"पतझर -रांगेय राघव": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''पतझर''' भारत के प्रसिद्ध उपन्यासकारों और साहित्यक...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''पतझर''' [[भारत]] के प्रसिद्ध उपन्यासकारों और साहित्यकारों में गिने जाने वाले [[रांगेय राघव]] द्वारा लिखा गया उपन्यास है। यह उपन्यास [[1 जनवरी]], [[2011]] को प्रकाशित हुआ था, इसका प्रकाशन 'राजपाल प्रकाशन' द्वारा किया गया। इस उपन्यास में एक युवक और युवती के प्रेम को आधार बनाया गया है।
{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Patjhar.jpg
|चित्र का नाम='पतझर' उपन्यास का आवरण पृष्ठ
| लेखक=[[रांगेय राघव]]
| कवि=
| मूल_शीर्षक =
| अनुवादक =
| संपादक =
| प्रकाशक = राजपाल प्रकाशन
| प्रकाशन_तिथि =
| भाषा =[[हिन्दी]]
| देश =[[भारत]]
| विषय = 
| शैली =
| मुखपृष्ठ_रचना =
| प्रकार =उपन्यास
| पृष्ठ =104
| ISBN =9788170288398
| भाग =
| टिप्पणियाँ =
}}


*पतझर के मौसम में वृक्ष के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनकी जगह नए पत्ते उग आते हैं। उसी प्रकार पुरानी विचारधाराएँ समय के साथ-साथ अपना महत्त्व खोने लगती हैं और उनके स्थान पर नई विचारधाराएँ जन्म लेती हैं।
'''पतझर''' [[भारत]] के प्रसिद्ध उपन्यासकारों और साहित्यकारों में गिने जाने वाले [[रांगेय राघव]] द्वारा लिखा गया उपन्यास है। यह उपन्यास 'राजपाल प्रकाशन' द्वारा प्रकाशित किया गया था। राघव जी के इस उपन्यास में एक युवक और युवती के प्रेम को आधार बनाया गया है।
 
*पतझर के मौसम में वृक्ष के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनकी जगह नए पत्ते उग आते हैं। उसी प्रकार पुरानी विचारधाराएँ समय के साथ-साथ अपना महत्त्व खोने लगती हैं और उनके स्थान पर नई विचारधाराएँ जन्म लेती हैं।<ref name="ab">{{cite web |url=http://pustak.org/home.php?bookid=8738 |title=पतझर |accessmonthday=24 जनवरी|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
*रांगेय राघव के उपन्यास 'पतझर' की कथा में एक युवक और युवती के प्रेम को आधार बनाकर आदिम युग से आज तक की सभ्यता, [[संस्कृति]] को दिखाया गया है।
*रांगेय राघव के उपन्यास 'पतझर' की कथा में एक युवक और युवती के प्रेम को आधार बनाकर आदिम युग से आज तक की सभ्यता, [[संस्कृति]] को दिखाया गया है।
*इस उपन्यास के माध्यम से प्रेम के संदर्भ में उठने वाले प्रश्नों को उठाया गया है, जैसे- क्या प्रेम शाश्वत है? क्या प्रेम अपना आधार आप ही है? और क्या प्रेम जीवन, परिवार और सन्तान की अपेक्षा नहीं रखता?
*इस उपन्यास के माध्यम से प्रेम के संदर्भ में उठने वाले प्रश्नों को उठाया गया है, जैसे- क्या प्रेम शाश्वत है? क्या प्रेम अपना आधार आप ही है? और क्या प्रेम जीवन, परिवार और सन्तान की अपेक्षा नहीं रखता?
पंक्ति 7: पंक्ति 29:
*रांगेय राघव ने अपनी अन्य रचनाओं की तरह ही इस उपन्यास का कथानक भी आम जनजीवन से ही तलाशा है।
*रांगेय राघव ने अपनी अन्य रचनाओं की तरह ही इस उपन्यास का कथानक भी आम जनजीवन से ही तलाशा है।
*नई और पुरानी पीढ़ी का टकराव हर काल और हर समुदाय में आ रहा है। इसी कालातीत विषय को केन्द्र में रख कर 'पतझर' उपन्यास की कहानी आगे बढ़ती है।
*नई और पुरानी पीढ़ी का टकराव हर काल और हर समुदाय में आ रहा है। इसी कालातीत विषय को केन्द्र में रख कर 'पतझर' उपन्यास की कहानी आगे बढ़ती है।
*प्यार के प्रति विशेष कर अंतर्जातीय प्रेम-संबंधों को लेकर समाज का दृष्टिकोण हमेशा से संकीर्ण रहा है। उनके खोखले आदर्शों और मान्यताओं के चलते उनकी संतानें किस तरह कुण्ठा और हताशा भरा जीवन जीने को विवश होती हैं, इसी को रांगेय राघव ने अपनी अनूठी शैली में अभिव्यक्त किया है।
*प्यार के प्रति विशेष कर अंतर्जातीय प्रेम-संबंधों को लेकर समाज का दृष्टिकोण हमेशा से संकीर्ण रहा है। उनके खोखले आदर्शों और मान्यताओं के चलते उनकी संतानें किस तरह कुण्ठा और हताशा भरा जीवन जीने को विवश होती हैं, इसी को रांगेय राघव ने अपनी अनूठी शैली में अभिव्यक्त किया है।<ref name="ab"/>


