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==छत्तीसगढ़ का सामान्य ज्ञान==
आरडी बर्मन का जन्म [[27 जून]], 1939 को हुआ था और [[4 जनवरी]], 1994 को 54 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था। मधुर संगीत से श्रोताओं का दिल जीतने वाले संगीतकार राहुल देव बर्मन के लोकप्रिय संगीत चिंगारी कोई भड़के, कुछ तो लोग कहेंगे, पिया तू अब तो आजा।।।हैं।
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==जीवन परिचय==
{[[छत्तीसगढ़]] की प्रसिद्ध लोक-कलाकार लक्ष्मीबाई बंजारे किस गायन क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं?
====जन्म====
|type="()"}
आरडी बर्मन का जन्म [[27 जून]], 1939 को हुआ था और 4 जनवरी, 1994 को 54 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था।
+पण्डवानी गायन
====संगीतकार====
-भरभरी गायन
उनके पिता एस.डी. बर्मन भी जाने माने संगीतकार थे और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उनके सहायक के रूप में की थी। आरडी बर्मन प्रयोगवादी संगीतकार के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने पश्चिमी संगीत को मिलाकर अनेक नई धुनें तैयार की थीं। उन्होंने अपने करियर के दौरान लगभग 300 फ़िल्मों में संगीत दिया।
-चंदेनी गायन
====पंचम नाम====
-बाँसागीत
आरडी को पंचम नाम से फ़िल्म जगत में पुकारा जाता था। आरडी बचपन में जब भी गुनगुनाते थे, प शब्द का ही उपयोग करते थे। यह अभिनेता अशोक कुमार के ध्यान में आई। सा रे गा मा पा में ‘प’ का स्थान पाँचवाँ है। इसलिए उन्होंने राहुल देव को पंचम नाम से पुकारना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनका यही नाम लोकप्रिय हो गया।
==पहला अवसर==
एसडी बर्मन की वजह से आरडी को फ़िल्म जगत के सभी लोग जानते थे। पंचम को माउथआर्गन बजाने का बेहद शौक था। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल उस समय ‘दोस्ती’ फ़िल्म में संगीत दे रहे थे। उन्हें माउथआर्गन बजाने वाले की जरूरत थी। वे चाहते थे कि पंचम यह काम करें, लेकिन उनसे कैसे कहें क्योंकि वे एक प्रसिद्ध संगीतकार के बेटे थे। जब यह बात पंचम को पता चली तो वे फौरन राजी हो गए। मेहमूद से पंचम की अच्छी दोस्ती थी। मेहमूद ने पंचम से वादा किया था कि वे स्वतंत्र संगीतकार के रूप में उन्हें जरूर अवसर देंगे। ‘छोटे नवाब’ के जरिये मेहमूद ने अपना वादा निभाया।
==पहला एकल गीत==
महमूद की फ़िल्म छोटे नवाब बतौर संगीतकार उनकी पहली फ़िल्म थी। लेकिन उन्हें असली पहचान तीसरी मंजिल और पड़ोसन से मिली। उन्होंने नासिर हुसैन, रमेश सिप्पी जैसे फ़िल्मकारों के साथ लंबे समय तक काम किया।
==अन्य गीत==
सिप्पी के साथ उन्होंने सीता और गीता, शोले, शान जैसी फ़िल्मों में संगीत दिया। नासिर हुसैन के साथ उनका लंबा साथ रहा और उन्होंने तीसरी मंजिल, कारवाँ, हम किसी से कम नहीं, यादों की बारात जैसी कई फ़िल्मों के गानों को यादगार बना दिया।


आरडी बर्मन के विविधतापूर्ण गानों में एक ओर जहाँ शास्त्रीय संगीत पर आधारित रैना बीती जाए, मेरा कुछ सामान जैसे गाने है वहीं महबूबा महबूबा, पिया तू अब तो आजा जैसे गाने भी हैं।
{[[मराठा|मराठों]] के अधिकार से पूर्व [[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]] किस राज्य की राजधानी रहा था?
==लोकप्रियता==
|type="()"}
1970 के दशक की उनकी लोकप्रियता 1980 के दशक में भी कायम रही और इस दौरान भी उन्होंने कई चर्चित फ़िल्मों में संगीत दिया। लेकिन दशक के आखिरी कुछ वर्ष अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे और उनकी कई फ़िल्में नाकाम रहीं।
-[[कलचुरी वंश|कलचुरी]]
-[[नागवंश]]
+[[गोंड]]
-इनमें से कोई नहीं
||'गोंड' [[मध्य प्रदेश]] की सबसे महत्त्वपूर्ण जनजाति है, जो प्राचीन काल के गोंड राजाओं को अपना वंशज मानती है। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य [[भारत]] में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। [[मुग़ल]] शासकों और [[मराठा]] शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया। गोंड जनजाति के वर्तमान निवास स्थान मध्य प्रदेश एवं [[छत्तीसगढ़]] राज्यों के पठारी भाग, जिसमें [[छिंदवाड़ा]], बेतूल, सिवानी और माडंला के ज़िले सम्मिलित हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोंड]]


1942।ए लव स्टोरी उनके निधन के बाद प्रदर्शित हुई। इस फ़िल्म के गानों में नई ताजगी थी और उन्हें खूब पसंद किया गया। उनका चार जनवरी 1994 को निधन हो गया। उनके निधन के बाद रिमिक्स गानों का दौर शुरू हुआ। दिलचस्प है कि रीमिक्स किए गए अधिकतर गाने आरडी बर्मन के ही स्वरबद्ध हैं।
{[[छत्तीसगढ़]] का प्रसिद्ध 'पढ़ौनी-भात' किसे कहते हैं?
|type="()"}
-मामा को घर में बुलाकर भोजन कराना।
+घर में नयी बहू के आगमन का भात।
-बेटी की विदाई के समय दिया गया भोजन।
-[[विवाह]] के समय दुल्हे को कराया गया भोजन।


==निधन==
{'ध्रोटयाल गोंड' का प्रमुख कार्य क्या है?
4 जनवरी 1994 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन दुनिया को गुनगुनाने लायक ढेर सारे गीत वे दे गए। अपने अंतिम समय में उन्होंने ‘1942 ए लव स्टोरी’ में यादगार संगीत देकर यह साबित किया था कि उनकी प्रतिभा का सही दोहन फ़िल्म जगत नहीं कर पाया।
|type="()"}
+टोकरियाँ बनाना
-[[कृषि]] करना
-[[ढोलक]] बजाना
-[[पुरोहित]] का कार्य करना
 
{[[छत्तीसगढ़ी भाषा]] में नाटक की शुरुआत किसकी रचना से मानी जाती है?
|type="()"}
-प्रहलाद दुबे
-पंडित तेजनाथ शास्त्री
+पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय
-कोदूराम दलित
 
{[[छत्तीसगढ़]] में 'अंगाकर' क्या है?
|type="()"}
-मोटा [[सेब]]
+पत्तों से लिपटी मोटी रोटी
-[[दाल]] भरी पूड़ी
-[[विवाह]] से पूर्व हाथ का फेरा
 
{[[छत्तीसगढ़]] के किस शहर में 'रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय' स्थित है?
|type="()"}
-[[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]]
-[[चांपा]]
-[[अम्बिकापुर]]
+[[रायपुर]]
||[[चित्र:Raipur-District-Map.jpg|right|100px|रायपुर ज़िले का मानचित्र]][[छत्तीसगढ़]] में रायपुर अध्ययन का महत्त्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ के [[कला]], [[विज्ञान]], वाणिज्य, विधि, कृषि विज्ञान, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, औषधी विज्ञान (आयुर्वेदिक और ऐलोपैथिक) और प्राच्य भाषाओं के कॉलेज यहाँ स्थित 'रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय' ([[1964]]) से संबद्ध हैं। छत्तीसगढ़ में दूरदर्शन की शुरुआत सर्वप्रथम [[रायपुर]] से हुई थी। दूरदर्शन द्वारा चलाये गये शिक्षण कार्यक्रमों से भी यहाँ के जीवन स्तर में सुधार आया है। रायपुर में अनेक [[संगीत]] अकादमियाँ एक संग्रहालय, एक क्षयरोग अस्पताल और [[चावल]] व रेशम व्यवसाय के प्रायोगिक फ़ार्म हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रायपुर]]
 
