"कर चले हम फ़िदा": अवतरणों में अंतर

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* फ़िल्म : हक़ीक़त (1964)
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(कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों
(कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों ) - (2)
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों) - (2)


साँस थमती गई नब्ज़ जमती गई
साँस थमती गई नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
फिर भी बढ़ते क़दम को न रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते मरते रहा बाँकापन साथियों, अब तुम्हारे ...
मरते मरते रहा बाँकपन साथियों, अब तुम्हारे ...


ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
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हुस्न और इश्क़ दोनों को रुसवा करे
हुस्न और इश्क़ दोनों को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
बाँध लो अपने सर पर कफ़न साथियों, अब तुम्हारे ...
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों, अब तुम्हारे ...


राह क़ुर्बानियों की न वीरान हो
राह क़ुर्बानियों की न वीरान हो
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फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले
ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों, अब तुम्हारे ...
बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियों, अब तुम्हारे ...


खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर
खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर
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* फिल्म : हकीक़त (1964)
* संगीतकार : मदन मोहन
* गायक : मो रफी
* रचनाकार :
* गीतकार : कैफी आज़मी
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
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*[http://www.youtube.com/watch?v=n6yTCblgAQQ कर चले हम फ़िदा (यू-ट्यूब)]
==संबंधित लेख==
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09:35, 5 नवम्बर 2012 के समय का अवतरण

संक्षिप्त परिचय

(कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों) - (2)

साँस थमती गई नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते क़दम को न रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते मरते रहा बाँकपन साथियों, अब तुम्हारे ...

ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज़ आती नहीं
हुस्न और इश्क़ दोनों को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों, अब तुम्हारे ...

राह क़ुर्बानियों की न वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नये क़ाफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले
बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियों, अब तुम्हारे ...

खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर
इस तरफ़ आने पाये न रावण कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छूने पाये न सीता का दामन कोई
राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथियों, अब तुम्हारे ...

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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