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'''राज्यवर्धन''' [[थानेश्वर]] के शासक [[प्रभाकरवर्धन]] का ज्येष्ठ पुत्र था। वह अपने भाई [[हर्षवर्धन]] और बहन [[राज्यश्री]] से बड़ा था। राज्यवर्धन हर्षवर्धन से चार वर्ष बड़ा था। तीनों बहन-भाइयों में अगाध प्रेम था। एक भीषण युद्ध के फलस्वरूप [[बंगाल]] के राजा शंशाक द्वारा राज्यवर्धन का वध हुआ।
'''राज्यवर्धन''' [[थानेश्वर]] के शासक [[प्रभाकरवर्धन]] का ज्येष्ठ पुत्र था। वह अपने भाई [[हर्षवर्धन]] और बहन [[राज्यश्री]] से बड़ा था। राज्यवर्धन हर्षवर्धन से चार वर्ष बड़ा था। तीनों बहन-भाइयों में अगाध प्रेम था। एक भीषण युद्ध के फलस्वरूप [[बंगाल]] के राजा [[शशांक]] द्वारा राज्यवर्धन का वध हुआ।


*राज्यवर्धन की बहन राज्यश्री का [[विवाह]] [[कन्नौज]] के [[मौखरि वंश]] के शासक [[गृहवर्मन]] से हुआ था।
*राज्यवर्धन की बहन राज्यश्री का [[विवाह]] [[कन्नौज]] के [[मौखरि वंश]] के शासक [[गृहवर्मन]] से हुआ था।
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*युद्ध में गृहवर्मन [[मालवा]] के राजा देवगुप्त के हाथों मारा गया और उसकी पत्नी राज्यश्री को बन्दी बनाकर कन्नौज के काराग़ार में डाल दिया गया।
*युद्ध में गृहवर्मन [[मालवा]] के राजा देवगुप्त के हाथों मारा गया और उसकी पत्नी राज्यश्री को बन्दी बनाकर कन्नौज के काराग़ार में डाल दिया गया।
*सूचना मिलते ही राज्यश्री के ज्येष्ठ अग्रज राज्यवर्धन ने अपनी बहन को काराग़ार से मुक्त कराने के लिए कन्नौज की ओर प्रस्थान किया।
*सूचना मिलते ही राज्यश्री के ज्येष्ठ अग्रज राज्यवर्धन ने अपनी बहन को काराग़ार से मुक्त कराने के लिए कन्नौज की ओर प्रस्थान किया।
*राज्यवर्धन ने मालवा के शासक देवगुप्त को पराजित करके मार डाला, किंतु वह स्वयं देवगुप्त के सहायक और [[बंगाल]] के शासक शशांक द्वारा मारा गया।
*राज्यवर्धन ने मालवा के शासक देवगुप्त को पराजित करके मार डाला, किंतु वह स्वयं देवगुप्त के सहायक और [[बंगाल]] के शासक [[शशांक]] द्वारा मारा गया।
*इस समय राज्य में व्याप्त भारी उथल-पुथल से [[राज्यश्री]] काराग़ार से भाग निकली और उसने [[विन्ध्यांचल]] के जंगलों में शरण ली।
*इस समय राज्य में व्याप्त भारी उथल-पुथल से [[राज्यश्री]] काराग़ार से भाग निकली और उसने [[विन्ध्यांचल]] के जंगलों में शरण ली।
*बाद में राज्यवर्धन के उत्तराधिकारी सम्राट [[हर्षवर्धन]] ने राज्यश्री को विन्ध्यांचल के जंगलों में उस समय ढूँढ निकाला, जब वह निराश होकर चिता में प्रवेश करने ही वाली थी। हर्षवर्धन उसे कन्नौज वापस लौटा लाया और आजीवन उसको सम्मान दिया।
*बाद में राज्यवर्धन के उत्तराधिकारी सम्राट [[हर्षवर्धन]] ने राज्यश्री को विन्ध्यांचल के जंगलों में उस समय ढूँढ निकाला, जब वह निराश होकर चिता में प्रवेश करने ही वाली थी। हर्षवर्धन उसे कन्नौज वापस लौटा लाया और आजीवन उसको सम्मान दिया।

13:57, 1 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण

राज्यवर्धन थानेश्वर के शासक प्रभाकरवर्धन का ज्येष्ठ पुत्र था। वह अपने भाई हर्षवर्धन और बहन राज्यश्री से बड़ा था। राज्यवर्धन हर्षवर्धन से चार वर्ष बड़ा था। तीनों बहन-भाइयों में अगाध प्रेम था। एक भीषण युद्ध के फलस्वरूप बंगाल के राजा शशांक द्वारा राज्यवर्धन का वध हुआ।

  • राज्यवर्धन की बहन राज्यश्री का विवाह कन्नौज के मौखरि वंश के शासक गृहवर्मन से हुआ था।
  • प्रभाकरवर्धन की मृत्यु के उपरान्त ही देवगुप्त का आक्रमण कन्नौज पर हुआ और एक भयंकर युद्ध प्रारम्भ हो गया।
  • युद्ध में गृहवर्मन मालवा के राजा देवगुप्त के हाथों मारा गया और उसकी पत्नी राज्यश्री को बन्दी बनाकर कन्नौज के काराग़ार में डाल दिया गया।
  • सूचना मिलते ही राज्यश्री के ज्येष्ठ अग्रज राज्यवर्धन ने अपनी बहन को काराग़ार से मुक्त कराने के लिए कन्नौज की ओर प्रस्थान किया।
  • राज्यवर्धन ने मालवा के शासक देवगुप्त को पराजित करके मार डाला, किंतु वह स्वयं देवगुप्त के सहायक और बंगाल के शासक शशांक द्वारा मारा गया।
  • इस समय राज्य में व्याप्त भारी उथल-पुथल से राज्यश्री काराग़ार से भाग निकली और उसने विन्ध्यांचल के जंगलों में शरण ली।
  • बाद में राज्यवर्धन के उत्तराधिकारी सम्राट हर्षवर्धन ने राज्यश्री को विन्ध्यांचल के जंगलों में उस समय ढूँढ निकाला, जब वह निराश होकर चिता में प्रवेश करने ही वाली थी। हर्षवर्धन उसे कन्नौज वापस लौटा लाया और आजीवन उसको सम्मान दिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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