"बाँध दिए क्यों प्राण -सुमित्रानंदन पंत": अवतरणों में अंतर

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बाँध दिए क्यों प्राण प्राणों से
बाँध दिए क्यों प्राण प्राणों से!
तुमने चिर अनजान प्राणों से
तुमने चिर अनजान प्राणों से!


गोपन रह न सकेगी
गोपन रह न सकेगी,
अब यह मर्म कथा
अब यह मर्म कथा,
प्राणों की न रुकेगी
प्राणों की न रुकेगी,
बढ़ती विरह व्यथा
बढ़ती विरह व्यथा,
विवश फूटते गान प्राणों से
विवश फूटते गान प्राणों से!


यह विदेह प्राणों का बंधन
यह विदेह प्राणों का बंधन,
अंतर्ज्वाला में तपता तन
अंतर्ज्वाला में तपता तन,
मुग्ध हृदय सौन्दर्य ज्योति को
मुग्ध हृदय सौन्दर्य ज्योति को,
दग्ध कामना करता अर्पण
दग्ध कामना करता अर्पण,
नहीं चाहता जो कुछ भी आदान प्राणों से  
नहीं चाहता जो कुछ भी आदान प्राणों से!


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बाँध दिए क्यों प्राण -सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत
कवि सुमित्रानंदन पंत
जन्म 20 मई 1900
जन्म स्थान कौसानी, उत्तराखण्ड, भारत
मृत्यु 28 दिसंबर, 1977
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, लोकायतन, हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, युगपथ, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सुमित्रानंदन पंत की रचनाएँ

बाँध दिए क्यों प्राण प्राणों से!
तुमने चिर अनजान प्राणों से!

गोपन रह न सकेगी,
अब यह मर्म कथा,
प्राणों की न रुकेगी,
बढ़ती विरह व्यथा,
विवश फूटते गान प्राणों से!

यह विदेह प्राणों का बंधन,
अंतर्ज्वाला में तपता तन,
मुग्ध हृदय सौन्दर्य ज्योति को,
दग्ध कामना करता अर्पण,
नहीं चाहता जो कुछ भी आदान प्राणों से!









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