"सदस्य:प्रीति चौधरी/अभ्यास पन्ना": अवतरणों में अंतर

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==छत्तीसगढ़ का सामान्य ज्ञान==
;राहुल देव बर्मन
{| class="bharattable-green" width="100%"
'''आरडी बर्मन''' फ़िल्मी दुनिया में पंचम दा के नाम से विख्यात थे और उन्होंने अपने करियर के दौरान लगभग 300 फ़िल्मों में [[संगीत]] दिया था। मधुर संगीत से श्रोताओं का दिल जीतने वाले संगीतकार राहुल देव बर्मन के लोकप्रिय संगीत चिंगारी कोई भड़के, कुछ तो लोग कहेंगे, पिया तू अब तो आजा......हैं। उनके पिता एसडी बर्मन भी जाने माने संगीतकार थे और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उनके सहायक के रूप में की थी। आरडी बर्मन प्रयोगवादी संगीतकार के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने पश्चिमी संगीत को मिलाकर अनेक नई धुनें तैयार की थीं। उनके पिता एसडी बर्मन भी जाने माने संगीतकार थे और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उनके सहायक के रूप में की थी। आरडी बर्मन प्रयोगवादी संगीतकार के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने पश्चिमी संगीत को मिलाकर अनेक नई धुनें तैयार की थीं।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/2010/06/100627_burman_jayanti_ac.shtml |title=बरक़रार है आरडी बर्मन की धुनों का जादू |accessmonthday=[[12 अक्टूबर]] |accessyear= 2011|last= |first= |authorlink= |format=एच. टी. एम. एल |publisher=बी.बी. सी |language= हिन्दी}}</ref>
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{| width="100%"
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<quiz display=simple>


==जीवन परिचय==
{[[छत्तीसगढ़]] की प्रसिद्ध लोक-कलाकार लक्ष्मीबाई बंजारे किस गायन क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं?
====जन्म====
|type="()"}
आरडी बर्मन का जन्म [[27 जून]], 1939 को [[कलकत्ता]], [[पश्चिम बंगाल]] में हुआ था।
+पण्डवानी गायन
====संगीतकार====
-भरभरी गायन
आरडी बर्मन के पिता एस.डी. बर्मन भी जाने माने संगीतकार थे और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उनके सहायक के रूप में की थी। आरडी बर्मन प्रयोगवादी संगीतकार के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने पश्चिमी संगीत को मिलाकर अनेक नई धुनें तैयार की थीं। उन्होंने अपने करियर के दौरान लगभग 300 फ़िल्मों में संगीत दिया।
-चंदेनी गायन
====पंचम नाम====
-बाँसागीत
आरडी बर्मन को पंचम नाम से फ़िल्म जगत में पुकारा जाता था। आरडी बचपन में जब भी गुनगुनाते थे, 'प' शब्द का ही उपयोग करते थे। यह [[अभिनेता]] [[अशोक कुमार]] के ध्यान में आई। सा रे गा मा पा में ‘प’ का स्थान पाँचवाँ है। इसलिए उन्होंने राहुल देव को पंचम नाम से पुकारना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनका यही नाम लोकप्रिय हो गया।
==पहला अवसर==
एसडी बर्मन की वजह से आरडी बर्मन को फ़िल्म जगत के सभी लोग जानते थे। पंचम को माउथआर्गन बजाने का बेहद शौक था। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल उस समय ‘दोस्ती’ फ़िल्म में संगीत दे रहे थे। उन्हें माउथआर्गन बजाने वाले की जरूरत थी। वे चाहते थे कि पंचम यह काम करें, लेकिन उनसे कैसे कहें क्योंकि वे एक प्रसिद्ध संगीतकार के बेटे थे। जब यह बात पंचम को पता चली तो वे फौरन राजी हो गए। मेहमूद से पंचम की अच्छी दोस्ती थी। मेहमूद ने पंचम से वादा किया था कि वे स्वतंत्र संगीतकार के रूप में उन्हें जरूर अवसर देंगे। ‘छोटे नवाब’ के जरिये मेहमूद ने अपना वादा निभाया।
==पहला एकल गीत==
[[महमूद]] की फ़िल्म छोटे नवाब बतौर संगीतकार उनकी पहली फ़िल्म थी। लेकिन उन्हें असली पहचान तीसरी मंजिल और पड़ोसन से मिली। उन्होंने नासिर हुसैन, रमेश सिप्पी जैसे फ़िल्मकारों के साथ लंबे समय तक काम किया।
==अन्य गीत==
सिप्पी के साथ उन्होंने सीता और गीता, शोले, शान जैसी फ़िल्मों में संगीत दिया। नासिर हुसैन के साथ उनका लंबा साथ रहा और उन्होंने तीसरी मंजिल, कारवाँ, हम किसी से कम नहीं, यादों की बारात जैसी कई फ़िल्मों के गानों को यादगार बना दिया।


