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| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
| | बंदा सिहं बहादुर |
| {{सामान्य ज्ञान नोट}}
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| {| class="bharattable-green" width="100%"
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| |-
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| | valign="top"|
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| {| width="100%"
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| <quiz display=simple>
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| {[[भारत]] के किस राज्य में 'नागार्जुन सागर परियोजना' है?
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| |type="()"}
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| +[[आंध्र प्रदेश]]
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| -[[मध्य प्रदेश]]
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| -[[उत्तर प्रदेश]]
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| -[[तमिलनाडु]]
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| ||[[चित्र:Charminar-Hyderabad-1.jpg|right|100px|चारमीनार, हैदराबाद]][[भारत]] के दक्षिण-पूर्वी तट पर यह राज्य है। क्षेत्रफल के अनुसार [[भारत]] का यह चौथा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से पाँचवा सबसे बड़ा राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर [[हैदराबाद]] है। भारत के सभी राज्यों में सबसे लंबा समुद्र तट [[गुजरात]] में 1600 किलोमीटर है और दूसरे स्थान पर इस राज्य का समुद्र तट 972 किलोमीटर है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[आंध्र प्रदेश]]
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| {[[भारत]] में सर्वाधिक [[गेहूँ]] उत्पादक प्रदेश कौन-सा है?
| | लछमन दास, लछमन देव या माधो दास भी कहलाते हैं (ज़ – 1670, रजौरी, भारत; मृ-जून 1716, दिल्ली ) भारत के मुग़ल शासकों के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने वाले पहले सिक्ख सैन्य प्रमुख, जिन्होंने सिक्खों के राज्य का अस्थायी विस्तार भी किया। |
| |type="()"}
| | युवावस्था में उन्होंने पहले समन (योगी) बनने का निश्चय किया और 1708 में गुरु गोबिंद सिंह का शिष्य बनने तक वह माधो दास के नाम से जाने जाते रहे। सिक्ख बिरादरी में शामिल होने के बाद उनका नाम बंदा सिंह बहादुर हो गया और वह लोकप्रिय तो नहीं, सम्मानित सेनानी अवश्य बन गए, उनके तटस्थ, ठंडे और अवैयक्तिक स्व्भाव ने उन्हें उनके लोगों के बीच लोकप्रिय नहीं बनने दिया। |
| -[[बिहार]]
| | बंदा सिंह ने 1709 में मुग़लों पर हमला करके बहुत बड़े क्षेत्र पर क़ब्ज़ा कर लिया। दक्कन क्षेत्र में उनके द्वारा लूटमार और क़त्लेआम से मुग़लों को उन पर पूरी ताकत से हमला करना पड़ा। 1715 में आठ महीनों की घेरेबंदी के बाद मुग़लों ने क़िलेबंद शहर गुरुदास नांगल पर क़ब्ज़ा कर लिया। बंदा सिंह और उनके साथियों को कैद करके दिल्ली ले जाया गया, जहां जहां छह महीने तक हर दिन उनके कुछ लोगों को मौत की सज़ा दी जाती रही। जब उनकी बारी आई, तो बंदा सिंह ने मुसलमान न्यायाधीश से कहा कि उनका यही हाल होना था, क्योंकि अपने प्यारे गुरु गोबिंद सिंह की इच्छाओं को पूरा करने में वह नाक़ाम रहे। उन्हें लाल गर्म लोहे की छड़ों से यातना देकर मार डाला गया। |
| -[[हरियाणा]]
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| -[[पंजाब]]
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| +[[उत्तर प्रदेश]]
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| ||[[चित्र:Vishwanath-Temple-Varanasi.jpg|right|120px|विश्वनाथ मन्दिर, वाराणसी]]उत्तर प्रदेश [[भारत]] का जनसंख्या के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। [[लखनऊ]] प्रदेश की प्रशासनिक राजधानी और [[इलाहाबाद]] न्यायिक राजधानी है। [[उत्तर प्रदेश] के दूसरे महत्त्वपूर्ण नगर- [[आगरा]], [[अलीगढ़]], [[अयोध्या]], [[बरेली]], [[मेरठ]], [[वाराणसी]] (बनारस), [[गोरखपुर]], [[ग़ाज़ियाबाद]], [[मुरादाबाद]], [[सहारनपुर]], फ़ैज़ाबाद, [[कानपुर]] हैं। इस राज्य के पड़ोसी राज्य हैं - [[उत्तराखंड|उत्तरांचल]], [[हिमाचल प्रदेश]], [[हरियाणा]], [[दिल्ली]], [[राजस्थान]], [[मध्य प्रदेश]], [[छत्तीसगढ़]], [[झारखण्ड]], [[बिहार]]। उत्तर प्रदेश की पूर्वोत्तर दिशा में [[नेपाल]] देश है। उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल 2,40,927 वर्ग किमी. है। यह भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उत्तर प्रदेश]]
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| {[[अजंता की गुफ़ाएं|अजंता]] और [[एलोरा की गुफ़ाएं|एलोरा गुफाएँ]] किस प्रदेश में स्थित हैं?
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| |type="()"}
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| -[[आंध्र प्रदेश]]
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| -[[मध्य प्रदेश]]
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| +[[महाराष्ट्र]]
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| -[[राजस्थान]]
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| ||[[चित्र:Ajanta-Caves-1.jpg|right|100px|अजंता की गुफ़ाएँ]]प्राचीन [[सोलह महाजनपद|महाजनपदों]] में 'अश्मक' या 'अस्सक' का स्थान आधुनिक [[अहमदनगर]] के आसपास का माना जाता है। सम्राट [[अशोक के शिलालेख]] भी [[मुंबई]] के निकट पाए गए हैं। [[महाराष्ट्र]] के पहले प्रसिद्ध शासक [[सातवाहन]] (ई.पू. 230 से 225 ई.) थे, जो महाराष्ट्र राज्य के संस्थापक थे। उन्होंने अपने पीछे बहुत से साहित्यिक, कलात्मक तथा पुरातात्विक प्रमाण छोड़े हैं। उनके शासनकाल में मानव जीवन के हर क्षेत्र में भरपूर प्रगति हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाराष्ट्र]]
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| {'महात्मा गाँधी सेतु' कहाँ स्थित है?
| | बंगाल की एशियाटिक सोसाइटी |
| |type="()"}
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| +[[बिहार]]
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| -[[आंध्र प्रदेश]]
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| -[[मध्य प्रदेश]]
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| -[[उत्तर प्रदेश]]
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| ||[[चित्र:Vaishali-Bihar.jpg|right|120px|वैशाली, बिहार]][[बिहार]] का उल्लेख [[वेद|वेदों]], [[पुराण|पुराणों]] और प्राचीन महाकाव्यों में मिलता है। यह राज्य महात्मा [[बुद्ध]] और 24 [[जैन धर्म|जैन]] [[तीर्थंकर|तीर्थकरों]] की कर्मभूमि रहा हैं। ईसा पूर्व काल में इस क्षेत्र पर [[बिम्बिसार]], [[पाटलिपुत्र]] की स्थापना करने वाले उदयन, [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] और [[अशोक|सम्राट अशोक]] सहित [[मौर्य]], [[शुंग वंश|शुंग]] तथा [[कण्व वंश|कण्व]] राजवंश के नरेशों ने राज किया। इसके पश्चात [[कुषाण]] शासकों का समय आया और बाद में [[गुप्त वंश]] के [[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य]] ने [[बिहार]] पर राज किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिहार]]
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| {'केंद्रीय खनन अनुसंधान संस्थान' कहाँ स्थित है?
| | ब्रिटिश अधिवक्ता एवं प्राच्यविद सर विलियम जोन्स द्वारा 15 जनवरी 1784 को प्राच्य विद्याध्ययन को प्रोत्साहन देने के लिये गठित सभा। |
| |type="()"}
| | संस्थापना दिवस के उपलक्ष्य में जोन्स ने अपने प्रसिध्द अभिभाषणों की श्रृंखला का पहला भाषण दिया। |
| -कटक में
| | इस सभा को तत्कालीन बंगाल के प्रथम गवर्नर-जनरल ( 1772-95 ) वॉरेन हेस्टिग्ज़ का सहयोग और प्रोत्साहन मिला। जोन्स की मृत्यु ( 1794 ) तक यह सभा हिंदू संस्कृति तथा ज्ञान के महत्त्व व आर्य भाषाओं में संस्कृत की अहम भूमिका जैसे उनके विचारों की संवाहक थी। |
| +[[धनबाद]] में
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| -जमशेदपुर में | |
| -भावनगर में | |
| ||[[चित्र:Coal-Mine-Dhanbad-Jharkhand.jpg|right|100px|[[कोयला|कोयले]] की खान, [[धनबाद]]]][[धनबाद]] [[भारत]] के [[झारखंड]] में स्थित एक शहर है जो कोयले की ख़ानों के लिए पूरे देश में मशहूर है। यह औद्योगिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व वाणिज्यिक क्षेत्र में अग्रणी है। झारखंड में स्थित इस शहर को कोयला राजधानी नाम से भी जाना जाता है। यह [[भारत]] के उन चुनिंदा शहरों में से है जिसकी आबादी पूरी गति से बढ़ रही है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[धनबाद]]
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| {संसार का सबसे बड़ा मरुस्थल कौन-सा है?
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| |type="()"}
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| -कालाहारी मरुस्थल
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| -[[गोबी मरूस्थल|मरुस्थल]]
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| +सहारा मरुस्थल
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| -थार मरुस्थल
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| {विक्रम साराभाई अन्तरिक्ष केन्द्र निम्न में से किस स्थान पर स्थित है?
| | बरारी घाटी का युद्ध |
| |type="()"}
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| -श्री हरिकोटा
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| -[[पुणे]]
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| -[[अहमदाबाद]]
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| +[[तिरुअनंतपुरम]]
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| ||[[चित्र:Chirayinkeezhu-Thiruvananthapuram.jpg|120px|right|चिरयिनकीज़ू, तिरुअनंतपुरम]]तिरुअनंतपुरम [[केरल]] की राजधानी है। पहले इसका नाम 'त्रिवेन्द्रम' था। तिरुअनंतपुरम का शाब्दिक अर्थ है- 'तिरु' यानी 'पवित्र एवं अनंत' अर्थात 'सहस्त्रमुखी नाग' तथा पुरम यानी 'आवास'। केरल दक्षिण [[भारत]] का एक ऐसा राज्य है, जहाँ प्रकृति एवं संस्कृति का सबसे अलग संगम मिलता है। इस प्रदेश को एक तरफ [[अरब सागर]] के नीले [[जल]] तो दूसरी तरफ पश्चिमी घाट की हरी-भरी पहाड़ियों ने अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य प्रदान किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तिरुअनंतपुरम]]
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| {[[भारत]] में जनजातियों के निर्धारण का क्या आधार है?
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| |type="()"}
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| +सांस्कृतिक विशेषीकरण और विभिन्न आवास
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| -[[भाषा]] और बोली
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| -सामाजिक रीति रिवाज की विभिन्नताएँ
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| -आर्थिक स्तर
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| {राजस्थान नहर कहाँ से निकलती है?
| | (9 जन॰ 1760), भारतीय इतिहास में पतन की ओर अग्रसर मुग़ल साम्राज्य पर नियंत्रण के लिए मराठों पर की गई अफ़ग़ान विजयों में से एक, जिसने अंग्रजों को बंगाल में पैर जमाने का समय दे दिया। दिल्ली से 16 किमी उत्तर में यमुना नदी के बरारी घाट (नौका घाट ) पर पंजाब से अहमद शाह दुर्रानी की अफ़ग़ान सेना से पीछे हट रहे मराठा सरदार दत्ताजी सिंधिया पर ऊंचे उगे सरकंडों की आड़ में छिपे अफ़गान सिपाहियों ने नदी पार करके अचानक हमला कर दिया। दत्ताजी मारे गए और उनकी सेना तितर-बितर हो गई। उनकी पराजय से दिल्ली पर अफ़ग़ानों के अधिकार का मार्ग प्रशस्त हो गया। |
| |type="()"}
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| -[[रावी नदी|रावी]]
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| -[[व्यास नदी|व्यास]]
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| +[[सतलुज नदी|सतलुज]]
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| -[[चम्बल नदी|चम्बल]]
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| ||[[चित्र:Satluj-River.jpg|right|80px|[[सतलुज नदी]]]]सतलुज उत्तरी [[भारत]] में बहने वाली एक नदी है। जो सदानीरा (हर मौसम में बहती है) है और जिसकी लम्बाई [[पंजाब]] में बहने वाली पाँचों नदियों में सबसे अधिक है। यह [[पाकिस्तान]] में होकर बहती है। [[ऋग्वेद]] के नदीसूक्त में इसे शुतुद्रि कहा गया है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सतलुज नदी]]
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| {टोडा जनजाति कहाँ निवास करती है?
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| |type="()"}
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| -[[अरावली पर्वतमाला|अरावली पहाड़ियों पर]]
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| -[[मध्य प्रदेश]] में
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| +[[नीलगिरि पहाड़ियाँ|नीलगिरि की पहाड़ियों पर]]
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| -[[विंध्याचल पर्वत|विंध्याचल की पहाड़ियों पर]]
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| ||[[चित्र:Nilgiri-Hills.jpg|right|80px|नीलगिरि पहाड़ियाँ, [[तमिलनाडु]]]]नीलगिरि पहाड़ियाँ, [[तमिलनाडु]] राज्य का पर्वतीय क्षेत्र है, दक्षिणी [[भारत]] में स्थित हैं। नीलगिरि की चोटियाँ आसपास के मैदानी क्षेत्र से अचानक उठकर 1,800 से 2,400 मीटर की ऊँचाई तक पहुँचती हैं; इनमें से एक 2,637 ऊँचा डोडाबेट्टा तमिलनाडु का शीर्ष बिन्दू है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[नीलगिरि पहाड़ियाँ]]
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| | बर्द्धमान ज़िला |
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| {भारतीय मानक समय निम्नलिखित स्थानों में से किसके समीप से लिया जाता है?
| | बर्द्धमान ज़िला दो अलग क्षेत्रों में बंटा है। पूर्वी भाग एक निम्न जलोढ़ मैदान है, जो सघन जनसंख्यायुक्त और पानी से भरा व दलदली रहता है। पूर्व की प्रमुख फ़सलें चावल, मक्का, दलहन और तिलहन हैं। पश्चिमी क्षेत्र बंगाल के सर्वाधिक व्यस्त औधोगिक क्षेत्रों में से एक है, यहां रानीगंज के बढ़िया कोयला भंडार और पड़ोसी क्षेत्रों में कच्चा लोहा और दूसरे खनिज़ उपलब्ध हैं। दामोदर नदी तट पर विकसित दुर्गापुर और आसनसोल के औद्योगिक नगर व कुछ और नगर, जिन्हें सामुहिक तौर पर दुर्गापुर औद्योगिक पट्टी के नाम से जाना जाता है, कोलकाता के बाद बंगाल का सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र हैं। इस ज़िले में बर्द्धमान विश्वविद्यालय से संबद्ध एक इंजीनियरिंग कॉलेज और अनेक महाविद्यालय हैं। दामोदर घाटी निगम सिंचाई, औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति और बाढ़ नियंत्रण का काम करता है। पूर्व की प्रमुख फ़सलें चावल, मक्का, दलहन और तिलहन हैं। जनसंख्या (2001) शहर 2,85,871; ज़िला कुल 69,19,698। |
| |type="()"}
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| +[[इलाहाबाद]] (नैनी)
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| -[[लखनऊ]]
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| -[[मेरठ]]
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| -मुज़फ़्फ़रनगर
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| ||[[चित्र:Kumbh mela.jpg|right|100px|इलाहाबाद में कुम्भ मेला]] और [[यमुना नदी|यमुना]] का संगम, इलाहाबाद ([[1885]])]][[इलाहाबाद]] शहर, दक्षिणी [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के उत्तरी [[भारत]] में स्थित है। इलाहाबाद [[गंगा नदी|गंगा]] और [[यमुना नदी|यमुना]] नदी पर बसा हुआ है। इलाहाबाद गंगा और यमुना के संगम के लिए बहुत प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि इस संगम पर भूमिगत रूप से [[सरस्वती नदी]] भी आकर मिलती है। गंगा और यमुना नदियों के संगम पर बसा इलाहाबाद [[वाराणसी]] (भूतपूर्व बनारस) व [[हरिद्वार]] के समकक्ष पवित्र प्राचीन प्रयाग की भूमि पर स्थित है। यह स्थान सामरिक दृष्टि से बड़ा महत्त्वपूर्ण है। इलाहाबाद उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक महत्त्वपूर्ण ज़िला है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[इलाहाबाद]]
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| {निम्नांकित में से कौन-सा राज्य [[भारत]] का सबसे बड़ा [[चाय]] उत्पादक राज्य है?
| | बरौनी |
| |type="()"}
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| +[[असम]]
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| -[[तमिलनाडु]]
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| -[[अरुणाचल प्रदेश]]
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| -[[पश्चिम बंगाल]]
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| ||[[चित्र:View-Of-Assam.jpg|right|80px|असम के [[चाय]] के बाग़ान में लड़कियाँ]] असम या आसाम उत्तर पूर्वी [[भारत]] में एक राज्य है। असम अन्य उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है। असम भारत का एक सरहदी राज्य है। भारत-भूटान और भारत-[[बांग्लादेश]] सरहद कुछ हिस्सों में असम से जुडी है। यहाँ पर [[कपिली नदी]] और [[ब्रह्मपुत्र नदी]] भी बहती है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[असम]]
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| {भारतीय चमड़े का निर्यात सबसे अधिक कहाँ किया जाता है?
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| |type="()"}
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| -[[संयुक्त राज्य अमरीका]] में
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| -सोवियत संघ को
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| +[[इंग्लैंड]] को
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| -पश्चिमी जर्मनी को
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| ||[[इंग्लैंड]] को इंग्लिस्तान भी कहा जाता है। इंग्लैंड संयुक्त राजशाही यानि युनाइडेट किंग्डम का सबसे बड़ा निर्वाचक देश है। इंग्लैंड [[यूरोप]] के उत्तर पश्चिम में अवस्थित है जो मुख्य भूमि से अंग्रेज़ी चैनल द्वारा पृथकीकृत द्वीप का अंग है। इंग्लैंड की राजभाषा अंग्रेज़ी है और यह विश्व के सबसे संपन्न तथा शक्तिशाली देशों में से एक है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[इंग्लैंड]]
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| {[[भारत]] में हरित क्रांति का सर्वाधिक प्रभाव किस फ़सल पर पड़ा?
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| |type="()"}
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| -धान
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| -मक्का
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| -ज्वार
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| +[[गेहूँ]]
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| ||[[चित्र:Farmer-Cuts-The-Wheat-Crop.jpg|right|100px|गेहूँ की कटाई]]गेहूँ विश्वव्यापी महत्त्व की फ़सल है। यह लाखों लोगों का मुख्य खाद्य है। मुख्य रूप से [[एशिया]] में धान की खेती की जाती है, तो भी विश्व के सभी प्रायद्वीपों में गेहूँ उगाया जाता है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के लिए गेहूँ लगभग 20 प्रतिशत आहार कैलोरी की पूर्ति करता है। विश्वव्यापी गेहूँ उत्पादन वर्ष [[2007]]-[[2008]] में 62.22 करोड़ टन तक पहुँच गया था। [[भारत]] गेहूँ का [[चीन]] के बाद दूसरा विशालतम उत्पादक है। खाद्यान्न फ़सलों के बीच गेहूँ विशिष्ट स्थान रखता है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गेहूँ]]
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| {[[भारत]] में [[वर्षा]] का आधिक्य होते हुए भी यह देश प्यासी धरती समझा जाता है, इसका क्या कारण है?
| | बसव |
| |type="()"}
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| -[[वर्षा]] के पानी का तेजी से बह जाना
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| -वर्षा के पानी का शीघ्रता से भाप बनकर उड़ जाना
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| -वर्षा का कुछ थोड़े ही महीनों में जोर होना
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| +उपर्युक्त सभी
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| {[[भारत]] में लौह-अयस्क निम्न में किस क्रम की शैलों में पाया जाता है?
| | 12वीं शताब्दी के धार्मिक सुधारक, उपदेशक, धर्म मीमांसक और चालुक्य राजा बिज्जला I (शासनकाल, 1156-67) के राजसी कोषागार के प्रबंधक, बसव हिंदू वीरशैव (लिंगायत) मत के पवित्र ग्रंथों में से एक, बसव पुराण के रचयिता हैं। परंपरा के अनुसार, वह वीरशैव के वास्तविक संस्थापक थे, परंतु चालुक्य अभिलेखों से पता चलता है कि उन्होंने वास्तव में पहले से मौजूद मत को पुनर्जीवित किया। |
| |type="()"}
| | बसव ने वीरशैव संस्थाओं को सहायता देकर और वीरशैव मत की शिक्षा देकर प्रचार में सहायता दी थी। उनके चाचा प्रधानमंत्री थे और उन्होंने बसव को कोषागार प्रमुख के रूप में नियुक्त किया था। कई वर्ष तक उनके गुट को काफ़ी लोकप्रियता मिली, परंतु दरबार में अन्य गुट उनकी शक्तियों और उनकी शह में वीरशैल मत के प्रसार से क्षुब्ध थे। उनके द्वारा लगाए गए आरोपों के कारण वह राज्य छोड़ कर चले गए और शीघ्र ही उनकी मृत्यु हो गई। भगवान शिव की स्तुति में उनके रचित भजनों से उन्हें कन्नड़ साहित्य में प्रमुख स्थान तथा हिंदू भक्ति साहित्य में भी स्थान मिला। |
| -विन्ध्यन
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| -कडप्पा
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| -धारवाड़
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| +गोण्डवाना
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| {उच्चतम लवणता कहाँ पाई जाती है?
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| |type="()"}
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| -मृत सागर में
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| -लाल सागर में
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| -महान सॉल्ट झील [[संयुक्त राज्य अमरीका|संयुक्त राज्य अमेरिका]] में
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| +झील वान-टर्की में
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| | बाउल |
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| {गत 25 वर्षों में नलकूप सिंचाई का सर्वाधिक शानदार विकास कहाँ हुआ है?
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| |type="()"}
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| -[[गंगा]]-[[घाघरा नदी|घाघरा]] दोआब में
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| -[[गंगा]]-[[यमुना]] दोआब में
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| +[[सरयू नदी|सरयू]] पार मैदान में
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| -[[बुन्देलखण्ड]] में
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| ||नदियों में ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सरयू नदी का अस्तित्व भी अब खतरे में है। [[रामायण]] के अनुसार भगवान राम ने इसी नदी में जल समाधि ली थी। सरयू नदी का उद्गम [[उत्तर प्रदेश]] के [[बहराइच]] ज़िले से हुआ है। बहराइच से निकलकर यह नदी गोंडा से होती हुई अयोध्या तक जाती है। पहले यह नदी गोंडा के परसपुर तहसील में पसका नामक तीर्थ स्थान पर [[घाघरा नदी]] से मिलती थी। पर अब यहां बांध बन जाने से यह नदी पसका से क़रीब 8 किलोमीटर आगे चंदापुर नामक स्थान पर मिलती है। अयोध्या तक ये नदी सरयू के नाम से जानी जाती है, लेकिन उसके बाद यह नदी घाघरा के नाम से जानी जाती है। सरयू नदी की कुल लंबाई लगभग 160 किलोमीटर है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सरयू नदी]]
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| | बंगाल के धार्मिक गायकों के एक संप्रदाय के सदस्य, जो अपने अपारंपरित व्यवहार तथा रहस्यात्मक गीतों की सहजता एवं उन्मुक्तता के लिए जाने जाते है। इनके हिंदू ( मूल रूप से वैष्णव ) और मुसलमान ( आमतौर पर सूफ़ी ), दोनों है। इनके गीत अक्सर मनुष्य एवं उसके भीतर बसे इष्टदेव के बीच प्रेम से संबंधित होते हैं। इस संप्रदाय के विकास के बारे में बहुत कम जानकारी है, क्योंकि इनके गीतों का संकलन एवं लेखन 20 वीं सदी में ही शुरू हुआ। रबींद्रनाथ ठाकुर उन कई बांग्ला लेखकों में से एक थे, जिन्होंने बाउल गीतों से प्रेरणा लिए जाने की बात स्वीकार की। |
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| {मृगतृष्णा किसका उदाहरण है?
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| |type="()"}
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| -अपवर्तन का
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| +पूर्ण आन्तरिक परावर्तन का
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| -विक्षेपण का
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| -विवर्तन का
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| {निम्नांकित राज्यों में से कहाँ पर साइबेरियन सारस के लिए आदर्श प्राकृतिक निवास है?
| | दास |
| |type="()"}
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| +[[अरुणाचल प्रदेश]]
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| -[[असम]]
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| -[[आंध्र प्रदेश]]
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| -[[उड़ीसा]]
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| ||[[चित्र:Tawang-Monestary-Arunachal-Pradesh-5.jpg|right|80px|तवांग, अरुणाचल प्रदेश]]'अरुणाचल प्रदेश [[भारत]] गणराज्य का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। 'अरुणाचल' का अर्थ हिन्दी में शाब्दिक अर्थ है 'उगते सूर्य की भूमि' (अरुण+अचल)। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न राज्य है किन्तु चीन राज्य के एक भाग पर अपना अधिकार दक्षिणी तिब्बत के रूप में जताता है। अरुणाचल प्रदेश की मुख्य भाषा [[हिन्दी भाषा]] और [[असमिया भाषा|असमिया]] है साथ ही [[अंग्रेज़ी भाषा]] भी आजकल धीरे धीरे लोकप्रिय हो रही है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अरुणाचल प्रदेश]]
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| {उत्तर प्रदेशीय [[हिमालय]] का सर्वोच्च शिखर कौन-सा है?
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| |type="()"}
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| -चौखम्बा
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| -धौलागिरि
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| +नन्दा देवी
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| -[[उड़ीसा]]
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| | | दस्यु भी कहा जाता है, भारत में आदिम समुदाय के लोग, जिनका यहां आ कर बसने वाले आर्यों के साथ टकराव हुआ, 1500 ई॰पू॰ में आर्यों ने इनका काली चमड़ी वाले, कटु भाषी लोगों के रूप में वर्णन किया है, जो लिंग की पूजा करते थे। इस प्रकार कई विद्वानों की यह धारणा बनी कि हिंदुओं के धार्मिक प्रतीक लिंगम की पूजा की यहां से शुरुआत हुई, हांलांकि हो सकता है कि इसका संबंध उनकी यौन क्रियाओं से रहा हो। वे क़िलेबंद स्थानों पर रहते थे जहां से वे अपनी सेनाएं भेजते थे। वे संभवत: मूल शूद्र या श्रमिक रहे होंगे, जो तीनों उच्च वर्गों, ब्राह्मणों (पुरोहित), क्षत्रियों (योध्दाओं) और वैश्यों ( व्यापारियों) की सेवा करते थे और जिन्हें उनके धार्मिक अनुष्ठानों से अलग रखा गया था। |
| {ओजोन पर्त के संरक्षण का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कब मनाया जाता है?
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| |type="()"}
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| -[[15 अगस्त]] को
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| +[[16 सितम्बर]] को
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| -[[24 अक्तूबर]] को
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| -[[1 मई]] को
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| {ग्लोब पर दो स्थानों के बीच न्यूनतम दूरी क्या होती है?
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| |type="()"}
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| -45 डिग्री उत्तरी अक्षांश पर
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| -45 डिग्री दक्षिणी अक्षांश पर
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| -प्रधान देशांतर पर
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| +अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा पर
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| {नीली क्रांति किससे सम्बन्धित है?
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| |type="()"}
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| -खाद्यान्न उत्पादन से
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| -तिलहन उत्पादन से
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| -दुग्ध उत्पादन से
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| +मत्स्य उत्पादन से
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| {[[भारत]] का सर्वाधिक नगरीकृत राज्य कौन-सा है?
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| -[[गुजरात]]
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| +[[महाराष्ट्र]]
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| -[[तमिलनाडु]]
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| -[[पश्चिम बंगाल]]
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| ||[[चित्र:Ajanta-Caves-1.jpg|right|80px|[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता की गुफ़ाओं]] का विश्व प्रसिद्ध भित्ति चित्र]]प्राचीन 16 महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक [[अहमदनगर]] के आसपास का माना जाता है । सम्राट [[अशोक]] के शिलालेख भी [[मुंबई]] के निकट पाए गए हैं । महाराष्ट्र के पहले प्रसिद्ध शासक सातवाहन (ई.पू. 230 से 225 ई.) थे जो महाराष्ट्र राज्य के संस्थापक थे। उन्होंने अपने पीछे बहुत से साहित्यिक, कलात्मक तथा पुरातात्विक प्रमाण छोड़े हैं। उनके शासनकाल में मानव जीवन के हर क्षेत्र में भरपूर प्रगति हुई।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महाराष्ट्र]]
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बंदा सिहं बहादुर
लछमन दास, लछमन देव या माधो दास भी कहलाते हैं (ज़ – 1670, रजौरी, भारत; मृ-जून 1716, दिल्ली ) भारत के मुग़ल शासकों के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने वाले पहले सिक्ख सैन्य प्रमुख, जिन्होंने सिक्खों के राज्य का अस्थायी विस्तार भी किया।
युवावस्था में उन्होंने पहले समन (योगी) बनने का निश्चय किया और 1708 में गुरु गोबिंद सिंह का शिष्य बनने तक वह माधो दास के नाम से जाने जाते रहे। सिक्ख बिरादरी में शामिल होने के बाद उनका नाम बंदा सिंह बहादुर हो गया और वह लोकप्रिय तो नहीं, सम्मानित सेनानी अवश्य बन गए, उनके तटस्थ, ठंडे और अवैयक्तिक स्व्भाव ने उन्हें उनके लोगों के बीच लोकप्रिय नहीं बनने दिया।
बंदा सिंह ने 1709 में मुग़लों पर हमला करके बहुत बड़े क्षेत्र पर क़ब्ज़ा कर लिया। दक्कन क्षेत्र में उनके द्वारा लूटमार और क़त्लेआम से मुग़लों को उन पर पूरी ताकत से हमला करना पड़ा। 1715 में आठ महीनों की घेरेबंदी के बाद मुग़लों ने क़िलेबंद शहर गुरुदास नांगल पर क़ब्ज़ा कर लिया। बंदा सिंह और उनके साथियों को कैद करके दिल्ली ले जाया गया, जहां जहां छह महीने तक हर दिन उनके कुछ लोगों को मौत की सज़ा दी जाती रही। जब उनकी बारी आई, तो बंदा सिंह ने मुसलमान न्यायाधीश से कहा कि उनका यही हाल होना था, क्योंकि अपने प्यारे गुरु गोबिंद सिंह की इच्छाओं को पूरा करने में वह नाक़ाम रहे। उन्हें लाल गर्म लोहे की छड़ों से यातना देकर मार डाला गया।
बंगाल की एशियाटिक सोसाइटी
ब्रिटिश अधिवक्ता एवं प्राच्यविद सर विलियम जोन्स द्वारा 15 जनवरी 1784 को प्राच्य विद्याध्ययन को प्रोत्साहन देने के लिये गठित सभा।
संस्थापना दिवस के उपलक्ष्य में जोन्स ने अपने प्रसिध्द अभिभाषणों की श्रृंखला का पहला भाषण दिया।
इस सभा को तत्कालीन बंगाल के प्रथम गवर्नर-जनरल ( 1772-95 ) वॉरेन हेस्टिग्ज़ का सहयोग और प्रोत्साहन मिला। जोन्स की मृत्यु ( 1794 ) तक यह सभा हिंदू संस्कृति तथा ज्ञान के महत्त्व व आर्य भाषाओं में संस्कृत की अहम भूमिका जैसे उनके विचारों की संवाहक थी।
बरारी घाटी का युद्ध
(9 जन॰ 1760), भारतीय इतिहास में पतन की ओर अग्रसर मुग़ल साम्राज्य पर नियंत्रण के लिए मराठों पर की गई अफ़ग़ान विजयों में से एक, जिसने अंग्रजों को बंगाल में पैर जमाने का समय दे दिया। दिल्ली से 16 किमी उत्तर में यमुना नदी के बरारी घाट (नौका घाट ) पर पंजाब से अहमद शाह दुर्रानी की अफ़ग़ान सेना से पीछे हट रहे मराठा सरदार दत्ताजी सिंधिया पर ऊंचे उगे सरकंडों की आड़ में छिपे अफ़गान सिपाहियों ने नदी पार करके अचानक हमला कर दिया। दत्ताजी मारे गए और उनकी सेना तितर-बितर हो गई। उनकी पराजय से दिल्ली पर अफ़ग़ानों के अधिकार का मार्ग प्रशस्त हो गया।