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{रांगेय राघव की कृतियाँ}}
{{रांगेय राघव की कृतियाँ}}
[[Category:उपन्यास]][[Category:रांगेय राघव]][[Category:गद्य साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:उपन्यास]][[Category:रांगेय राघव]][[Category:गद्य साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

06:04, 25 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

पतझर -रांगेय राघव
'पतझर' उपन्यास का आवरण पृष्ठ
'पतझर' उपन्यास का आवरण पृष्ठ
लेखक रांगेय राघव
प्रकाशक राजपाल प्रकाशन
ISBN 9788170288398
देश भारत
पृष्ठ: 104
भाषा हिन्दी
प्रकार उपन्यास

पतझर भारत के प्रसिद्ध उपन्यासकारों और साहित्यकारों में गिने जाने वाले रांगेय राघव द्वारा लिखा गया उपन्यास है। यह उपन्यास 'राजपाल प्रकाशन' द्वारा प्रकाशित किया गया था। राघव जी के इस उपन्यास में एक युवक और युवती के प्रेम को आधार बनाया गया है।

  • पतझर के मौसम में वृक्ष के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनकी जगह नए पत्ते उग आते हैं। उसी प्रकार पुरानी विचारधाराएँ समय के साथ-साथ अपना महत्त्व खोने लगती हैं और उनके स्थान पर नई विचारधाराएँ जन्म लेती हैं।[1]
  • रांगेय राघव के उपन्यास 'पतझर' की कथा में एक युवक और युवती के प्रेम को आधार बनाकर आदिम युग से आज तक की सभ्यता, संस्कृति को दिखाया गया है।
  • इस उपन्यास के माध्यम से प्रेम के संदर्भ में उठने वाले प्रश्नों को उठाया गया है, जैसे- क्या प्रेम शाश्वत है? क्या प्रेम अपना आधार आप ही है? और क्या प्रेम जीवन, परिवार और सन्तान की अपेक्षा नहीं रखता?
  • रांगेय राघव की रचनाओं में पात्र हमेशा जीवन्त होते हैं। चाहे वे दार्शनिक हों, डाक्टर हों, कलाकार हों या फिर किसान। यही कारण है कि 'पतझर' उपन्यास के पात्र पाठक से सहज ही तालमेल बैठा लेते हैं, जो लेखक की सबसे बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।
  • रांगेय राघव ने अपनी अन्य रचनाओं की तरह ही इस उपन्यास का कथानक भी आम जनजीवन से ही तलाशा है।
  • नई और पुरानी पीढ़ी का टकराव हर काल और हर समुदाय में आ रहा है। इसी कालातीत विषय को केन्द्र में रख कर 'पतझर' उपन्यास की कहानी आगे बढ़ती है।
  • प्यार के प्रति विशेष कर अंतर्जातीय प्रेम-संबंधों को लेकर समाज का दृष्टिकोण हमेशा से संकीर्ण रहा है। उनके खोखले आदर्शों और मान्यताओं के चलते उनकी संतानें किस तरह कुण्ठा और हताशा भरा जीवन जीने को विवश होती हैं, इसी को रांगेय राघव ने अपनी अनूठी शैली में अभिव्यक्त किया है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 पतझर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 जनवरी, 2013।

संबंधित लेख