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| ==कृषि विज्ञान== | | ==छत्तीसगढ़ का सामान्य ज्ञान== |
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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {सर्वप्रथम [[कपास]] का संकर बीज किस देश ने तैयार किया था?
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| +[[भारत]]
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| -[[संयुक्त राज्य अमरीका]]
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| -[[चीन]]
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| -[[मिस्र]]
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| ||[[चित्र:Cotton-Harvesting.jpg|right|90px|कपास की कटाई]][[कृषि]] [[भारत]] की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों एवं प्रयासों से कृषि को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में गरिमापूर्ण दर्जा मिला है। सर्वप्रथम [[कपास]] का संकर बीज भारत में ही तैयार किया गया था। विभिन्न कृषि क्षेत्रों में आधुनिकतम एवं उपयुक्त प्रौद्योगिकी का विकास करने में भी भारतीय वैज्ञानिकों ने सफलताएँ अर्जित की हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भारत]]
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| {'भारतीय लाह शोध संस्थान' कहाँ स्थित है? | | {[[छत्तीसगढ़]] की प्रसिद्ध लोक-कलाकार लक्ष्मीबाई बंजारे किस गायन क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[लखनऊ]]
| | +पण्डवानी गायन |
| -[[कानपुर]] | | -भरभरी गायन |
| +[[रांची]]
| | -चंदेनी गायन |
| -[[देहरादून]] | | -बाँसागीत |
| ||[[चित्र:View-Of-Ranchi.jpg|right|120px|रांची का एक दृश्य]][[झारखंड]] राज्य में साक्षरता दर 1991 के 41.39 प्रतिशत की तुलना में 54.13 प्रतिशत हो गई है। झारखंड की शिक्षा संस्थाओं में कुछ अत्यंत प्रमुख शिक्षा संस्थान शामिल हैं। जनजातिय प्रदेश होने के बावज़ूद यहाँ कई नामी सरकारी एवं निजी कॉलेज हैं, जो [[कला]], [[विज्ञान]], अभियांत्रिकी, क़ानून और मैनेजमेंट में उच्चस्तर की शिक्षा देने के लिये विख्यात हैं। इन संस्थाओं में 'राष्ट्रीय खनन शोध संस्थान', धनबाद; 'भारतीय लाह शोध संस्थान' [[राँची]]; 'राष्ट्रीय मनोचिकत्सा संस्थान' राँची' और 'जेवियर प्रबंधन संस्थान' आदि प्रमुख हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रांची]]
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| {पुरानी जलोढ़ [[मिट्टी]] किस नाम से जानी जाती है? | | {[[मराठा|मराठों]] के अधिकार से पूर्व [[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]] किस राज्य की राजधानी रहा था? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[खादर]] | | -[[कलचुरी वंश|कलचुरी]] |
| +[[बाँगर|बांगर]]
| | -[[नागवंश]] |
| -भावर | | +[[गोंड]] |
| -[[रेह]]
| | -इनमें से कोई नहीं |
| | | ||'गोंड' [[मध्य प्रदेश]] की सबसे महत्त्वपूर्ण जनजाति है, जो प्राचीन काल के गोंड राजाओं को अपना वंशज मानती है। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य [[भारत]] में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। [[मुग़ल]] शासकों और [[मराठा]] शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया। गोंड जनजाति के वर्तमान निवास स्थान मध्य प्रदेश एवं [[छत्तीसगढ़]] राज्यों के पठारी भाग, जिसमें [[छिंदवाड़ा]], बेतूल, सिवानी और माडंला के ज़िले सम्मिलित हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोंड]] |
| {[[भारत]] का सबसे बड़ा रबर उत्पादक राज्य कौन-सा है?
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| |type="()"}
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| -[[कर्नाटक]]
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| +[[केरल]] | |
| -[[तमिलनाडु]] | |
| -[[आंध्र प्रदेश]]
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| ||[[चित्र:Kerala.jpg|right|120px|केरल का एक दृश्य]]केरल राज्य में [[कृषि]] की विशेषता है कि, यहाँ व्यापारिक फ़सलें अधिक उगाई जाती हैं। राज्य के लगभग 50 प्रतिशत नागरिक कृषि पर ही निर्भर हैं। [[नारियल]], रबड, [[काली मिर्च]], [[अदरक]], [[चाय]], [[इलायची]], काजू तथा कॉफ़ी आदि का उत्पादन [[केरल]] में प्रमुख रूप से होता है। दूसरी फ़सलों में सुपारी, [[केला]], [[अदरक]] तथा [[हल्दी]] आदि हैं। केरल राज्य में जायफल, दालचीनी, [[लौंग]] आदि मसालों के वृक्ष भी उगाए जाते हैं। [[चावल]] तथा टैपियोका केरल की मुख्य खाद्य फ़सलें हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केरल]] | |
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| {निम्नलिखित में से कौन-सी ख़रीफ़ की फ़सल नहीं है? | | {[[छत्तीसगढ़]] का प्रसिद्ध 'पढ़ौनी-भात' किसे कहते हैं? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[जौ]] | | -मामा को घर में बुलाकर भोजन कराना। |
| -मसूर
| | +घर में नयी बहू के आगमन का भात। |
| -सरसों
| | -बेटी की विदाई के समय दिया गया भोजन। |
| +बाजरा
| | -[[विवाह]] के समय दुल्हे को कराया गया भोजन। |
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| {[[गेहूँ]] बोने का सबसे उपयुक्त मौसम कौन-सा है? | | {'ध्रोटयाल गोंड' का प्रमुख कार्य क्या है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +अक्टूबर-नवम्बर | | +टोकरियाँ बनाना |
| -नवम्बर-दिसम्बर
| | -[[कृषि]] करना |
| -जनवरी-फ़रवरी | | -[[ढोलक]] बजाना |
| -मार्च-अप्रैल
| | -[[पुरोहित]] का कार्य करना |
| ||[[चित्र:Wheat-1.jpg|right|120px|गेहूँ की फ़सल]][[भारत]] में [[चावल]] के बाद [[गेहूँ]] दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न है। देश के कुल 10% भाग पर गेहूँ की [[कृषि]] की जाती है, किंतु चावल की अपेक्षा इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 2500 किलोग्राम अधिक है। गेहूँ की अधिकांश कृषि सिंचाई के सहारे की जाती है। भारत में इसकी खेती का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और नवम्बर का समय होता है। इस समय बोई गई फ़सल से काफ़ी अच्छा लाभ प्राप्त होता है। गेहूँ के सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य [[उत्तर प्रदेश]], [[पंजाब]] तथा [[हरियाणा]] में हरित- क्रांति के प्रयोगों से उच्च उत्पादकता तथा उत्पादन की मात्रा अधिक गई है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गेहूँ]]
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| {पकने पर [[टमाटर]] का [[रंग]] किसकी उपस्थिति के कारण [[लाल रंग|लाल]] हो जाता है? | | {[[छत्तीसगढ़ी भाषा]] में नाटक की शुरुआत किसकी रचना से मानी जाती है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -बीतानिन | | -प्रहलाद दुबे |
| +लाइकोपिन | | -पंडित तेजनाथ शास्त्री |
| -कैरोटिन
| | +पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय |
| -जैंथोफिल | | -कोदूराम दलित |
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| {[[कृषि]] में 'हरित-क्रांति' के जन्मदाता कौन हैं? | | {[[छत्तीसगढ़]] में 'अंगाकर' क्या है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -बी.एल. चोपड़ा | | -मोटा [[सेब]] |
| -एम.एस. स्वामीनाथन
| | +पत्तों से लिपटी मोटी रोटी |
| +डॉक्टर नॉरमन बोरलॉग
| | -[[दाल]] भरी पूड़ी |
| -एस.एन. विनोग्रेडस्काई
| | -[[विवाह]] से पूर्व हाथ का फेरा |
| ||[[चित्र:Sugarcane.jpg|right|120px|गन्ने की फ़सल]][[कृषि]] वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से सम्बंधित व्यवसाय है। इसने सभ्यताओं के उदय और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉक्टर नॉरमन बोरलॉग, जिन्हें [[भारत]] में 'हरितक्रांति' का जनक माना जाता है, उन्होंने देश को खाद्यान्न सम्पन्न बनाने के लिए कई योजनाएँ चलाई थीं। पौधों को उगाने तथा खाद्यान्न जुटाने के लिए पशु पालन व्यवसाय का भी विकास हुआ। तकनीकों और जानकारियो की बहुत-सी श्रेणियाँ कृषि के अर्न्तगत आती है, इसमें वे तरीके शामिल हैं, जिनसे पौधे उगाने के लिए उपयुक्त भूमि का विस्तार किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृषि]]
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| {'बोरलॉग पुरस्कार' किस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए वैज्ञानिकों को प्रदान किया जाता हैं?
