"सदस्य:आदित्य चौधरी/sandbox": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
(पन्ने को खाली किया)
 
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<poem>
मौसम है ओलम्पिकाना 


रेडियो पर गाना आ रहा है
मौसम है ओलम्पिकाना 
ऐ दिल कहीं से कोई मॅडल भी जीत लाना
"अजी सुनिए तो सही !  ज़रा इधर आइए..." 'सुनिए जी' से 'सुनती हो' ने कहा।
"क्या हो गया ?" लुट्टनवाला बोले।
"ओलम्पिक शुरू होने वाले हैं... आपने कुछ तैयारी भी की है कि पिछली बार की तरह सब सत्यानाश ही करवाएँगे" मिसेज़ लुट्टनवाला ने ताना दिया।
"तुम तो मुझे कुछ समझती ही नहीं हो ना... अरे! पिछली बार की बात और थी, वो चीन का मामला था... इस बार देखना क्या कमाल करता हूँ" लुट्टनवाला ने गर्व से घोषणा की।
"देखो जी इस बार मैं सिर्फ़ उन्हीं रिश्तेदारों को ले जाऊँगी जिन्होंने पिंकी की शादी में गोल्ड के गिफ़्ट दिए थे... पिछली बार की तरह नहीं करना है कि जो भी मिला उसी को न्यौता दे दिया कि चल ओलम्पिक में" मिसेज़ लुट्टनवाला बोलीं।
"तुम अपने ही रिश्तेदारों को ले जाती हो... जितने ज़्यादा तुम रिश्तेदार ले जाओगी, उतने ही ज़्यादा खिलाड़ी भी तो ले जाने पड़ेंगे... अब ज़्यादा खिलाड़ी जाएंगे तो मॅडल भी ज़्यादा आएंगे तो सरकार सोचेगी कि ओलम्पिक में खिलाड़ी मॅडल भी जीत सकते हैं... इससे हमारा तो चौपट ही होना है ना... अभी तो सरकार यह सोचती है कि ओलम्पिक में मॅडल-वॅडल तो मिलने नहीं है, इसलिए खिलाड़ी पर क्या बेकार खर्चा करना। इससे अच्छा तो सरकारी अधिकारी, कोच और मंत्रियों को भेजा जाए... कम से कम दूसरे देशों के कल्चर की जानकारी तो हो जाती है... तुम नहीं समझोगी, ये सरकारी बातें हैं।" 
 
</poem>

06:16, 31 जुलाई 2012 के समय का अवतरण