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*दमोह नगर [[मध्य प्रदेश]] के मध्य में स्थित है।  
[[चित्र:Nohleshwar-Temple-Damoh.jpg|thumb|नोहलेश्वर मंदिर, दमोह]]
'''दमोह''' [[मध्य प्रदेश]] राज्य के मध्य में स्थित एक नगर है। ऐतिहासिक नगर दमोह के आस-पास का इलाका [[पुरातत्त्व]] की दृष्टि से समृद्ध है, जहाँ छित्ता एवं रोंड जैसे प्राचीन स्थल हैं।
*[[हिन्दू]] पौराणिक कथाओं के राजा [[नल]] की पत्नी [[दमयंती]] के नाम पर ही इसका नाम दमोह पड़ा।  
*[[हिन्दू]] पौराणिक कथाओं के राजा [[नल]] की पत्नी [[दमयंती]] के नाम पर ही इसका नाम दमोह पड़ा।  
*[[अकबर]] के साम्राज्य में यह मालवा सूबे का हिस्सा था।  
*[[अकबर]] के साम्राज्य में यह मालवा सूबे का हिस्सा था।  
*दमोह के अधिकतर प्राचीन मंदिरों को मुग़लों ने नष्ट कर दिया तथा इनकी सामग्री एक क़िले के निर्माण में प्रयुक्त की गई। इस नगर में [[शिव]], [[पार्वती]] एवं [[विष्णु]] की मूर्तियों सहित कई प्राचीन प्रतिमाएँ हैं।  
*दमोह के अधिकतर प्राचीन मंदिरों को [[मुग़ल|मुग़लों]] ने नष्ट कर दिया तथा इनकी सामग्री एक क़िले के निर्माण में प्रयुक्त की गई। इस नगर में [[शिव]], [[पार्वती]] एवं [[विष्णु]] की मूर्तियों सहित कई प्राचीन प्रतिमाएँ हैं।  
*दमोह में दो पुरानी मस्जिदें, कई घाट और जलाशय हैं।  
*दमोह में दो पुरानी मस्जिदें, कई घाट और जलाशय हैं।  
*दमोह का 14 वीं सदी में [[मुसलमान|मुसलमानों]] के प्रभाव से महत्त्व बढ़ा और यह मराठा प्रशासकों का केन्द्र भी रहा।  
*दमोह का 14 वीं [[सदी]] में [[मुसलमान|मुसलमानों]] के प्रभाव से महत्त्व बढ़ा और यह [[मराठा]] प्रशासकों का केन्द्र भी रहा।  
*ऐतिहासिक नगर दमोह के आस-पास का इलाका [[पुरातत्त्व]] की दृष्टि से समृद्ध है, जहाँ छित्ता एवं रोंड जैसे प्राचीन स्थल हैं।


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10:48, 10 जुलाई 2012 के समय का अवतरण

नोहलेश्वर मंदिर, दमोह

दमोह मध्य प्रदेश राज्य के मध्य में स्थित एक नगर है। ऐतिहासिक नगर दमोह के आस-पास का इलाका पुरातत्त्व की दृष्टि से समृद्ध है, जहाँ छित्ता एवं रोंड जैसे प्राचीन स्थल हैं।

  • हिन्दू पौराणिक कथाओं के राजा नल की पत्नी दमयंती के नाम पर ही इसका नाम दमोह पड़ा।
  • अकबर के साम्राज्य में यह मालवा सूबे का हिस्सा था।
  • दमोह के अधिकतर प्राचीन मंदिरों को मुग़लों ने नष्ट कर दिया तथा इनकी सामग्री एक क़िले के निर्माण में प्रयुक्त की गई। इस नगर में शिव, पार्वती एवं विष्णु की मूर्तियों सहित कई प्राचीन प्रतिमाएँ हैं।
  • दमोह में दो पुरानी मस्जिदें, कई घाट और जलाशय हैं।
  • दमोह का 14 वीं सदी में मुसलमानों के प्रभाव से महत्त्व बढ़ा और यह मराठा प्रशासकों का केन्द्र भी रहा।


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