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| ==शाकम्भरी==
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| '''शाकम्भरी''' [[दुर्गा]] के अवतारों में एक हैं। दुर्गा सभी अवतारों में से रक्तदंतिका,भीमा, भ्रामरी, शताक्षी तथा शाकंभरी प्रसिद्ध हैं।
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| ====कथा====
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| एक बार [[पृथ्वी]] पर लगातार सौ [[वर्ष]] तक [[वर्षा]] न हुई। तब अन्न-[[जल]] के अभाव में समस्त प्रजा मरने लगी। इस कारण चारों ओर हाहाकार मच गया। समस्त जीव भूख से व्याकुल होकर मरने लगे। उस समय समस्त मुनियों ने मिलकर देवी [[दुर्गा|भगवती]] की उपासना की। जिससे दुर्गा जी ने शाकम्भरी नाम से स्त्री रूप में अवतार लिया और उनकी कृपा से वर्षा हुई। इस अवतार में महामाया ने जलवृष्टि से पृथ्वी को हरी [[शाक-सब्ज़ी]] और [[फल|फलों]] से परिपूर्ण कर दिया। जिससे पृथ्वी के समस्त जीवों को जीवनदान प्राप्त हुआ।
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| ==शाकम्भरी जयंती==
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| '''शाकम्भरी जयंती''' [[3 जनवरी]] को देवी शाकम्भरी की याद में मनायी जाती है।
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| *देवी शाकम्भरी [[दुर्गा]] के अवतारों में एक हैं।
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| *ऐसी मान्यता है कि माँ शाकम्भरी मानव के कल्याण के लिये इसी दिन धरती पर आयी थी।
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| ==नया साल दिवस==
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| '''नया साल दिवस''' [[1 जनवरी]] को मनाया जाता है। [[ग्रेगोरी कैलंडर]] के अनुसार 1 जनवरी [[वर्ष]] का पहला [[दिन]] है।
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| *नव वर्ष उत्सव 4000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था।
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| *बेबीलोन में 4000 वर्ष पहले नया साल [[21 मार्च]] को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी।
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| *सब देशों में नया साल 1 जनवरी और [[भारत]] के भिन्न-भिन्न हिस्सों में [[नववर्ष]] अलग-अलग तिथियों के अनुसार मनाया जाता है।
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