आरडी बर्मन के विविधतापूर्ण गानों में एक ओर जहाँ शास्त्रीय संगीत पर आधारित रैना बीती जाए, मेरा कुछ सामान जैसे गाने है वहीं महबूबा महबूबा, पिया तू अब तो आजा जैसे गाने भी हैं।
{[[मराठा|मराठों]] के अधिकार से पूर्व [[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]] किस राज्य की राजधानी रहा था?
|type="()"}
-[[कलचुरी वंश|कलचुरी]]
-[[नागवंश]]
+[[गोंड]]
-इनमें से कोई नहीं
||'गोंड' [[मध्य प्रदेश]] की सबसे महत्त्वपूर्ण जनजाति है, जो प्राचीन काल के गोंड राजाओं को अपना वंशज मानती है। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य [[भारत]] में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। [[मुग़ल]] शासकों और [[मराठा]] शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया। गोंड जनजाति के वर्तमान निवास स्थान मध्य प्रदेश एवं [[छत्तीसगढ़]] राज्यों के पठारी भाग, जिसमें [[छिंदवाड़ा]], बेतूल, सिवानी और माडंला के ज़िले सम्मिलित हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोंड]]


==लोकप्रियता==
{[[छत्तीसगढ़]] का प्रसिद्ध 'पढ़ौनी-भात' किसे कहते हैं?
1970 के दशक की उनकी लोकप्रियता 1980 के दशक में भी कायम रही और इस दौरान भी उन्होंने कई चर्चित फ़िल्मों में संगीत दिया। लेकिन दशक के आखिरी कुछ वर्ष अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे और उनकी कई फ़िल्में नाकाम रहीं।
|type="()"}
-मामा को घर में बुलाकर भोजन कराना।
+घर में नयी बहू के आगमन का भात।
-बेटी की विदाई के समय दिया गया भोजन।
-[[विवाह]] के समय दुल्हे को कराया गया भोजन।


1942 ए लव स्टोरी उनके निधन के बाद प्रदर्शित हुई। इस फ़िल्म के गानों में नई ताजगी थी और उन्हें खूब पसंद किया गया। उनका [[4 जनवरी]] 1994 को निधन हो गया। उनके निधन के बाद रिमिक्स गानों का दौर शुरू हुआ। दिलचस्प है कि रीमिक्स किए गए अधिकतर गाने आरडी बर्मन के ही स्वरबद्ध हैं।
{'ध्रोटयाल गोंड' का प्रमुख कार्य क्या है?
|type="()"}
+टोकरियाँ बनाना
-[[कृषि]] करना
-[[ढोलक]] बजाना
-[[पुरोहित]] का कार्य करना


==सफलता की सीढ़ी चढ़ी==
{[[छत्तीसगढ़ी भाषा]] में नाटक की शुरुआत किसकी रचना से मानी जाती है?
एसडी बर्मन हमेशा आरडी बर्मन को अपने साथ रखते थे। इस वजह से आरडी बर्मन को लोकगीतों, वाद्यों और आर्केस्ट्रा की समझ बहुत कम उम्र में हो गई थी। जब एसडी ‘आराधना’ का संगीत तैयार कर रहे थे, तब काफी बीमार थे। आरडी बर्मन ने कुशलता से उनका काम संभाला और इस फिल्म की अधिकतर धुनें उन्होंने ही तैयार की। आरडी बर्मन को बड़ी सफलता मिली ‘अमर प्रेम’ से। ‘चिंगारी कोई भड़के’ और ‘कुछ तो लोग कहेंगे’ जैसे यादगार गीत देकर उन्होंने साबित किया कि वे भी प्रतिभाशाली हैं।
|type="()"}
-प्रहलाद दुबे
-पंडित तेजनाथ शास्त्री
+पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय
-कोदूराम दलित


==प्रयोग के हिमायती==
{[[छत्तीसगढ़]] में 'अंगाकर' क्या है?
आरडी बर्मन को संगीत में प्रयोग करने का बेहद शौक था। नई तकनीक को भी वे बेहद पसंद करते थे। उन्होंने विदेश यात्राएँ कर संगीत संयोजन का अध्ययन किया। सत्ताईस ट्रैक की रिकॉर्डिंग के बारे में जाना। इलेक्ट्रॉनिक [[वाद्य यंत्र|वाद्ययंत्रों]] का प्रयोग किया। कंघी और कई फालतू समझी जाने वाली चीजों का उपयोग उन्होंने अपने संगीत में किया। भारतीय संगीत के साथ पाश्चात्य संगीत का उन्होंने भरपूर उपयोग किया।
|type="()"}
-मोटा [[सेब]]
+पत्तों से लिपटी मोटी रोटी
-[[दाल]] भरी पूड़ी
-[[विवाह]] से पूर्व हाथ का फेरा


==युवा संगीत==
{[[छत्तीसगढ़]] के किस शहर में 'रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय' स्थित है?
आरडी बर्मन द्वारा संगीतबद्ध की गई फिल्में ‘तीसरी मंजिल’ और ‘यादों की बारात’ ने धूम मचा दी। राजेश खन्ना को सुपर सितारा बनाने में भी आरडी बर्मन का अहम योगदान है। राजेश खन्ना, [[किशोर कुमार]] और आरडी बर्मन की तिकड़ी ने 70 के दशक में धूम मचा दी थी। आरडी का संगीत युवा वर्ग को बेहद पसंद आया। उनके संगीत में बेफिक्री, जोश, ऊर्जा और मधुरता है, जिसे युवाओं ने पसंद किया। ‘दम मारो दम’ जैसी धुन उन्होंने उस दौर में बनाकर तहलका मचा दिया था। जब राजेश खन्ना का सितारा अस्त हुआ तो आरडी ने अमिताभ के लिए यादगार धुनें बनाईं।
|type="()"}
-[[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]]
-[[चांपा]]
-[[अम्बिकापुर]]
+[[रायपुर]]
||[[चित्र:Raipur-District-Map.jpg|right|100px|रायपुर ज़िले का मानचित्र]][[छत्तीसगढ़]] में रायपुर अध्ययन का महत्त्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ के [[कला]], [[विज्ञान]], वाणिज्य, विधि, कृषि विज्ञान, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, औषधी विज्ञान (आयुर्वेदिक और ऐलोपैथिक) और प्राच्य भाषाओं के कॉलेज यहाँ स्थित 'रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय' ([[1964]]) से संबद्ध हैं। छत्तीसगढ़ में दूरदर्शन की शुरुआत सर्वप्रथम [[रायपुर]] से हुई थी। दूरदर्शन द्वारा चलाये गये शिक्षण कार्यक्रमों से भी यहाँ के जीवन स्तर में सुधार आया है। रायपुर में अनेक [[संगीत]] अकादमियाँ एक संग्रहालय, एक क्षयरोग अस्पताल और [[चावल]] व रेशम व्यवसाय के प्रायोगिक फ़ार्म हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रायपुर]]


आरडी बर्मन का संगीत आज का युवा भी सुनता है। समय का उनके संगीत पर कोई असर नहीं हुआ। पुराने गानों को रीमिक्स कर आज पेश किया जाता है, उनमें आरडी द्वारा संगीतबद्ध गीत ही सबसे अधिक होते हैं।
{राऊतों की विशेष प्रकार की [[बाँसुरी]] को क्या कहते हैं?
|type="()"}
-मोहरी
+मोहराली
-सींग बाजा
-किन्दरी


ऐसा नहीं है कि आरडी ने धूम-धड़ाके वाली धुनें ही बनाईं। गीतकार गुलजार के साथ आरडी एक अलग ही संगीतकार के रूप में नजर आते हैं। ‘आँधी’, ‘किनारा’, ‘परिचय’, ‘खुशबू’, ‘इजाजत’, ‘लिबास’ फिल्मों के गीत सुनकर लगता ही नहीं कि ये वही आरडी हैं, जिन्होंने ‘दम मारो दम’ जैसा गाना बनाया है।
{[[छत्तीसगढ़]] में पण्डवानी गायन के समय कौन-सा [[वाद्य यंत्र]] लेकर गायन होता है?
|type="()"}
-[[नगाड़ा]]
+संजु
-तम्बूरा
-[[ढोलक]]


==समय से आगे के संगीतकार==
{निम्नलिखित में से प्रथम प्रकाशित [[छत्तीसगढ़ी]] उपन्यास कौन-सा है?
आरडी बर्मन के बारे में कहा जाता है कि वे समय से आगे के संगीतकार थे। उन्होंने अपने संगीत में वे प्रयोग कर दिखाए थे, जो आज के संगीतकार कर रहे हैं। आरडी का यह दुर्भाग्य रहा कि उनके समय में फिल्मों में एक्शन हावी हो गया था और संगीत के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं थी। अपने अंतिम समय में उन्होंने ‘1942 ए लव स्टोरी’ में यादगार संगीत देकर यह साबित किया था कि उनकी प्रतिभा का सही दोहन फिल्म जगत नहीं कर पाया। 4 जनवरी 1994 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन दुनिया को गुनगुनाने लायक ढेर सारे गीत वे दे गए।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/युवा-संगीत-जनक/युवा-संगीत-के-जनक-राहुल-देव-बर्मन-1.htm |title=युवा संगीत के जनक : राहुल देव बर्मन |accessmonthday=[[12 अक्टूबर]] |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेब दूनिया |language=हिन्दी }}</ref>
|type="()"}
+हीरू के कहिनीज
-दियाना के अंजोर
-मोंगरा
-पुटहा करम


