"भद्रा नदी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (श्रेणी:नया पन्ना; Adding category Category:कर्नाटक (को हटा दिया गया हैं।))
No edit summary
 
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
{{पुनरीक्षण}}
*भद्रा नदी उत्तरकुरु की एक नदी जो उत्तर के [[पर्वत|पर्वतों]] को पारकर उत्तरी समुद्र में गिरती है-<ref> 'भद्रा तथोत्तरगिरीनुत्तरांश्च तथाकुरून् अतीत्योत्तरमम्भोधिं समभ्येति महामुने'</ref>  
[[चित्र:Bhadra-River.jpg|thumb|250px|भद्रा नदी]]
'''भद्रा नदी''' उत्तरकुरु की एक नदी जो उत्तर के [[पर्वत|पर्वतों]] को पारकर उत्तरी समुद्र में गिरती है-
<blockquote>'भद्रा तथोत्तरगिरीनुत्तरांश्च तथाकुरून् अतीत्योत्तरमम्भोधिं समभ्येति महामुने'</blockquote>
*इसी प्रसंग में सीता, [[चक्षु नदी|चक्षु]] [[अलकनंदा नदी|अलकनंदा]] और भद्रा, [[गंगा]] की ये चार शाखाएं कही गई हैं जो चारों दिशाओं में प्रवाहित होती हैं।  
*इसी प्रसंग में सीता, [[चक्षु नदी|चक्षु]] [[अलकनंदा नदी|अलकनंदा]] और भद्रा, [[गंगा]] की ये चार शाखाएं कही गई हैं जो चारों दिशाओं में प्रवाहित होती हैं।  
*ऐसा प्रतीत होता है कि [[विष्णु पुराण]] के रचयिता के मत में ये चारों नदियाँ एक ही स्थान से उद्भुत होकर क्रमश: पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर की ओर बहती थीं।  
*ऐसा प्रतीत होता है कि [[विष्णु पुराण]] के रचयिता के मत में ये चारों नदियाँ एक ही स्थान से उद्भुत होकर क्रमश: पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर की ओर बहती थीं।  
पंक्ति 6: पंक्ति 8:
*भद्रा इस प्रसंग के अनुसार साइबेरिया में बहने वाली कोई नदी हो सकती है।  
*भद्रा इस प्रसंग के अनुसार साइबेरिया में बहने वाली कोई नदी हो सकती है।  


{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
पंक्ति 16: पंक्ति 18:
[[Category:भारत_की_नदियाँ]]
[[Category:भारत_की_नदियाँ]]
[[Category:कर्नाटक]]
[[Category:कर्नाटक]]
[[Category:कर्नाटक की नदियाँ]]
__INDEX__
__INDEX__

08:48, 7 जुलाई 2012 के समय का अवतरण

इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
भद्रा नदी

भद्रा नदी उत्तरकुरु की एक नदी जो उत्तर के पर्वतों को पारकर उत्तरी समुद्र में गिरती है-

'भद्रा तथोत्तरगिरीनुत्तरांश्च तथाकुरून् अतीत्योत्तरमम्भोधिं समभ्येति महामुने'

  • इसी प्रसंग में सीता, चक्षु अलकनंदा और भद्रा, गंगा की ये चार शाखाएं कही गई हैं जो चारों दिशाओं में प्रवाहित होती हैं।
  • ऐसा प्रतीत होता है कि विष्णु पुराण के रचयिता के मत में ये चारों नदियाँ एक ही स्थान से उद्भुत होकर क्रमश: पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर की ओर बहती थीं।
  • यह भौगोलिक उपकल्पना अंवेषणीय अवश्य है और इसमें तथ्य का अंश जान पड़ता है।
  • भद्रा इस प्रसंग के अनुसार साइबेरिया में बहने वाली कोई नदी हो सकती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख