"अपनी आज़ादी को हम": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो (अपनी आजादी को हम का नाम बदलकर अपनी आज़ादी को हम कर दिया गया है) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - " रुख " to " रुख़ ") |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{ | {| class="bharattable-pink" align="right" | ||
|+ संक्षिप्त परिचय | |||
|- | |||
| | |||
* फ़िल्म : लीडर | |||
* संगीतकार : नौशाद अली | |||
* गायक : [[मोहम्मद रफ़ी]] | |||
* गीतकार: [[शकील बदायूँनी]] | |||
|} | |||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem> | <poem>अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं | ||
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं | |||
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं | सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं | ||
पंक्ति 8: | पंक्ति 16: | ||
सैंकड़ों कुर्बानियाँ देकर ये दौलत पाई है | सैंकड़ों कुर्बानियाँ देकर ये दौलत पाई है | ||
मुस्कुरा कर खाई हैं सीनों पे अपने गोलियां | मुस्कुरा कर खाई हैं सीनों पे अपने गोलियां | ||
कितने | कितने वीरानों से गुज़रे हैं तो जन्नत पाई है | ||
ख़ाक में हम अपनी | ख़ाक में हम अपनी इज्ज़त को मिला सकते नहीं | ||
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं... | अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं... | ||
पंक्ति 20: | पंक्ति 28: | ||
वक़्त की आवाज़ के हम साथ चलते जाएंगे | वक़्त की आवाज़ के हम साथ चलते जाएंगे | ||
हर क़दम पर ज़िन्दगी का | हर क़दम पर ज़िन्दगी का रुख़ बदलते जाएंगे | ||
गर वतन में भी मिलेगा कोई गद्दारे वतन | |||
अपनी ताकत से हम उसका सर कुचलते जाएंगे | अपनी ताकत से हम उसका सर कुचलते जाएंगे | ||
एक धोखा खा चुके हैं और खा सकते नहीं | एक धोखा खा चुके हैं और खा सकते नहीं | ||
पंक्ति 35: | पंक्ति 43: | ||
{{Poemclose}} | {{Poemclose}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[http://www.youtube.com/watch?v=93NLol3gXm8 यू-ट्यूब पर देखें] | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{देश भक्ति गीत}} | {{देश भक्ति गीत}} | ||
पंक्ति 57: | पंक्ति 57: | ||
[[Category:सिनेमा कोश]] | [[Category:सिनेमा कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
13:50, 3 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण
|
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख