"विक्रमादित्य पंचम": अवतरणों में अंतर

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*[[सत्याश्रय]] के बाद कल्याणी के राजसिंहासन पर विक्रमादित्य आरूढ़ हुआ।  
'''विक्रमादित्य पंचम''', [[सत्याश्रय]] के बाद [[कल्याणी कर्नाटक|कल्याणी]] के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ।
*उसके समय के [[मालवा]] के परमारों के साथ चालुक्यों का पुनः संघर्ष हुआ, और वाकपतिराज मुञ्ज की पराजय व हत्या का प्रतिशोध करने के लिए परमार राजा भोज ने [[चालुक्य साम्राज्य|चालुक्य राज्य]] पर आक्रमण कर उसे परास्त किया।  
*इसने लगभग 1008 ई. में चालुक्य साम्राज्य की गद्दी को सम्भाला था।
*पर बाद में उसने भी विक्रमादित्य पंचम से हार खाई।
*उसके समय में [[मालवा]] के परमारों के साथ चालुक्यों का पुनः संघर्ष हुआ, और वाकपतिराज मुञ्ज की पराजय व हत्या का प्रतिशोध करने के लिए [[परमार वंश|परमार]] [[भोज|राजा भोज]] ने [[चालुक्य साम्राज्य|चालुक्य]] राज्य पर आक्रमण कर उसे परास्त किया।
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*पर बाद में राजा भोज ने भी विक्रमादित्य पंचम से पराजय का मुँह देखा था।
*विक्रमादित्य पंचम ने अपने पूर्वजों की नीतियों का अनुसरण करते हुए कई यु़द्ध लड़े, जिसमें उसे सफलता मिली।
*इसकी और किसी उपलब्धियों के बारे में जानकारी नहीं मिली है।
*अभिलेखों में इसके 'वल्लभवनरेन्द्र' तथा 'त्रिभुवनमल्ल' आदि विरुद्वों का उल्लेख मिलता है।
*एक अभिलेख में उसकी बहन [[अनुष्कादेवी]] का उल्लेख मिलता है, जो 'किसकाड' राज्य की शासिका थी।
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08:43, 14 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

विक्रमादित्य पंचम, सत्याश्रय के बाद कल्याणी के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ।

  • इसने लगभग 1008 ई. में चालुक्य साम्राज्य की गद्दी को सम्भाला था।
  • उसके समय में मालवा के परमारों के साथ चालुक्यों का पुनः संघर्ष हुआ, और वाकपतिराज मुञ्ज की पराजय व हत्या का प्रतिशोध करने के लिए परमार राजा भोज ने चालुक्य राज्य पर आक्रमण कर उसे परास्त किया।
  • पर बाद में राजा भोज ने भी विक्रमादित्य पंचम से पराजय का मुँह देखा था।
  • विक्रमादित्य पंचम ने अपने पूर्वजों की नीतियों का अनुसरण करते हुए कई यु़द्ध लड़े, जिसमें उसे सफलता मिली।
  • इसकी और किसी उपलब्धियों के बारे में जानकारी नहीं मिली है।
  • अभिलेखों में इसके 'वल्लभवनरेन्द्र' तथा 'त्रिभुवनमल्ल' आदि विरुद्वों का उल्लेख मिलता है।
  • एक अभिलेख में उसकी बहन अनुष्कादेवी का उल्लेख मिलता है, जो 'किसकाड' राज्य की शासिका थी।
  • इसे 'लक्ष्मी का अवतार', 'दान देने वाली', 'बुद्धिमती', 'सत्य और सच्चरिता' कहा गया है।


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