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== क्रोध  ==
==स्वागत!==
 
डॉ. राजेंद्र तेला जी<br />
हर ज्ञानी,महापुरुष ने सदा एक ही बात कही है
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क्रोध नहीं करना चाहिए .
ग्रन्थ साक्षी हैं ,देवताओं से लेकर महापुरुष,योगी और महाऋषी भी क्रोध से नहीं बच सके .
क्रोध मनुष्य के स्वभाव का अभिन्न अंग है.
परमात्मा द्वारा दी हुयी इस भावना का अर्थ असहमती की अभिव्यक्ति ही तो है
पर उस में विवेक खोना ,जिह्वा एवं स्वयं पर से नियंत्रण खोना घातक होता है.
इसकी परिणीति अनयंत्रित व्यवहार और कार्य में होती है .जिस से बहुत भारी अनर्थ हो सकता है ,सब को निरंतर ऐसा होते दिखता भी है.
अतः क्रोध करना अनुचित तो है ही ,पर साथ में क्रोध आने पर,अपना विवेक बनाए रखना,जिह्वा और मन मष्तिष्क पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है.
असहमती अवश्य प्रकट करनी चाहिए पर विवेक पूर्ण तरीके से .
15-11-2011-20
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर[[Category:अनमोल_वचन]][[Category:क्रोध ]]

07:13, 22 नवम्बर 2012 के समय का अवतरण

स्वागत!

डॉ. राजेंद्र तेला जी
भारतकोश पर आपका स्वागत है! यह पृष्ठ आपसे वार्ता करने हेतु है अत: इसका यही प्रयोग होना चाहिये। यदि भारतकोश पर सम्पादन संबंधी कोई समस्या हो तो आप मेरे वार्ता पन्ने पर लिखें गोविन्द राम - वार्ता 16:59, 20 नवम्बर 2012 (IST)