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| |type="()"}
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| -[[भौतिक विज्ञान|भौतिकी]]
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| -चिकित्सा
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| -[[रसायन विज्ञान]] | |
| +[[कृषि]]
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| ||[[चित्र:Indian-Agriculture.jpg|right|120px|धान उगाती महिलाएँ]]फ़सलें जलवायु के अनुसार बदली जाती हैं, न कि फ़सल के अनुसार जलवायु। अतएव किसी स्थान पर कौन-सी फ़सल बोई जाय, यह वहाँ की जलवायु, मृदा, ऊँचाई, [[वर्षा]] आदि पर निर्भर करता है। आज [[भारत]] में [[कृषि]] वैज्ञानिकों को अनेक सुअवसर उपलब्ध हैं। उन्हें प्रयोगशालाएँ तथा शोध आदि के लिए भी समस्त सुविधाएँ मुहैया कराई गयी हैं, जिससे देश को खाद्यान्न सम्पन्न बनाया जा सके। कृषि वैज्ञानिकों के उत्साहवर्धन और उनके सम्मान के लिए उन्हें 'बोरलॉग पुरस्कार' भी प्रदान किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृषि]]
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| {यूरिया में [[नाइट्रोजन]] किस रूप में उपस्थित होता है? | | {[[छत्तीसगढ़]] के किस शहर में 'रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय' स्थित है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -नाइट्रेट | | -[[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]] |
| -नाइट्राइट | | -[[चांपा]] |
| +एमाइड | | -[[अम्बिकापुर]] |
| -अमोनियम | | +[[रायपुर]] |
| | ||[[चित्र:Raipur-District-Map.jpg|right|100px|रायपुर ज़िले का मानचित्र]][[छत्तीसगढ़]] में रायपुर अध्ययन का महत्त्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ के [[कला]], [[विज्ञान]], वाणिज्य, विधि, कृषि विज्ञान, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, औषधी विज्ञान (आयुर्वेदिक और ऐलोपैथिक) और प्राच्य भाषाओं के कॉलेज यहाँ स्थित 'रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय' ([[1964]]) से संबद्ध हैं। छत्तीसगढ़ में दूरदर्शन की शुरुआत सर्वप्रथम [[रायपुर]] से हुई थी। दूरदर्शन द्वारा चलाये गये शिक्षण कार्यक्रमों से भी यहाँ के जीवन स्तर में सुधार आया है। रायपुर में अनेक [[संगीत]] अकादमियाँ एक संग्रहालय, एक क्षयरोग अस्पताल और [[चावल]] व रेशम व्यवसाय के प्रायोगिक फ़ार्म हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रायपुर]] |
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| {किस राज्य को [[भारत]] का 'अन्न भंडार' कहा जाता है? | | {राऊतों की विशेष प्रकार की [[बाँसुरी]] को क्या कहते हैं? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +[[पंजाब]]
| | -मोहरी |
| -[[हरियाणा]] | | +मोहराली |
| -[[उत्तर प्रदेश]]
| | -सींग बाजा |
| -[[बिहार]] | | -किन्दरी |
| ||[[चित्र:Golden-Temple-Amritsar.jpg|right|120px|सतलुज नदी]][[पंजाब]] एक [[कृषि]] प्रधान राज्य है। पंजाब की भूमि बहुत ही उपजाऊ है। यहाँ [[गेंहूँ]] और [[चावल]] की फ़सल मुख्य रूप से होती है। पंजाब राज्य देश के भौगोलिक क्षेत्र के सिर्फ़ 1.5 प्रतिशत भाग में, देश के गेहूँ के उत्पादन का 22 प्रतिशत, चावल का 12 प्रतिशत और [[कपास]] की 12 प्रतिशत पैदावार का उत्पादन करता है। पिछले दो-तीन दशकों में पंजाब ने गेहूँ का 40 से 50 प्रतिशत अधिक उत्पादन करके 'देश की खाद्य टोकरी' और [[भारत]] का 'अनाज भंडार' होने का ख़िताब ले लिया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पंजाब]]
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| {कॉफ़ी में कौन-सा एल्केलॉएड पाया जाता है? | | {[[छत्तीसगढ़]] में पण्डवानी गायन के समय कौन-सा [[वाद्य यंत्र]] लेकर गायन होता है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -निकोटिन | | -[[नगाड़ा]] |
| -थीम | | +संजु |
| +कैफ़ीन
| | -तम्बूरा |
| -इनमें से कोई नहीं | | -[[ढोलक]] |
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| {[[हल्दी]] में [[पीला रंग]] किसकी उपस्थिति के कारण होता है? | | {निम्नलिखित में से प्रथम प्रकाशित [[छत्तीसगढ़ी]] उपन्यास कौन-सा है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +कुरकुमिन | | +हीरू के कहिनीज |
| -कैरोटिन | | -दियाना के अंजोर |
| -एलइसिन | | -मोंगरा |
| -एंथोसाइनिन | | -पुटहा करम |
| ||[[चित्र:TurmericRound.jpg|right|120px|गोल प्रकार की कच्ची हल्दी]][[हल्दी]] की गाँठ छोटी और लालिमा लिए हुए [[पीला रंग|पीले रंग]] की होती है। यह खेतों में बोई जाती है, लेकिन कई स्थानों में यह स्वयमेव उत्पन्न हो जाती है। ज़मीन के नीचे कन्द के रूप में इसकी जड़ें होती है। ये कन्द रूपी जड़ें हरी अथवा ताजी अथवा कच्ची हल्दी होती है। कच्ची हल्दी की सब्जी बनाकर खाया भी जाता हैं। कच्ची हल्दी को उबालकर सुखा लेते हैं। ऐसी हल्दी सूखने के बाद [[रंग]] परिवर्तन होकर पीला रंग ग्रहण कर लेती है। इसका यह पीला रंग 'कुरकुमिन' नामक एक [[तत्त्व]] के कारण होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हल्दी]]
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| {[[ज्वार]] के पौधे में कौन-सा विषैला [[तत्व]] पाया जाता है? | | {'शिखर साहित्य पुरस्कार' के प्राप्तकर्ता [[छत्तीसगढ़]] के प्रमुख साहित्यकार कौन हैं? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +घुरिन | | -[[गजानन माधव मुक्तिबोध]] |
| -सोलेनिन
| | +विनोद कुमार शुक्ल |
| -निकोटिन | | -शानी गुलशेर अहमद |
| -कैफ़ीन | | -लाला जगदलपुरी |
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| {गुलाबी कीट किस फ़सल से सम्बंधित है? | | {'बस्तर लोकोत्सव' का आयोजन कब से कब तक किया जाता है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -धान
| | +[[7 अक्टूबर]] से [[17 अक्टूबर]] तक |
| -[[गन्ना]]
| | -[[15 अक्टूबर]] से [[21 अक्टूबर]] तक |
| +[[कपास]] | | -[[15 अक्टूबर]] से [[20 अक्टूबर]] तक |
| -[[मूँगफली]]
| | -[[10 अक्टूबर]] से [[17 अक्टूबर]] तक |
| ||[[चित्र:Cotton-1.jpg|right|100px|कपास का फूल]][[भारत]] में [[कपास]] का इतिहास काफ़ी पुराना है। [[हड़प्पा]] निवासी कपास के उत्पादन में संसार भर में प्रथम माने जाते थे। कपास उनके प्रमुख उत्पादनों में से एक था। विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 150 लाख मीट्रिक टन कपास पैदा होता है। [[संयुक्त राज्य अमरीका]], [[चीन]], भारत, ब्राज़ील, [[मिस्र]], सूडान आदि कपास के प्रमुख उत्पादक देश हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कपास]]
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