==निधन==
{'शिखर साहित्य पुरस्कार' के प्राप्तकर्ता [[छत्तीसगढ़]] के प्रमुख साहित्यकार कौन हैं?
4 जनवरी 1994 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन दुनिया को गुनगुनाने लायक ढेर सारे गीत वे दे गए। अपने अंतिम समय में उन्होंने ‘1942 ए लव स्टोरी’ में यादगार संगीत देकर यह साबित किया था कि उनकी प्रतिभा का सही दोहन फ़िल्म जगत नहीं कर पाया।<ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/बर्मन-युवाओं-चहेते/आर-डी-बर्मन-युवाओं-के-चहेते-संगीतकार-1110104015_1.htm|title= आर.डी. बर्मन : युवाओं के चहेते संगीतकार |accessmonthday=[[12 अक्टूबर]] |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेब दूनिया|language=हिन्दी }}</ref>
|type="()"}
<references/>
-[[गजानन माधव मुक्तिबोध]]
+विनोद कुमार शुक्ल
-शानी गुलशेर अहमद
-लाला जगदलपुरी
 
{'बस्तर लोकोत्सव' का आयोजन कब से कब तक किया जाता है?
|type="()"}
+[[7 अक्टूबर]] से [[17 अक्टूबर]] तक
-[[15 अक्टूबर]] से [[21 अक्टूबर]] तक
-[[15 अक्टूबर]] से [[20 अक्टूबर]] तक
-[[10 अक्टूबर]] से [[17 अक्टूबर]] तक
</quiz>
|}
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__NOTOC__

12:36, 22 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

छत्तीसगढ़ का सामान्य ज्ञान

1 छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक-कलाकार लक्ष्मीबाई बंजारे किस गायन क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं?

पण्डवानी गायन
भरभरी गायन
चंदेनी गायन
बाँसागीत

2 मराठों के अधिकार से पूर्व बिलासपुर किस राज्य की राजधानी रहा था?

कलचुरी
नागवंश
गोंड
इनमें से कोई नहीं

3 छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध 'पढ़ौनी-भात' किसे कहते हैं?

मामा को घर में बुलाकर भोजन कराना।
घर में नयी बहू के आगमन का भात।
बेटी की विदाई के समय दिया गया भोजन।
विवाह के समय दुल्हे को कराया गया भोजन।

4 'ध्रोटयाल गोंड' का प्रमुख कार्य क्या है?

टोकरियाँ बनाना
कृषि करना
ढोलक बजाना
पुरोहित का कार्य करना

5 छत्तीसगढ़ी भाषा में नाटक की शुरुआत किसकी रचना से मानी जाती है?

प्रहलाद दुबे
पंडित तेजनाथ शास्त्री
पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय
कोदूराम दलित

6 छत्तीसगढ़ में 'अंगाकर' क्या है?

मोटा सेब
पत्तों से लिपटी मोटी रोटी
दाल भरी पूड़ी
विवाह से पूर्व हाथ का फेरा

7 छत्तीसगढ़ के किस शहर में 'रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय' स्थित है?

बिलासपुर
चांपा
अम्बिकापुर
रायपुर

8 राऊतों की विशेष प्रकार की बाँसुरी को क्या कहते हैं?

मोहरी
मोहराली
सींग बाजा
किन्दरी

9 छत्तीसगढ़ में पण्डवानी गायन के समय कौन-सा वाद्य यंत्र लेकर गायन होता है?

नगाड़ा
संजु
तम्बूरा
ढोलक

10 निम्नलिखित में से प्रथम प्रकाशित छत्तीसगढ़ी उपन्यास कौन-सा है?

हीरू के कहिनीज
दियाना के अंजोर
मोंगरा
पुटहा करम

11 'शिखर साहित्य पुरस्कार' के प्राप्तकर्ता छत्तीसगढ़ के प्रमुख साहित्यकार कौन हैं?

गजानन माधव मुक्तिबोध
विनोद कुमार शुक्ल
शानी गुलशेर अहमद
लाला जगदलपुरी

12 'बस्तर लोकोत्सव' का आयोजन कब से कब तक किया जाता है?

7 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक
15 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक
15 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक
10 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक