"चट्टल शक्तिपीठ": अवतरणों में अंतर

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*देवी का यह पीठ बांग्लादेश में चटगाँव से 38 किलोमीटर दूर सीताकुण्ड स्टेशन के पास चंद्रशेखर पर्वत पर स्थित भवानी मंदिर है।  
*देवी का यह पीठ [[बांग्लादेश]] में चटगाँव से 38 किलोमीटर दूर सीताकुण्ड स्टेशन के पास चंद्रशेखर पर्वत पर स्थित भवानी मंदिर है।  
*समुद्रतल से 350 मीटर की ऊँचाई पर यहाँ चंद्रशेखर शिव का भी मंदिर है।  
*समुद्रतल से 350 मीटर की ऊँचाई पर यहाँ चंद्रशेखर शिव का भी मंदिर है।  
*यहाँ सती की "दाहिनी भुजा" का निपात हुआ था।  
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*यहीं पर पास में ही सीताकुण्ड, व्यासकुण्ड, सूर्यकुण्ड, ब्रह्मकुण्ड, बाड़व कुण्ड, लवणाक्ष तीर्थ, सहस्त्रधारा, जनकोटि शिव भी हैं।  
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*बाडव कुण्ड से निरंतर आग निकलती रहती है।  
*बाडव कुण्ड से निरंतर आग निकलती रहती है।  
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12:03, 17 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

चट्टल शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।

  • देवी का यह पीठ बांग्लादेश में चटगाँव से 38 किलोमीटर दूर सीताकुण्ड स्टेशन के पास चंद्रशेखर पर्वत पर स्थित भवानी मंदिर है।
  • समुद्रतल से 350 मीटर की ऊँचाई पर यहाँ चंद्रशेखर शिव का भी मंदिर है।
  • यहाँ सती की "दाहिनी भुजा" का निपात हुआ था।
  • यहाँ की शक्ति "भवानी" तथा शिव "चंद्रशेखर" हैं।
  • यहीं पर पास में ही सीताकुण्ड, व्यासकुण्ड, सूर्यकुण्ड, ब्रह्मकुण्ड, बाड़व कुण्ड, लवणाक्ष तीर्थ, सहस्त्रधारा, जनकोटि शिव भी हैं।
  • बाडव कुण्ड से निरंतर आग निकलती रहती है।
  • शिवरात्रि को यहाँ भारी मेला लगता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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