बर्द्धमान ज़िला
बर्द्धमान ज़िला दो अलग क्षेत्रों में बंटा है। पूर्वी भाग एक निम्न जलोढ़ मैदान है, जो सघन जनसंख्यायुक्त और पानी से भरा व दलदली रहता है। पूर्व की प्रमुख फ़सलें चावल, मक्का, दलहन और तिलहन हैं। पश्चिमी क्षेत्र बंगाल के सर्वाधिक व्यस्त औधोगिक क्षेत्रों में से एक है, यहां रानीगंज के बढ़िया कोयला भंडार और पड़ोसी क्षेत्रों में कच्चा लोहा और दूसरे खनिज़ उपलब्ध हैं। दामोदर नदी तट पर विकसित दुर्गापुर और आसनसोल के औद्योगिक नगर व कुछ और नगर, जिन्हें सामुहिक तौर पर दुर्गापुर औद्योगिक पट्टी के नाम से जाना जाता है, कोलकाता के बाद बंगाल का सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र हैं। इस ज़िले में बर्द्धमान विश्वविद्यालय से संबद्ध एक इंजीनियरिंग कॉलेज और अनेक महाविद्यालय हैं। दामोदर घाटी निगम सिंचाई, औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति और बाढ़ नियंत्रण का काम करता है। पूर्व की प्रमुख फ़सलें चावल, मक्का, दलहन और तिलहन हैं। जनसंख्या (2001) शहर 2,85,871; ज़िला कुल 69,19,698।
बरौनी
बसव
12वीं शताब्दी के धार्मिक सुधारक, उपदेशक, धर्म मीमांसक और चालुक्य राजा बिज्जला I (शासनकाल, 1156-67) के राजसी कोषागार के प्रबंधक, बसव हिंदू वीरशैव (लिंगायत) मत के पवित्र ग्रंथों में से एक, बसव पुराण के रचयिता हैं। परंपरा के अनुसार, वह वीरशैव के वास्तविक संस्थापक थे, परंतु चालुक्य अभिलेखों से पता चलता है कि उन्होंने वास्तव में पहले से मौजूद मत को पुनर्जीवित किया।
बसव ने वीरशैव संस्थाओं को सहायता देकर और वीरशैव मत की शिक्षा देकर प्रचार में सहायता दी थी। उनके चाचा प्रधानमंत्री थे और उन्होंने बसव को कोषागार प्रमुख के रूप में नियुक्त किया था। कई वर्ष तक उनके गुट को काफ़ी लोकप्रियता मिली, परंतु दरबार में अन्य गुट उनकी शक्तियों और उनकी शह में वीरशैल मत के प्रसार से क्षुब्ध थे। उनके द्वारा लगाए गए आरोपों के कारण वह राज्य छोड़ कर चले गए और शीघ्र ही उनकी मृत्यु हो गई। भगवान शिव की स्तुति में उनके रचित भजनों से उन्हें कन्नड़ साहित्य में प्रमुख स्थान तथा हिंदू भक्ति साहित्य में भी स्थान मिला।
बाउल
बंगाल के धार्मिक गायकों के एक संप्रदाय के सदस्य, जो अपने अपारंपरित व्यवहार तथा रहस्यात्मक गीतों की सहजता एवं उन्मुक्तता के लिए जाने जाते है। इनके हिंदू ( मूल रूप से वैष्णव ) और मुसलमान ( आमतौर पर सूफ़ी ), दोनों है। इनके गीत अक्सर मनुष्य एवं उसके भीतर बसे इष्टदेव के बीच प्रेम से संबंधित होते हैं। इस संप्रदाय के विकास के बारे में बहुत कम जानकारी है, क्योंकि इनके गीतों का संकलन एवं लेखन 20 वीं सदी में ही शुरू हुआ। रबींद्रनाथ ठाकुर उन कई बांग्ला लेखकों में से एक थे, जिन्होंने बाउल गीतों से प्रेरणा लिए जाने की बात स्वीकार की।
दास
दस्यु भी कहा जाता है, भारत में आदिम समुदाय के लोग, जिनका यहां आ कर बसने वाले आर्यों के साथ टकराव हुआ, 1500 ई॰पू॰ में आर्यों ने इनका काली चमड़ी वाले, कटु भाषी लोगों के रूप में वर्णन किया है, जो लिंग की पूजा करते थे। इस प्रकार कई विद्वानों की यह धारणा बनी कि हिंदुओं के धार्मिक प्रतीक लिंगम की पूजा की यहां से शुरुआत हुई, हांलांकि हो सकता है कि इसका संबंध उनकी यौन क्रियाओं से रहा हो। वे क़िलेबंद स्थानों पर रहते थे जहां से वे अपनी सेनाएं भेजते थे। वे संभवत: मूल शूद्र या श्रमिक रहे होंगे, जो तीनों उच्च वर्गों, ब्राह्मणों (पुरोहित), क्षत्रियों (योध्दाओं) और वैश्यों ( व्यापारियों) की सेवा करते थे और जिन्हें उनके धार्मिक अनुष्ठानों से अलग रखा गया था।