{राऊतों की विशेष प्रकार की [[बाँसुरी]] को क्या कहते हैं?
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-मोहरी
+मोहराली
-सींग बाजा
-किन्दरी
 
{[[छत्तीसगढ़]] में पण्डवानी गायन के समय कौन-सा [[वाद्य यंत्र]] लेकर गायन होता है?
|type="()"}
-[[नगाड़ा]]
+संजु
-तम्बूरा
-[[ढोलक]]
 
{निम्नलिखित में से प्रथम प्रकाशित [[छत्तीसगढ़ी]] उपन्यास कौन-सा है?
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+हीरू के कहिनीज
-दियाना के अंजोर
-मोंगरा
-पुटहा करम
 
{'शिखर साहित्य पुरस्कार' के प्राप्तकर्ता [[छत्तीसगढ़]] के प्रमुख साहित्यकार कौन हैं?
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-[[गजानन माधव मुक्तिबोध]]
+विनोद कुमार शुक्ल
-शानी गुलशेर अहमद
-लाला जगदलपुरी
 
{'बस्तर लोकोत्सव' का आयोजन कब से कब तक किया जाता है?
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+[[7 अक्टूबर]] से [[17 अक्टूबर]] तक
-[[15 अक्टूबर]] से [[21 अक्टूबर]] तक
-[[15 अक्टूबर]] से [[20 अक्टूबर]] तक
-[[10 अक्टूबर]] से [[17 अक्टूबर]] तक
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__NOTOC__

12:36, 22 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

छत्तीसगढ़ का सामान्य ज्ञान

1 छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक-कलाकार लक्ष्मीबाई बंजारे किस गायन क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं?

पण्डवानी गायन
भरभरी गायन
चंदेनी गायन
बाँसागीत

2 मराठों के अधिकार से पूर्व बिलासपुर किस राज्य की राजधानी रहा था?

कलचुरी
नागवंश
गोंड
इनमें से कोई नहीं

3 छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध 'पढ़ौनी-भात' किसे कहते हैं?

मामा को घर में बुलाकर भोजन कराना।
घर में नयी बहू के आगमन का भात।
बेटी की विदाई के समय दिया गया भोजन।
विवाह के समय दुल्हे को कराया गया भोजन।

4 'ध्रोटयाल गोंड' का प्रमुख कार्य क्या है?

टोकरियाँ बनाना
कृषि करना
ढोलक बजाना
पुरोहित का कार्य करना

5 छत्तीसगढ़ी भाषा में नाटक की शुरुआत किसकी रचना से मानी जाती है?

प्रहलाद दुबे
पंडित तेजनाथ शास्त्री
पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय
कोदूराम दलित

6 छत्तीसगढ़ में 'अंगाकर' क्या है?

मोटा सेब
पत्तों से लिपटी मोटी रोटी
दाल भरी पूड़ी
विवाह से पूर्व हाथ का फेरा

7 छत्तीसगढ़ के किस शहर में 'रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय' स्थित है?

बिलासपुर
चांपा
अम्बिकापुर
रायपुर

8 राऊतों की विशेष प्रकार की बाँसुरी को क्या कहते हैं?

मोहरी
मोहराली
सींग बाजा
किन्दरी

9 छत्तीसगढ़ में पण्डवानी गायन के समय कौन-सा वाद्य यंत्र लेकर गायन होता है?

नगाड़ा
संजु
तम्बूरा
ढोलक

10 निम्नलिखित में से प्रथम प्रकाशित छत्तीसगढ़ी उपन्यास कौन-सा है?

हीरू के कहिनीज
दियाना के अंजोर
मोंगरा
पुटहा करम

11 'शिखर साहित्य पुरस्कार' के प्राप्तकर्ता छत्तीसगढ़ के प्रमुख साहित्यकार कौन हैं?

गजानन माधव मुक्तिबोध
विनोद कुमार शुक्ल
शानी गुलशेर अहमद
लाला जगदलपुरी

12 'बस्तर लोकोत्सव' का आयोजन कब से कब तक किया जाता है?

7 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक
15 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक
15 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक
10 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक