोश]]
[[Category:इतिहास_कोश]]
[[Category:दक्षिण भारत के साम्राज्य]]
[[Category:दक्षिण भारत के साम्राज्य]]
[[Category:चालुक्य साम्राज्य]]
[[Category:चालुक्य साम्राज्य]]
[[Category:भारत के राजवंश]]
__INDEX__
__INDEX__

06:43, 14 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

मंगलेश ने गद्दी पर बैठने के उपरान्त कलचुरियों को पराजित किया था। कीर्तिवर्मा प्रथम के बाद उसके पुत्र पुलकेशी द्वितीय को राजा बनना चाहिए था।

  • उसके चाचा (कीर्तिवर्मा के भाई) मंगलेश (597-98 से 609 ई.) ने बल प्रयोग करके वातापी की गद्दी पर अधिकार कर लिया, और कुछ समय तक अपने अग्रज द्वारा स्थापित राज्य का उपभोग किया।
  • वल्लभी नरेश ने मंगलेश द्वारा आरम्भ किये गये विजय अभियान को रोकने का प्रयत्न किया, किंतु इस कार्य में वह अल्प सफलता ही प्राप्त कर सका।
  • मंगलेश ने कदम्बों को समूल से नष्ट कर दिया था।
  • ऐहोल अभिलेख के उल्लेख के आधार पर प्रतीत होता है कि, मंगलेश अपने पुत्र को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहता था।
  • इस बीच में पुलकेशी द्वितीय भी शान्त नहीं बैठा था। उसने राज्य प्राप्त करने का प्रयत्न जारी रखा था।
  • अंत में गृह युद्ध द्वारा मंगलेश को मारकर पुलकेशी द्वितीय राजसिंहासन पर आरूढ़ हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख